Lok Sabha Election 2024: पश्चिमी यूपी की लड़ाई में चंद्रशेखर एक बार फिर पड़े अकेले

Meerut News: रालोद के एनडीए में शामिल होने के बाद पश्चिमी यूपी के राजनीतिक मैदान में अकेले खड़े नजर आ रहे हैं। सपा से सीट न मिलने पर अपनी पार्टी से नगीन सीट पर उम्मीदवार हैं।

Report :  Sushil Kumar
Update:2024-04-07 19:30 IST

आजाद समाज पार्टी अध्यक्ष चंद्रशेखर। (Pic: Social Media)

Meerut News: आजाद समाज पार्टी अध्यक्ष चंद्रशेखर 2022 विधानसभा चुनावों से ठीक पहले जिस तरह अकेले पड़ गए थे, उसी तरह फिर एक बार वह अकेले दिखाई दे रहे हैं। विधानसभा चुनाव 2022 के बाद राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ उनकी दोस्ती परवान चढ़ती दिख रही थी। तमाम मंचों पर दोनों की जोड़ी सुर्खियों में रही, लेकिन अब जब जयंत चौधरी इंडिया गठबंधन से अलग होकर एनडीए के साथ आ गए हैं तो ऐसे में चंद्रशेखर फिर एक बार फिर पश्चिमी यूपी के राजनीतिक मैदान में अकेले खड़े नजर आ रहे हैं।

जयंत का साथ छूटने से हुए कमजोर

जयंत का साथ छूटने के बाद पश्चिमी यूपी में चंद्रशेखर अलग-थलग दिख रहे हैं। पार्टी को गठबंधन में स्थान नहीं मिला तो सपा से एक मात्र नगीना सीट मांग ली, उस पर भी बात नहीं बनी तो पार्टी प्रत्याशी के रूप में स्वयं कूदने को मजबूर होना पड़ा। चंद्रशेखर जयंत चौधरी के ताजा रुख से चंद्रशेखर नाराज तो हैं लेकिन वे जयंत के खिलाफ खुलकर बोलने से परहेज कर रहे हैं। पूछने पर जयंत का नाम लिए बगैर शायराना अंदाज में इतना ही कहते हैं कुछ तो मजबूरियां रही होंगी...। फिर तनिक रुक कर आगे कहते हैं कि बीजेपी के साथ जाने को लेकर जयंत ही बेहतर बता सकते हैं। भला मैं क्या कह सकता हूं। चंद्रशेखर आजाद इस बार यूपी की नगीना लोकसभा सीट से चुनावी मैदान मे हैं। चुनाव परिणाम ही पश्चिमी यूपी की राजनीति में चंद्रशेखर आजाद का कद तय करेंगे।

उपचुनाव में मिले थे चौंकाने वाले परिणाम

दरअसल,खतौली में हुए उपचुनाव में सभी को चौंकाने वाले परिणाम नजर आए थे क्योंकि जयंत की रालोद ने सपा और आजाद समाज पार्टी (आसपा) के साथ इस सीट पर जीत दर्ज की थी। बीजेपी की सिटिंग सीट को रालोद ने बीजेपी के दिग्गज नेताओं के डेरा डालने के बाद भी छीन लिया था। इस सीट के हारने के बाद ही बीजेपी के लिए जयंत चौधरी महत्वपूर्ण हो गए थे। नतीजन,जयंत को अपने पाले में लाने की कोशिशें बीजेपी द्वारा शपरु कर दी गई थी। अपनी इन कोशिशों में देर से सही पर बीजेपी पिथले माह सफल हो भी गई। फिलहाल,जयंत ना सिर्फ बीजेपी में हैं बल्कि एनडीए की जीत के लिए पसीना भी बहा रहे हैं।

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