Meerut News: 18 वर्ष से कम की लड़की एवं 21 वर्ष से कम आयु के लड़के की कराई शादी तो…
Meerut News: चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि बाल विवाह रोकथाम अधिनियम को किसी भी पर्सनल लॉ के तहत परंपराओं से बाधित नहीं किया जा सकता।
Meerut News: सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों देशभर में बाल विवाह पर अहम फैसला देते हुए दिशा-निर्देश जारी किया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि बाल विवाह रोकथाम अधिनियम को किसी भी पर्सनल लॉ के तहत परंपराओं से बाधित नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद मेरठ जिला प्रशासन भी बाल विवाह को लेकर गंभीर हो गया है।
जिला प्रोबेशन अधिकारी/जिला बाल संरक्षण अधिकारी मेरठ अतुल कुमार सोनी ने बताया कि द प्रोहिबिहेशन आफ चाईल्ड मैरिज एक्ट 2006 के प्रावधान के अन्तर्गत 18 वर्ष से कम आयु की लडकी एवं 21 वर्ष से कम आयु के लडके का विवाह करना/कराना कानूनन अपराध है। यदि कोई नाबालिग का विवाह करता/कराता है या उसमें शामिल होता है तो उनके विरूद्ध कार्यवाही होगी। उन्होंने कहा कि बाल विवाह सम्पन्न कराने वाले प्रत्येक व्यक्ति के विरूद्ध एक लाख का जुर्माना व 02 वर्ष के कारावास का प्रावधान है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अन्तर्गत बाल विवाह में किसी भी तरह की भागीदारी दण्डनीय अपराध है।
जिला प्रोबेशन अधिकारी ने धार्मिक स्थल के पण्डित, पुजारी, मौलवी एवं आर्य समाज मंदिरों, वैवाहिक आयोजन कराने वाले प्रिन्टिंग प्रेस, टैन्ट व्यवसायी, मैरिज हॉल, बैण्ड बाजा, कैटर्स फोटोग्राफर, इत्यादि व्यक्तियों एवं संस्थाओं से भी अपेक्षा की है कि वैवाहिक आयोजन से पूर्व यह सुनिश्चित कर लें कि वधू की आयु 18 वर्ष एवं वर की आयु 21 वर्ष से कम न हो। किसी भी स्थिति में उनके धार्मिक स्थल में नाबालिग का विवाह नही होगा और इस हेतु विधिक आयु प्रमाण पत्र अनुशीलन के पश्चात ही परिसर में विवाह की अनुमति प्रदान की जाये। साथ ही जानकारी एवं जागरूकता हेतु धार्मिक परिसर में दीवार लेखन के जरिये लोगों तक सन्देश भी प्रसारित किया जाये। यदि कोई बाल विवाह का प्रकरण संज्ञान में आता है तो उसकी सूचना सम्बन्धित थाना, चाइल्ड हेल्पलाइन 1098, वूमन पावर लाइन 1090 एवं महिला हेल्पलाइन 181 पर दी जाये।