Lucknow: मो. साएम मेहंदी फिर बने शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष, 18 दिसंबर को मुंबई में अधिवेशन
ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारिणी की बैठक ने तय किया है, कि शिया पर्सनल लॉ बोर्ड का अधिवेशन इस वर्ष 18 दिसम्बर 2022 को मुम्बई में आयोजित होगा।
Lucknow News : ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Shia Personal Law Board) की कार्यकारिणी की बैठक ने तय किया है, कि शिया पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Shia Personal Law Board) का अधिवेशन इस वर्ष 18 दिसम्बर 2022 को मुम्बई में आयोजित होगा। जिसमें देशभर के उलेमा और बुद्धिजीवी शिरकत करेंगे।
इस दौरान बोर्ड के अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, इसलिए नए अध्यक्ष पद पर दोबारा चुनाव होना है। जिसके लिए मौलाना यासूब अब्बास ने मौलाना साएम मेहंदी के नाम का प्रस्ताव सदस्यों के समक्ष रखा। बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों ने एकमत के साथ मौलाना साएम मेहंदी के नाम पर अपनी सहमति दी। जिसके बाद उन्हें दोबारा निर्विरोध 3 साल के लिए बोर्ड का अध्यक्ष चुन लिया गया है।
शाह सलमान की भारत यात्रा का विरोध
इसके साथ ही, बैठक में 14 नवम्बर को शाह सलमान (सऊदी अरब) की भारत यात्रा का विरोध भी किया गया। क्योंकि सऊदी अरब में मोहम्मद साहब की इकलौती बेटी और उनके बेटों की कब्रों पर साया नहीं है। जिसको आज से लगभग 100 वर्ष पूर्व सऊदी सरकार ने ध्वस्त कर दिया था। सऊदी अरब सरकार न तो जन्नतुल बकी. मदीना में रौजो को दोबारा निर्माण करा रही है और न ही निर्माण की इजाजत दे रही है। इसकी मांग शिया बोर्ड की ओर से की जाती रही है। शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप की गुजारिश की है कि वह अपने प्रभावों का इस्तेमाल करते हुए सऊदी सरकार पर दबाव बनाये कि वह या तो रौज़ों का निर्माण करें या भारत के शिया मुसलमानों को निर्माण की इजाजत दे।
UCC और जनसंख्या वृद्धि पर भी चर्चा
इसके अलावा अन्य कई महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code), जनसंख्या वृद्धि आदि पर भी चर्चा की गई। बैठक में एक मत से यूनिफॉर्म सिविल कोड को देश में लागू किये जाने का विरोध किया और कहा कि इससे देश को नुकसान पहुंचेगा। इसलिए ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने का विरोध करता है। शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि भारत की आजादी में मदरसों का बहुत योगदान रहा है जिसको कभी भुलाया नहीं जा सकता। अगर प्रदेश में मदरसों की जांच हो तो सभी धार्मिक शिक्षा संस्थानों की भी जांच होना चाहिए।
इस बैठक में, मौलाना साएम मेंहदी अध्यक्ष, मौलाना यासूब अब्बास, मौलाना अनवर हुसैन, प्रोफेसर नय्यर जलालपुरी, मौलाना एजाज़ अतहर, मौलाना जाफर अब्बास, मौलाना मुसय्यब, मौलाना इसहाक, मौलाना मेंहदी इफ्तिखारी, मौलाना हसन मेंहदी गीरपुरी, मौलाना सदफ, मौलाना रजा अब्बास, जहीर मुस्तफा, हसन मेंहदी 'झब्बू' आदि ने अपने विचार व्यक्त किये।