नहीं रहे 'ट्रैफिक बाबा', 14 सालों से यातायात नियमों के प्रति कर रहे थे जागरूकता
नोएडा: 'ट्रैफिक बाबा' के नाम से मशहूर 83 वर्षीय मुकुल चंद जोशी नहीं रहे। उनका निधन रविवार को सेक्टर-27 स्थित कैलाश अस्पताल में हुआ। वह पिछले 14 वर्षों से यातायात नियमों के प्रति जागरूकता के लिए अभियान चला रहे थे। मृत्यु के बाद उनकी इच्छानुसार दोनों आंखें और पेसमेकर दान की गई।
सोमवार (6 नवंबर) को दिल्ली के लोधी रोड स्थित शमशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। ट्रैफिक बाबा की मृत्यु पर नोएडा ट्रैफिक पुलिस ने गहरा शोक व्यक्त किया है। हाल ही में पुलिस ने नोएडा पुलिस ने उन्हें सम्मानित किया था।
अल्मोड़ा के रहने वाले थे 'बाबा'
मूलरूप से अल्मोड़ा निवासी मुकुल चंद जोशी सेक्टर-21 जलवायु विहार स्थित सोसायटी के फ्लैट नंबर बी-56 में पत्नी के साथ रहते थे। वर्ष 1993 में वह आगरा से लाइट इंजीनियर के पद से सेवानिवृत हुए थे। परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटे हैं। बड़े बेटे कैप्टन नीरज जोशी मर्चेन्ट नेवी सिगापुर में, जबकि छोटे बेटे कैप्टन राजीव जोशी एयर फोर्स बैंगलूरु में कार्यरत हैं।
डॉक्टरों ने मृत घोषित किया
बेटे राजीव जोशी ने बताया कि रविवार सुबह पिता मुकुल चंद जोशी और उनकी मां नोएडा स्थित घर पर ही थीं। पिता ने सुबह के समय दैनिक कार्य के बाद खुद चाय बनाकर पी और फिर बेड पर आराम करने चले गए। कुछ देर बाद जब उनकी मां पानी गरम करने के बाद नहाने के लिए उन्हें जगाने गई तो काफी प्रयास के बाद भी वह नहीं उठे। फिर पड़ोसी की मदद से वह उन्हें लेकर सेक्टर 27 स्थित कैलाश अस्पताल पहुंची। जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। सूचना पर रविवार देर रात बैंगलुरू से वह और सिगापुर से उनके भाई भी नोएडा पहुंचे।
इस घटना ने बना दिया 'ट्रैफिक बाबा'
राजीव जोशी ने बताया कि पिता की इच्छा थी कि मृत्यु के बाद शरीर का जो भी अंग दूसरे के काम आ सके, उसे दान कर दी जाए। जिसकी वजह से ही उनकी मौत के बाद मां ने उनलोगों के आने से पहले ही सभी औपचारिकताएं पूरी कर पिता की दोनों आंखे और पेशमेकर दान कर दी थी। राजीव जोशी ने बताया कि करीब 14 वर्ष पहले उनके एक मामा का बेटा बिना हेल्मेट लगाए स्कूटर लेकर निकला था और सड़क हादसे में उसकी मौत हो गई थी। इस घटना ने पिता मुकुल चंद जोशी को झकझोर दिया था। उसके बाद से ही उन्होंने लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करने का बेड़ा उठाया। वह चौराहों पर लाउडस्पीकर और पंफलेट के जरिए लोगों को जागरूक करते थे। इसके अलावा यातायात पुलिस के कार्यक्रम में हिस्सा लेकर सहयोग करते थे।