गाजीपुर हिंसा में 21 लोगों को पुलिस ने किया गिरफ्तार
एडीजी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि घटना में 32 नामजद और 70-80 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। एडीजी ने कहा कि साक्ष्य के आधार पर आरोपियों की पहचान की जा रही है। मौके पर बनाए गए वीडियो और फोटो के आधार पर लोगों को चिह्नित किया जा रहा है। जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। किसी निर्दोष को परेशान नहीं किया जाएगा।
लखनऊ: गाजीपुर में हुए भीड़ के पथराव से हुई एक पुलिसकर्मी के मौत के बाद प्रशासन ने ताबड़तोड कार्यवाही शुरू कर दी है। इस मामले में पुलिस ने 21 और लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। एडीजी पीवी रमा शास्त्री के अनुसार मुख्य आरोपित पर रासुका लगाने की तैयारी हो रही है। डीएम को इसी संस्तुति भेजी जाएगी। मामले की जांच एडिशनल एसपी को दी गई है। वहीं, लखनऊ में डीजीपी ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि मामले में तीन मुकदमे दर्ज हुए हैं।
कैसे हुई थी पुलिस कर्मी की मौत
बता दें कि आरक्षण की मांग करते हुए राष्ट्रीय निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में जाने की कोशिश की थी। उन्हें जगह-जगह पुलिस प्रशासन ने रोक दिया था। इसी के बाद कठवा मोड़ पर कार्यकर्ता उग्र हो गए और पथराव कर पुलिस पर हमला कर दिया था। कई वाहनों में भी तोड़फोड़ की गई थी। पत्थर लगने से सिपाही सुरेश वत्स की मौत हो गई थी।
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एडीजी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि घटना में 32 नामजद और 70-80 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। एडीजी ने कहा कि साक्ष्य के आधार पर आरोपियों की पहचान की जा रही है। मौके पर बनाए गए वीडियो और फोटो के आधार पर लोगों को चिह्नित किया जा रहा है। जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। किसी निर्दोष को परेशान नहीं किया जाएगा।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृत पुलिसकर्मी के परिजन को 40 लाख रूपये और उनके माता-पिता को 10 लाख रुपये की सहायता का ऐलान करते हुए इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिये हैं। वहीं इस मामले में राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है। सभी पार्टी के नेता इस हिंसा पर योगी सरकार की आलोचना करने में पीछे नहीं हट रहे हैं।