'गौ रक्षा' की दुहाई: गाय के पेट में मिली 35 KG पॉलीथिन,जहरीली दवाई
भारतीय संस्कृति में चूल्हे की पहली रोटी गौ माता को खिलाने की परम्परा रही है। हरा चारा,रोटी,साग-पात और पूजा पाठ का प्रसाद ग्रहण करने वाली गौ माता आज सड़कों पर बिखरी पॉलीथिन और जहरीली दवाइयां खाने को बेबस है। लखनऊ के कान्हा
मनोज द्विवेदी
लखनऊ: भारतीय संस्कृति में चूल्हे की पहली रोटी गौ माता को खिलाने की परम्परा रही है।हरा चारा,रोटी,साग-पात और पूजा पाठ का प्रसाद ग्रहण करने वाली गौ माता आज सड़कों पर बिखरी पॉलीथिन और जहरीली दवाइयां खाने को बेबस है।लखनऊ के कान्हा उपवन गौशाला में जब एक बीमार गाय पेट का ऑपरेशन किया गया तो डॉक्टरों सहित सभी लोग यह देखकर सन्न रह गए की उस गाय के पेट में सौ-दो सौ ग्राम नहीं बल्कि पूरे 35 किलो पॉलीथिन निकली, इतना कचरा गाय तो क्या किसी भी जानवर या इंसान को मारने के लिए काफी है।
ऑपरेशन के दौरान मिली पॉलीथिन
नगर निगम लखनऊ द्वारा संचालित कान्हा उपवन के चिकित्सा विभाग में एक बीमार गाय का ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के दौरान गाय के पेट से सौ-दो सौ ग्राम नहीं, पूरे 35 किलो पॉलीथिन और कुछ जहरीली दवाइयों के रैपर निकले। डॉक्टर यह देखकर दंग रह गए कि यह गाय इतने दिनों तक जिन्दा कैसे रही।कान्हा उपवन के अस्पताल में मौजूद अपर नगर आयुक्त सुनील मिश्रा ने कहा की यह हमारे लिए नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए शर्म की बात है कि हमारी वजह से बेजुबान जानवरों को पॉलीथिन खाना पड़ रहा है।
इस घटना से आहात सुनील मिश्रा ने कहा की वे पूरे लखनऊ वासियों से अपील करते हैं कि पॉलीथिन का प्रयोग बंद करें और मज़बूरी में पॉलीथिन का उपयोग कर रहे हैं तो कृपा करके उसे बाहर न फेंके।अस्पताल के चिकित्सकों ने बताया की 90 फीसदी छुट्टा पशुओं और गायों की मृत्यु सिर्फ पॉलीथिन खाने की वजह से हो रही है।
गौ-रक्षा बना फैशन, गायों को कोई नहीं पूछता
एक तरफ भारतीय संस्कृति की पूजित गाय पॉलीथिन खाकर मरने को मजबूर हैं तो दूसरी तरफ गौ रक्षा के नाम पर मलाई काटने वालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।मंगलवार को राष्ट्रीय गौ रक्षा सेना द्वारा गो वंश के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक रैली निकाली गई। जिसे उत्तर प्रदेश गौसेवा आयोग के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह रैली प्रदेश भर में गौसेवा के लिए जन जागरण फैलाने का काम करेगी।
इतना ही नहीं सीएम योगी भी गौ वंश के संरक्षण के लिए कई बार चिंतित दिखाई देते हैं।मगर इन चिंताओं और अभियानों का कोई सकारात्मक प्रभाव जमीन पर दिखाई नहीं देता। लोग तो यह भी कहने लगे हैं की सरकार और उससे जुड़े विभाग अब गाय के नाम पर भी काली कमाई का रास्ता निकाल रहे हैं और उनका गायों की भलाई से वास्तव में कुछ भी लेना-देना नहीं है।
नगर विकास विभाग ने जारी किये 8.5 करोड़ रूपये
गौ रक्षा के लिए राज्य सरकार दृढ संकल्पित दिखती है लेकिन इसका कितना असर होता है यह भी जल्द ही पता चल जायेगा।एक सप्ताह पहले ही नगर विकास विभाग ने लखनऊ नगर निगम को 8.5 करोड़ रुपये की राशि जारी की है, जिसका उपयोग कान्हा उपवन में अतिरिक्त शेड बनाने में किया जाएगा। यह काम अगले एक महीने में पूरा होना है और इसके बाद कान्हा उपवन में 5 हजार और गायों को रखा जा सकेगा।
राज्य सरकार की यह मंशा वास्तव में पूरी होती है या गाय के नाम पर सम्बंधित अधिकारी और कर्मचारी इससे भी काली कमाई करते हैं यह भी जल्द ही साफ़ हो जायेगा।
मौजूदा हालात को देखते हुए यह कहा जा सकता है, जिस देश में गाय को पूजने की परम्परा रही है उसी देश में आज गाय के मांस सहित अंग अंग का व्यापार सच्चाई बन गया है। जिसे बदलने के लिए योजनाओ और रैलियों से ज्यादा मजबूत इच्छाशक्ति और ईमानदार पहल की जरुरत है।