Book Launch: युवा पीढ़ी को इंटरनेट की दुनिया से थोड़ा दूर होकर चिठ्ठी भी लिखना चाहिए

Book Launch: डाक विभाग का कविता संग्रह और बाल गीत पुस्तक फुर फुर का किया गया लोकार्पण। कवियों का भी हुआ सम्मान।

Update:2023-04-03 00:23 IST
हिंदी संस्थान लखनऊ में डाक विभाग का कविता संग्रह और बाल गीत पुस्तक का किया गया लोकार्पण: (Photo- Newstrack )

Book Launch: पत्र और चिठ्ठी लेखन जारी रहना चाहिए। इस युवा पीढ़ी को इंटरनेट की दुनिया से थोड़ा दूर होकर चिठ्ठी भी लिखना चाहिए। चिठ्ठी लेखन आपसी प्रेम को बढ़ावा देता है। यह बात पुस्तकों का लोकार्पण करते हुए कृष्ण कुमार यादव पीमजी वाराणसी ने कही। उन्होंने चिठ्ठियों के संयोजन की भी बात कही। हिंदी संस्थान लखनऊ में डाक विभाग की साहित्यिक विभूतियों का काव्य संग्रह और बाल गीतों की पुस्तक फुर फुर का लोकार्पण किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर कौशलेंद्र कुमार सिंह पूर्व चीफ पोस्ट मास्टर जनरल, उत्तर प्रदेश, पवन कुमार आईएएस, कृष्ण कुमार यादव पीएमजी, वाराणसी, पंकज कुमार सिंह जाइंट कमिश्नर जीएसटी ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभी किया। कृष्ण कुमार यादव “डाक विभाग से जुड़े महान विभूतियों की कड़ी बताते हैं। 130 वर्षों से डाक विभाग विभूतियों को अपनी सेवाएं प्रदान कर रहा है।

इन सभी विभूतियों ने डाक विभाग में साहित्य को बढ़ावा दिया। डाक विभाग कवियों की पुस्तक उपनिधि का दूसरा संकलन भी प्रकाशित हो जो मुख्यतः उत्तर प्रदेश के डाक विभाग के कवियों की कविताओं का संकलन हो। साहित्य, संस्कृति जैसे सभी विषयों पर डाक विभाग के कर्मचारी कविताएँ, लेख लिखते हैं।

“दुनिया के डाक घर प्रेम से चलते है,
दुनिया की कचहरी नफरत से चलती है।
दुनिया में डाक घर कम हो गए,
कचहरी बढ़ गयी।”

पुस्तकों का लोकार्पण

सभी मुख्य अतिथियों द्वारा उपनिधि उत्तर प्रदेश डाक विभाग की साहित्यिक विभूतियों की कविताओं का संग्रह का लोकार्पण किया गया। साथ ही गौरी शंकर वैश्य की फुर फुर पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया। फुर फुर किताब शिशु गीतों का एक संग्रह है।

डाक विभाग के कवियों का सम्मान

डाक विभाग से सेवानिवृत्त और वर्तमान में सेवा प्रदान कर रहे कवियों- खान बोनवी, रमेश भट्ट, केसरी प्रसाद शुक्ला, मयंक किशोर, योगेन्द्र मिश्रा, अखंड प्रताप सिंह आदि को मुख्य अतिथियों द्वारा उपनिधि सम्मान से सम्मानित किया गया। इन सभी डाक विभाग के अधिकारियों ने अपनी सेवा के साथ ही साहित्य और लेखनी के शौक को जीवंत रखते हुए विभिन्न कविताएँ, गजल और कहानियाँ लिखीं।

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