इन्क्रीमेन्टल कास्ट के नाम पर उपभोक्ताओं पर बोझ न पड़ने देंगे-श्रीकांत शर्मा

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि इन्क्रीमेन्टल कास्ट के नाम पर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं पर कोई बढ़ोत्तरी नहीं होने पायेगी। सरकार सस्ती बिजली उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने उपभोक्ता परिषद के प्रस्ताव को कार्यवाही के लिए चेयरमैन पावर कार्पोरेशन को भेज दिया है

Update:2020-01-06 20:28 IST

लखनऊ। इन्क्रीमेन्टल कास्ट के नाम पर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के बिलों में विगत दिनों की गयी गुपचुप बढ़ोत्तरी व पुनः रेगुलेटरी सरचार्ज बहाल कराने के लिए अपटेल में दाखिल याचिका के मुद्दे पर उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से मुलाकात की और जनहित का प्रस्ताव सौंपा।

इस मौके पर ऊर्जा मंत्री ने कहा कि इन्क्रीमेन्टल कास्ट के नाम पर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं पर कोई बढ़ोत्तरी नहीं होने पायेगी। सरकार सस्ती बिजली उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने उपभोक्ता परिषद के प्रस्ताव को कार्यवाही के लिए चेयरमैन पावर कार्पोरेशन को भेज दिया है।

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उपभोक्ता परिषद ने इस मौके पर गुपचुप बढ़ोत्तरी करने वाले उच्चाधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की भी मांग की। परिषद ने आरोप लगाया कि अधिकारियों के इस कदम से सरकार छवि धूमिल हुई है।

मामले के अनुसार पावर कारपोरेशन ने पूरे प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं पर इन्क्रीमेन्टल कास्ट के नाम पर 4 पैसे प्रति यूनिट से लेकर 66 पैसे प्रति यूनिट तक भार डाल दिया है, जिस पर नियामक आयोग ने रोक लगा दी थी। इसके बाद पावर कार्पोरेशन वर्ष 2019-20 में आयोग द्वारा तय टैरिफ के खिलाफ अपटेल नई दिल्ली में याचिका दाखिल कर चुका है।

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परिषद के इस पैतरे के खिलाफ उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने आज प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से शक्ति भवन स्थित उनके कार्यालय में मुलाकात की। श्री वर्मा ने पूरे प्रकरण पर लम्बी चर्चा की।

उपभोक्ताओं पर भार डालना बिल्कुल गलत

इसके बाद श्रीकांत शर्मा को जनहित प्रस्ताव सौंपते हुए यह मांग उठायी कि पावर कार्पोरेशन पिछले वर्षों में उपभोक्ताओं पर सबसे ज्यादा बिजली बढ़ोत्तरी कराने के बाद भी अब भी गुपचुप तरीके से आम जनता पर भार डलवाने की योजना में लगा है। जबकि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कम्पनियों पर ट्रूअप व उदय के मद में वर्ष 2017-18 तक लगभग 13337 करोड़ रूपया निकल रहा है। ऐसे में उपभोक्ताओं पर भार डलवाने की बात करना पूरी तरह गलत है।

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उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने ऊर्जा मंत्री के सामने यह मुद्दा भी उठाया कि बिजली कम्पनियों ने पुनः रेगुलेटरी सरचार्ज 4.28 प्रतिशत को बहाल कराने के लिए नियामक आयोग आदेश के खिलाफ अपटेल में मुकदमा दाखिल किया है, जो सरकार विरोधी उपभोक्ता नीति का खुलासा कर रहा है। ऐसे में अपटेल में दाखिल याचिका को अविलम्ब वापस कराया जाये।

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने इन्क्रीमेन्टल कास्ट के नाम पर गुपचुप बढ़ोत्तरी कराने वाले उच्चाधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की मांग भी उठायी और कहा इस पूरे प्रकरण से सरकार की छवि धूमिल हुई है, इसलिए सरकार दोषियों के खिलाफ करे कार्यवाही।

ऊर्जा मंत्री ने यह आश्वासन दिया

प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने उसी क्षण उपभोक्ता परिषद द्वारा सौंपे गये जनहित प्रस्ताव को नियामक आयोग चेयरमैन को कार्यवाही के लिए भेजते हुए उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष को यह आश्वासन दिया कि इस पूरे प्रकरण पर सरकार गम्भीर है। उपभोक्ताओं पर अब कोई भी इन्क्रीमेन्टल कास्त के नाम पर बढ़ोत्तरी नहीं होने दी जायेगी। सरकार का अब एक ही एजेण्डा है सस्ती बिजली सुलभ बिजली और उपभोक्ता सेवा में सुधार। आने वाले वर्षों में लाइन हानियों को सिंगल डिजिट में लाकर उपभोक्ताओं की बिजली दरों में राहत दी जायेगी।

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