सावधान: प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर धंधा चमका रहे प्राइवेट बिल्डरों से बचें
राजकुमार उपाध्याय
लखनऊ : घर एक ऐसी ख्वाहिश है, जिसे पूरा करने की तमन्ना हर आम आदमी के दिल में होती है। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना—सबके लिए आवास (शहरी) मिशन की शुरूआत की ताकि शहरी क्षेत्र के गरीब परिवारों को सस्ते में मकान हासिल हो सके। पर इसकी आड़ में निजी डेवलपर्स अपना धंधा चमकाने में लगे हैं।
बिल्डर्स बिना अनुमति या अप्रूवल के योजना के नाम का प्रचार सामग्रियों में धुआंधार इस्तेमाल कर रहे हैं। नतीजतन लोग सस्ते मकान के प्रलोभन में उनके जाल में फंस रहे हैं। प्रदेश भर में ऐसे बिल्डर्स का धंधा खूब फल—फूल रहा है।
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इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को मकान उपलब्ध कराने के लिए सरकार सहायता दे रही है। राजधानी में आवास विकास परिषद भी ऐसी कुछ कालोनियों का निर्माण कर रहा है। अब प्राइवेट बिल्डर्स इसी योजना के एक कम्पोनेंट अफोर्डेबल हाउसिंग इन पार्टनरशिप की आड़ में समाचार पत्र में विज्ञापन कर रहे हैं।
इसमें प्रधानमंत्री आवास योजना का बेरोक टोक इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसके झांसे में आकर लोग बिल्डरों के पास जाकर अपना मकान बुक करा रहे हैं। पर जब वह इसका लाभ प्राप्त करने के लिए बैंक जाते हैं तो बैंक से उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
आखिर क्यों ठगी जा रही आम जनता
सूडा के अधिकारियों के मुताबिक योजना का फायदा उन्हीं लोगों मिल सकता है। जिन्होंने इस योजना के तहत आनलाइन अथवा आफलाइन आवेदन किया हो और उन्हें आवेदन पर अप्रूवल मिला हो। यदि योजना के प्रावधानों के तहत कोई व्यक्ति मकान निर्माण करना या खरीदना चाहता है तो उसके लिए पहले जरूरी है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उसके आवेदन पर अप्रूवल मिला हो।
बैंक उसी आधार पर इस योजना के तहत लोन दे सकता है और प्रार्थी को छूट का फायदा मिल सकता है। अब वह चाहे मकान का निर्माण स्वंय करे या फिर किसी बिल्डर से खरीदे। पर यदि किसी व्यक्ति ने आनलाइन आवेदन नहीं किया है तो उसे इस पर छूट का फायदा नहीं मिलेगा। ऐसे में यदि कोई बिल्डर यह दावा करता है कि वह प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान और उस पर छूट उपलब्ध करा सकता है तो वह सरासर फर्जी है।
कोई निजी डेवपलर्स नहीं है इम्पैनल्ड, झांसे में आने से बचे जनता
सूडा के अधिकारियों के मुताबिक किसी भी निजी डेवलपर्स को अभी तक इम्पैनल्ड नहीं किया गया है। ऐसे में जो प्राइवेट बिल्डर प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम का इस्तेमाल कर विज्ञापन दे रहे हैं। उन पर कार्रवाई हो सकती है। इस योजना के आवेदन के लिए किसी से कुछ भी शुल्क नहीं लिया जा रहा है। जनता इनके झांसे में आने से बचे।
अखबार में डिस्कलेमर प्रकाशित करने की तैयारी में विभाग
इस फर्जीवाड़े के धंधे को देखते हुए विभाग अब समाचार पत्रों में डिस्कलेमर प्रकाशित करवाने की तैयारी में है। अधिकारियों का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवेदन के एवज में किसी से कोई धनराशि नहीं ली जा रही है। इसके अलावा यदि कोई इस योजना के नाम का दुरूपयोग करता है। उस पर विधिक कार्रवाई हो सकती है।
यूपी में योजना की नोडल एजेंसी है सूडा
सूबे में राज्य नगरीय विकास अभिकरण (सूडा) को प्रधानमंत्री आवास योजना के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी नामित किया गया है। इसके तहत मकान निर्माण के लिए सरकारी नोडल एजेंसियों के साथ पीपीपी माडल का भी प्रावधान किया गया है।
यूपी में प्रधानमंत्री आवास योजना से जुड़ी खास बातें
यूपी में इस योजना के तहत आवेदन की कट आफ डेट 31 मार्च ।
इस दौरान कुल 30 लाख आवेदन आए हैं।
वर्ष 2017 में 2.5 लाख परिवारों को मकान उपलब्ध कराने का लक्ष्य।
अगले साल भी 2.5 लाख लोगों को मकान उपलब्ध कराने का लक्ष्य।
अब तक 10.425 मकानों की डीपीआर सैक्शन हुई है।
इसमें 9401 लाभार्थियों ने अपनी सहमति दी है।
योजना से चार तरह से लोगों को लाभ
प्रधानमंत्री आवास योजना से चार तरह से लोगों को लाभ मिल सकता है। इसमें केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से लाभार्थी को सहायता राशि दी जाती है।
पहला—भूमि का संसाधन के रूप में उपयोग करके स्लम का पुनर्विकास
इसके तहत ऐसी सरकारी जमीनों को जिस पर अनाधिकृत रूप से कब्जे हैं। उन पर बसे लोगों को हटाया जाएगा। प्राइवेट—पब्लिक—पार्टनरशिप (पीपीपी) माडल पर टेंडर कर बहुमंजिला इमारतें बनाई जाएंगी। इनमें हटाए गए लोगों को आवास उपलब्ध होंगे।
इसमें लाभार्थी को 1.67 लाख रूपये सब्सिडी का प्रावधान है। यह राज्य सरकार पर भी निर्भर करता है कि वह स्लम क्षेत्र से हटाए गएं लोगों को मकान नि:शुल्क देती है या फिर उनको सिर्फ सब्सिडी उपलब्ध कराती है। सब्सिडी में एक लाख रूपये केंद्र सरकार और 67 हजार रूपये राज्य सरकार देगी।
दूसरा—भागीदारी में किफायती आवास (अफोर्डेबल हाउसिंग इन पार्टनरशिप)
इसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्लूएस) के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से आवासों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। ऐसे आवास सरकारी एजेंसियों के माध्यम से बनेंगे। इनका विक्रय मूल्य राज्य सरकार तय करेगी।
ऐसी आवास परियोजनाएं तभी अनुमोदित होंगी जब उनमें कम से कम 35 प्रतिशत ईडब्लूएस आवास प्रस्तावित होंगे। जिनकी न्यूनतम संख्या 250 होगी। इसके तहत 10 लाख के मकान पर 2.5 लाख तक सब्सिडी मिलेगी। इसमें 60 फीसदी केंद्रांश और 40 फीसदी राज्यांश शामिल होगा।
तीसरा—ऋण आधारित ब्याज सब्सिडी योजना (क्रेडिट लिंक सब्सिडी स्कीम)
इसके तहत EWS, LIG, MIG-1 और MIG-2 मकानों पर छूट मिलती है। इसमें EWS मकान के लिए वार्षिक आय तीन लाख रूपये और आवास 30 वर्ग मीटर तक होना चाहिए। LIG मकानों के लिए वार्षिक आय तीन से 6 लाख और आवास का आकार 60 वर्ग मीटर तक होना चाहिए। ऐस मकानों पर लोन में ब्याज दर पर 6.5 फीसदी की छूट मिलती है।
MIG-1 मकान के लिए सालाना आय 6 से 12 लाख होनी चाहिए। ऐसे मकानों पर लोन में चार फीसदी की छूट है।
MIG-2 मकानों के लिए सालाना आय 12 से 18 लाख के बीच होनी चाहिए। इन पर ब्याज दर में तीन प्रतिशत की छूट दी जाती है।
चौथा—लाभार्थी आधारित व्यक्तिगत आवास का निर्माण अथवा विस्तार(बेनिफिशियरी लैंड कन्सट्रक्शन)
इसके तहत वह लाभार्थी आते हैं। जिनकी इनकम प्रति माह 25 हजार से कम हो। पर इनके पास जमीन हो। तो सरकार इनको मकान बनाने के लिए धनराशि देती है। इसके तहत 2.5 लाख दिए जाने का प्रावधान है। यह पैसा तीन चरणों में मिलता है।
इसी तरह मकान के विस्तार के लिए अधिकतम 1.5 लाख की सहायता का प्रावधान है।