'अपमानित करने का इरादा हो तभी SC/ST के तहत होगी कार्रवाई,' इलाहाबाद HC ने कहा, ...रद्द किया स्पेशल कोर्ट का आदेश

Allahabad High Court News : मामले में याची के खिलाफ गाजियाबाद के कविनगर थाने में मारपीट करने, जाति आधारित गाली गलौज के आरोप में नीतू की ओर से प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।

Report :  aman
Update:2023-11-09 15:53 IST

Allahabad High Court (Social media)

Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा है कि, 'अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत ये स्पष्ट हो कि, आरोपी का इरादा अपमानित करने का था। केवल अधिनियम के आधार पर ये धारा नहीं लगाई जा सकती।'

हाईकोर्ट ने इसी के साथ गाजियाबाद एससी/एसटी के विशेष न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश को रद्द कर दिया। अदालत ने कहा, कि 'आरोपी पर आईपीसी की धारा- 323, 504, 506 और एससी/एसटी की धारा 3 (2) (वीए) के तहत पारित किया गया आदेश सही नहीं है।'

क्या है मामला?

ये आदेश जस्टिस साधना रानी ठाकुर (Justice Sadhna Rani Thakur) की एकल बेंच पीठ ने सीमा भारद्वाज (Seema Bhardwaj) नाम की महिला की अपील पर सुनवाई करते हुए दिया। मामले में याचिकाकर्ता के खिलाफ गाजियाबाद के कविनगर थाने में मारपीट करने, जाति आधारित गाली-गलौज करने के आरोप में नीतू की ओर से प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। शिकायतकर्ता सीमा का आरोप था कि आरोपी नीतू उसकी मां के साथ झगड़ा करती है। उन्हें जबरन गलत दवाई देती है। वह यह चाहती थी, कि पीड़िता नौकरी छोड़ दे।

हाईकोर्ट ने कहा- दो महीने में हो ट्रायल पूरी

आरोप है कि, याची ने 5 से 6 अज्ञात व्यक्तियों को भेजा। उन्होंने पीड़िता और उसकी मां को सड़क पर रोका। साथ ही जाति सूचक गालियों का प्रयोग किया। घर में काम न करने की धमकी दी। याचिकाकर्ता की ओर से ये भी तर्क दिया गया की घटना के समय वह मौके पर नहीं थी। जो भी हुआ होगा वह 5-6 व्यक्तियों द्वारा किया गया। अदालत ने तथ्य और परिस्थितियों के मद्देनजर एससी/एसटी कोर्ट द्वारा लिए गए संज्ञान के आदेश को रद्द करते हुए दो महीने में ट्रायल पूरा करने का निर्देश दिया।

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