Mahakumbh 2025: मौनी अमावस्या के अमृत स्नान के लिए महाकुम्भ में उमड़ा आस्था का सैलाब, दंडी स्वामी संतो ने शाही स्नान को लेकर किया बड़ा ऐलान
Mahakumbh 2025: महाकुंभ के सबसे बड़े स्नान पर्व मौनी अमावस्या के पहले महा कुम्भ में आस्था का रेला नजर आ रहा है। प्रशासन के मुताबिक आज शाम 6 बजे तक 4 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में पुण्य की डुबकी लगाई है।;
Mahakumbh 2025: महाकुम्भ नगर।प्रयागराज महाकुंभ के सबसे बड़े स्नान पर्व मौनी अमावस्या के पहले महा कुम्भ में आस्था का रेला नजर आ रहा है। प्रशासन के मुताबिक आज शाम 6 बजे तक 4 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में पुण्य की डुबकी लगाई है। इस स्नान पर्व के पहले आ रही श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए महा कुम्भ के प्रथम संत माने जाने वाले दंडी स्वामी संतो ने श्रद्धालुओं के हित में बड़ा ऐलान किया है।
दंडी स्वामी त्रिवेणी संगम में नहीं करेंगे शाही स्नान
प्रयागराज महाकुंभ में आ रहे हर श्रद्धालु और संत की एक ही कामना होती है मौनी अमावस्या में त्रिवेणी संगम में अमृत स्नान । लेकिन मौनी अमावस्या स्नान पर्व के पहले महाकुम्भ क्षेत्र में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़ की असुविधा को देखते हुए दंडी स्वामी समाज के संतों ने श्रद्धालुओं के हित में बड़ी पहल की है। अखिल भारतीय दंडी स्वामी परिषद के अध्यक्ष श्री मद जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी महेशाश्रम जी महराज का कहना है कि परम्परा के अनुसार दंडी स्वामी श्री पंच दशनाम जूना, अग्नि , आवाहन और निरंजनी अखाड़े के साथ ही शाही स्नान करते रहे हैं। प्रयागराज महाकुंभ का मकर संक्रांति का शाही स्नान भी दंडी स्वामी संतो ने जूना अखाड़े के साथ किया था लेकिन इस बार मौनी अमावस्या की भीड़ को देखते हुए श्रद्धालुओं के हित में परिषद ने फैसला किया है कि मौनी अमावस्या के शाही स्नान में दंडी समाज संगम के स्थान पर गंगा में ही अमृत स्नान करेगा। उन्होंने यह भी बताया है कि प्रशासन उन्हें संगम में स्नान की सुविधा दे रहा था लेकिन श्रद्धालुओं के हित में उन्होंने संगम में शाही स्नान न करने का फैसला लिया है।
गंगा के दशाश्वमेध घाट में करेंगे दंडी स्वामी शाही स्नान
प्रयागराज महाकुंभ मेंअखाड़ों के वैभव और आकर्षण की परम्परा से दूर सहज भाव से अपने इष्ट की आराधना में डूबे रहने वाले दंड धारी संत दंडी स्वामी कहलाते हैं इन्हें कुम्भ की आत्मा भी कहा जाता है। अर्ध कुम्भ हो या कुम्भ या फिर हर साल माघ के महीने में संगम तट पर लगने वाला माघ मेला इनकी मौजूदगी के बिना पूरा नहीं होता । आदि गुरु भगवान् शंकराचार्य की शांकर्य परम्परा से आने वाले इन संतो की सहजता और सरलता ही इन्हीं खास बनाती है। चारों शंकराचार्य भी इन्ही के बीच से चयनित होते हैं। इन्ही संतो ने अपने त्याग की एक और नजीर पेश करते हुए संगम की जगह गंगा नदी में मौनी अमावस्या का शाही स्नान करने का ऐलान किया है। अखिल भारतीय दंडी संत परिषद के अध्यक्ष स्वामी महेशाश्रम का कहना है कि गंगा जी के दशाश्वमेध घाट में सुबह 4 बजकर 5 मिनट में सभी दंडी स्वामी गंगा जी में शाही स्नान करेंगे।