Mahakumbh 2025: महाकुंभ के मौनी अमावस्या अमृत स्नान में कोई साध्वी नहीं , यह स्वर्ण सिंहासन होगा आकर्षण का केंद्र
Mahakumbh 2025: कुंभ क्षेत्र में बिखरी विविधता और अध्यात्म की दुनिया का हर कोना यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए उत्सुकता और जिज्ञासा का विषय है। महा कुम्भ का स्वर्ण सिंहासन भी महा कुम्भ में इन दिनों उत्सुकता का विषय बन गया है।;
Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ में धर्म ,अध्यात्म और साधना के विभिन्न रंग देखने को मिल रहे हैं। कुंभ क्षेत्र में बिखरी विविधता और अध्यात्म की दुनिया का हर कोना यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए उत्सुकता और जिज्ञासा का विषय है। महा कुम्भ का स्वर्ण सिंहासन भी महा कुम्भ में इन दिनों उत्सुकता का विषय बन गया है।
महाकुम्भ का स्वर्ण सिंहासन, मौनी अमावस्या अमृत स्नान पर आकर्षण का केंद्र
महाकुंभ में अभी तक कुंभ क्षेत्र के अखाड़ों में धूनी रमाए अलग अलग अंदाज के नागा संन्यासी और कुछ सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर चर्चा में थे । हर कोई महाकुंभ के अखाड़ा क्षेत्र में नागाओं की रहस्यमय दुनिया से रूबरू होना चाहता था लेकिन अब श्रद्धालुओं का आकर्षण अखाड़ा सेक्टर से हटकर एक स्वर्ण सिंहासन हो गया है। महाकुंभ के सेक्टर 14 में स्थापित यह स्वर्ण सिंहासन है श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़े के पीठाधीश्वर अवधूत बाबा आचार्य महामंडलेश्वर अरुण गिरी का। सोने की चौंधिया देने वाली इसकी चमक और उसमें की गई नक्काशी हर किसी का मन मोह लेगी । आवाहन अखाड़े के महा मंडलेश्वर स्वामी प्रकाशानंद बताते हैं कि आचार्य महामंडलेश्वर अरुण गिरी जी स्वर्ण आभूषण धारण करते है इसलिए लोग उन्हें गोल्डन बाबा के नाम से पुकारने लगे। उनके एक शिष्य ने उनकी इसी पहचान को देखते हुए उन्हें यह स्वर्ण सिंहासन भेंट किया है जिसको नक्काशी का यह स्वरूप देने में चार महीने लगे हैं।
मौनी अमावस्या के अमृत स्नान का आकर्षण होगा स्वर्ण सिंहासन
महाकुंभ में अलग अलग अंदाज के साधु संतो और नागा संन्यासियों के बाद अब महाकुंभ का स्वर्ण सिंहासन भी सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है। इस विशाल स्वर्ण सिंहासन पर सवार होकर श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अरुण गिरी जी अमावस्या का अमृत स्नान करेंगे । पूरी तरह गोल्ड से तैयार इस सिंहासन का वजन 251 किलो है । इसके साथ इसमें पैर रखने वाला मंच और आचार्य का स्टूल भी गोल्ड का बना हुआ है। इसके निर्माण के पीछे भी एक आध्यात्मिक वजह है। आचार्य महा मंडलेश्वर अरुण गिरी के शिष्य महा मंडलेश्वर प्रकाशानंद बताते हैं कि स्वर्ण सभी धातुओं में पवित्र माना जाता है, गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि अगर मैं किसी धातु में वास करता हूं तो वह स्वर्ण है ।रामायण में वनवास के समय माता सीता से दूर रहने के वक्त भगवान राम ने जंगल में जो यज्ञ कराया उसमें सीता की स्वर्ण मूर्ति रखी गई थी। इसी लिए यह सिंहासन पवित्रता को देखते हुए स्वर्ण का बनाया