Prayagraj News: सच बोलने का मन नहीं करता, कवियों ने श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध

Prayagraj News: बेटियों की महत्ता पर कहते हुए यह पंक्तियां शिवम हथगामी ने पढ़ीं। मौका था उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा हिंदी पखवाड़ा के तहत आयोजित कवि सम्मेलन

Report :  Syed Raza
Update:2024-09-27 18:23 IST

Prayagraj News ( Pic- Newstrack)

Prayagraj News: आज कोई कमजोर औरत नहीं और किसी से भी कम इनकी सोहरत नहीं, दो घरों को सजाती हैं ये बेटियां, बेटियों से बड़ी कोई दौलत नहीं। बेटियों की महत्ता पर कहते हुए यह पंक्तियां शिवम हथगामी ने पढ़ीं। मौका था उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा हिंदी पखवाड़ा के तहत आयोजित कवि सम्मेलन का। इसमें प्रयागराज के विभिन्न जिलों से आए कवियों ने अपनी शानदार पंक्तियों से श्रोताओं को हंसाया, गुदगुदाया और समाज की हकीकत भी सामने रखी। कार्यक्रम की शुरूआत मां की वंदना स्वर ताल छंद लय प्रखरतम सो ज्ञान दो हे मां ह्रदय में प्रेम का अद्भुत विहान दो से हुई।


इसके बाद भारती के भाल पर रचने को मुक्ति चिन्ह बलिदान हुई किसी श्वास को न भूलना, शांतिवादियों का इतिहास है प्रणम्य किन्तु क्रान्तिवादियों के इतिहास को न भूलना वीर रस के ये पंक्तियां विख्यात मिश्रा ने पढ़ी। कुमार विकास ने पढ़ा आपका चेहरा न उतर जाए, सच बताने का मन नहीं हैं। मिले आहट उसे कौन है ये सब जान लेती है, बिना चश्मे की मेरी मॉ मुझे पहचान लेती है। शिवम हथगामी की श्रृंगार की इस रचना ने श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। कवयित्री प्रीति पांडेय ने बेटियों को समाज का दर्पण कहते हुए पढ़ा कि कौन कहता है शूल हैं बेटी घर के आंगन का फूल हैं बेटी, उनके घर नेमतें बरसती हैं जग में जिनको कूबूल हैं बेटी। इसी क्रम में अभिजीत मिश्रा ने सुनाया दुनिया के प्रश्नों का हल तो नहीं ये पर दुनिया के अधरों पे ताले पड़ आये थे, लखन जी देख-देख रो रहे थे फूट- फूट कि अधरों पर ताले पड़ आए थे तथा सुशीत्व छांव है हिंदी, सुनहरी धूप है हिंदी, हमारे राष्ट्र के गरिमा के अनुरूप है हिंदी, हमारी भावनाओं का सहज प्रतिरूप है हिंदी।


धन्नजय शाश्वत ने हास्य कविता सुना कर दर्शकों को खूब गुदगुदाया उन्होंने पढ़ा धीरे-धीरे दम के भोर हो गयी, बातों से इस तरह पलट रही है जैसे यूपी की कार हो गयी है तथा नायक ही बनना है तो भगत सिंह, अशफाक बनना को सुनाकर श्रोताओं में देश के प्रति रक्त का संचार किया।हिंदी पखवाड़ा के तहत आयोजित निबंध प्रतियोगिता में विभिन्न कॉलेजों के छात्राओं ने प्रतिभाग किया था, जिसमें विजेता छात्रों को पुरस्कृत भी किया गया। जगत तारन बालिका इण्टरमीडिएट कॉलेज, प्रयागराज से प्रथम पुरस्कार अंशिका गुप्ता को द्वितीय अंजली शुक्ला को तथा तृतीय पुरस्कार काजल पाल को मिला। सेंट एंथोनी बालिका इण्टरमीडिएट कॉलेज से कृतिका सोनकर को प्रथम, आभा मौर्या व अन्नया को द्वितीय तथा निमिषा यादव को तृतीय पुरस्कार।


ज्वाला देवी विद्या मंदिर इण्टरमीडिएट कॉलेज से अनिरुद्ध वाजपेयी को प्रथम, नितिन मिश्र को द्वितीय तथा आशीष कुमार को तृतीय पुरस्कार मिला। रानी रेवती देवी सरस्वती विद्या निकेतन इण्टरमीडिएट कॉलेज से आदर्श गिरि को प्रथम, ऋचा सिंह को द्वितीय तथा अनुज कुमार पाल को तृतीय,जबकि 15 छात्राओं को सांत्वना पुरस्कार मिला।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्र के प्रभारी निदेशक आशिस गिरि ने कहा कि हम भारतीय कला, संस्कृति, साहित्य की जितनी चर्चा करते हैं पूरे विश्व में इतनी चर्चा कहीं नहीं होती है। हिंदी हमारी विरासत है। हर साल 15 दिन का हिंदी पखवाड़ा न होकर रोज हर दिन हमारी भाषा व संस्कृति के रूप होनी चाहिये। उन्होंने सभी छात्राओं को प्रमाण पत्र तथा पुरस्कार देकर उनका उत्साहवर्धन किया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता विख्यात मिश्रा तथा मंच का संचालन शरद मिश्रा ने किया। इस अवसर पर काफी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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