Kumbh 2025 : कैसे हाईटेक हो रहे हैं अखाड़े , जानकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे

Kumbh 2025 : सनातन धर्म के सर्वोच्च शिखर अखाड़े अखाड़ों में उनकी परंपराएं सबसे पहले हैं। अपनी परंपराओं को संरक्षित रखते हुए समय के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहे ये अखाड़े भी डिजिटलाइज हो रहे हैं।;

Report :  Dinesh Singh
Update:2024-12-10 19:10 IST

 कैसे हाईटेक हो रहे हैं अखाड़े , जान कर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे (newstrack)

Kumbh 2025: महाकुंभ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं और पर्यटकों का सबसे बड़ा आकर्षण होता है यहां का अखाड़ा सेक्टर और उसमें बसने वाले साधु संतों के 13 अखाड़े । लोगों को आकर्षित करती है उनकी परंपराएं जिसमें अखाड़ों की पेशवाई और शाही स्नान शामिल है। अखाड़ों और परम्परा का अटूट नाता है लेकिन परम्पराओं को संरक्षित रखते हुए भी ये अखाड़े अब डिजिटलाइजेशन की तरफ भी आगे बढ़ रहे हैं।

अपने-अपने डाटा बेस तैयार करने में जुटे हैं अखाड़े

सनातन धर्म के सर्वोच्च शिखर अखाड़े अखाड़ों में उनकी परंपराएं सबसे पहले हैं। अपनी परंपराओं को संरक्षित रखते हुए समय के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहे ये अखाड़े भी डिजिटलाइज हो रहे हैं। डिजिटल युग के मौजूदा दौर में इन अखाड़ों ने भी अपने प्रबंधन में डिजिटलाइजेशन को एंट्री देनी शुरू कर दी है। अखाड़े अपना-अपना डाटा बेस तैयार कर रहे हैं। महा निर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत जमुना पुरी कहते हैं कि हमारे अखाड़े में कंप्यूटर और बही-खाता दोनों का इस्तेमाल ऑडिट के लिए हो रहा है। इनकम टैक्स दाखिले के लिए जो भी रिकॉर्ड रखना होता है वह इसी डाटा बेस में रहता है । इसी से फाइल चार्टर्ड अकाउंट को भेज दी जाती है । श्री पंच अग्नि अखाड़े के महामंत्री सोमेश्वरानंद ब्रह्मचारी बताते हैं कि एक दौर था जब हम बही खाते से इसकी जानकारी ऑडिट के लिए देते थे लेकिन अब हम सबके पास गैजेट हैं हम उसी से जानकारी का आदान प्रदान करते हैं। हमारा अखाड़ा वेद शिक्षा और संस्कृत के विद्यालय भी चलाता है। इन विद्यालयों में छात्रों की संख्या से लेकर विद्यालय की आय-व्यय की पूरी जानकारी भी अखाड़े में बने डाटा बेस के माध्यम से एक जगह जमा करते हैं ।

अखाड़ों के समरसता और पर्यावरण अभियानों में होंगे मददगार

सनातन धर्म के अखाड़े सनातन संस्कृति का प्रचार प्रसार के साथ कई वैश्विक अभियान भी चलाते हैं। आवाहन अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अरुण गिरी जी का कहना है कि धर्म के साथ मानवता को बचाने के लिए भी अखाड़े कार्य कर रहे हैं। इसी के अंतर्गत वैश्विक स्तर पर समरसता और पर्यावरण संरक्षण अभियान हैं । हमने स्वयं वृक्षों को रोपित करने करने का जो महा अभियान चलाया है उसके लिए हम डाटा बेस भी बनवा रहे हैं। इससे समय की बचत और प्रबंधन में आसानी होगी।

विदेशों में होगा सनातन धर्म का प्रचार प्रसार

सनातन धर्म में कर्म कांड में उच्च वर्ग के एकाधिकार से वंचित वर्ग अभी इससे निकटता से नहीं जुड़ पाया। वंचित समाज के साथ सनातन धर्म की निकटता स्थापित करने में यह उपयोगी साबित होगा। आवाहन अखाड़े के आचार्य महा मंडलेश्वर अरुण गिरी महराज का कहना है कि नवाचार और विस्तार के लिए अखाड़ों को मौजूदा डिजिटल युग के अनुरूप ही आगे बढ़ना होगा। वंचित समाज को जागृत कर उन्हें सनातन धर्म की परम्परा से जोड़ने का उनका अनुभव भी यही है कि सभी समाजों तक सनातन धर्म की जड़ों को मजबूत करने के लिए उस समाज के सदस्यों की जानकारी एकत्र करना और उसका विश्लेषण भी जरूरी है । यह कार्य बिना डाटा बेस के संभव नहीं है। अपने इस अभियान के लिए वह भी डाटा बेस तैयार करवा रहे हैं।

वैष्णव अखाड़े अभी रेस से बाहर

वैष्णव अखाड़ों में भी डाटा बेस बनाने पर सहमति है लेकिन कुछ तकनीकी समस्याएं होने की वजह से इस समय वह इस रेस से बाहर हैं। अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अणि अखाड़े के श्री महंत राजेंद्र जी दास का कहना है कि वैष्णव अखाड़ों के पास अपने ट्रस्ट नहीं हैं। इसलिए ऑडिट की आवश्यकता उन्हें नहीं पड़ती । इसलिए वैष्णव अखाड़ों ने अपने अखाड़ों के डाटा बेस नहीं बनाए हैं। हरिद्वार में वैष्णव अखाड़ों का ट्रस्ट बन जाने के बाद हम भी इसके लिए प्रयास करेंगे।

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