History Of Naga Sadhu: कहां से आते हैं नागा साधु, कहाँ चले जाते हैं कुंभ मेले के बाद

History Of Naga Sadhu: कभी आपने सोचा है कि नागा साधु कुंभ मेले के बाद कहां चले जाते हैं। माना जाता है कि यह एकमात्र ऐसा समय होता है, जब ये लोग आम लोगों के बीच दिखाई देते हैं। इसके बाद अपने-अपने ठिकानों पर लौट जाते हैं। चलिए जानते हैं कि आखिर ये कहां रहते हैं।;

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2025-01-11 17:25 IST

Naga Sadhu (फोटो- आशुतोष त्रिपाठी, न्यूजट्रैक)

Maha Kumbh 2025: कुम्भ मेले में नागा साधु (Naga Sadhu In Kumbh Mela) लोगों के लिए कौतूहल का केंद्र होते हैं। इसकी वजह है नागा साधुओं का बेहद रहस्यमयी जीवन। वे एकांत में अपना जीवन जीते हैं लेकिन जब भी कुम्भ का आयोजन होता है, लाखों की तादाद में ये नागा साधु (Naga Sadhu) लोगों को नजर आये बिना कुम्भ तक पहुँच जाते हैं। माना जाता है कि कुंभ मेला (Kumbh Mela) एकमात्र ऐसा समय है जब ये आम लोगों के बीच दिखाई देते हैं।

कहाँ लौट जाते हैं (Naga Sadhu Kumbh Mela Ke Baad Kaha Chale Jate Hai)

Naga Sadhu (फोटो, आशुतोश त्रिपाठी, न्यूजट्रैक) 

कुंभ मेले के दौरान, नागा साधु अपने आखाड़ों का प्रतिनिधित्व करते हैं। कुंभ के बाद वे अपने-अपने आखाड़ों में लौट जाते हैं। आखाड़े भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित होते हैं और ये साधु वहीं रहते हैं। कुंभ में दो सबसे बड़े नागा अखाड़े महापरिनिर्वाणी अखाड़ा (Mahaparinirvani Akhara) और पंचदशनाम जूना अखाड़ा (Panch Dashnam Juna Akhara) हैं और ज्यादातर नागा साधु यहां से भी आते हैं।

- नागा साधु अपनी कठिन तपस्वी जीवन शैली के लिए जाने जाते हैं। कुंभ के बाद कई नागा साधु हिमालय पहाड़ों, जंगलों या अन्य शांत स्थलों में जाकर साधना और तप करते हैं।

- कुछ नागा साधु वाराणसी, हरिद्वार, ऋषिकेश, उज्जैन या प्रयागराज में निवास करते हैं। ये स्थान उनके लिए धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों का केंद्र होते हैं। वैसे भी नागा बनने के लिए या नए नागाओं की दीक्षा प्रयाग, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन के कुंभ में ही होती है।

- नागा साधु भारत भर में धार्मिक यात्राएं भी करते हैं। वे विभिन्न मंदिरों, तीर्थ स्थलों और धार्मिक आयोजनों में भाग लेकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं।

महत्वपूर्ण भूमिका (Naga Sadhu Ki Bhumika In Hindi)

Naga Sadhu (फोटो, आशुतोश त्रिपाठी, न्यूजट्रैक) 

संस्कृत में नागा शब्द का अर्थ पर्वत या पर्वतों में या उसके आसपास रहने वाला व्यक्ति होता है। नागा साधुओं का उल्लेख प्राचीन भारत के इतिहास में मिलता है। इनके अस्तित्व के प्रमाण मोहनजोदड़ो के सिक्कों और चित्रों में मिलते हैं, जिनमें वे भगवान शिव के पशुपतिनाथ अवतार की पूजा करते हुए दिखाए गए हैं। प्राचीन भारत में नागा साधु योद्धा-तपस्वी होते थे, जिन्हें सनातन धर्म की रक्षा का दायित्व दिया गया था। वे तलवार, त्रिशूल, गदा, तीर-धनुष जैसे हथियार रखते थे और मंदिरों की सुरक्षा के लिए शस्त्र कौशल रखते थे।

वे मुगल सेना और आक्रमणकारियों से शिव मंदिरों की रक्षा करने के लिए जाने जाते थे। नागा साधुओं ने मुगल बादशाह औरंगजेब की विशेष सेना को भी सौ से अधिक बार हराया था। वे आज भी अपने भीतर छिपे योद्धा कौशल के साथ आध्यात्मिक साधकों की तरह घूमते रहते हैं।

कुंभ मेले में नागा साधु

Naga Sadhu (फोटो, आशुतोश त्रिपाठी, न्यूजट्रैक) 

कुंभ मेले का सबसे महत्वपूर्ण आयोजन शाही स्नान है और इसका मुख्य पात्र नागा साधु होते हैं। कुंभ मेले की शुरुआत ही नागा साधुओं के औपचारिक स्नान से होती है। नदी के किनारे जुलूस निकाला जाता है, जिसका नेतृत्व नागा साधु करते हैं जो मंत्रों के जाप के बीच अपने युद्ध कौशल का प्रदर्शन करते हुए सजे हुए रथों पर सवार होते हैं। इसके बाद वे पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं।

Tags:    

Similar News