Mahakumbh Mela 1977 History: प्रयागराज का महाकुंभ मेला, वर्ष 1977 और 2025
Mahakumbh Mela 1977 History: 1977 के कुंभ मेले में मेरी नानी जी बलरामपुर जिला गोंडा से प्रयागराज के महाकुंभ में आने वाली थीं और इसके संबंध में उन्होंने एक पोस्टकार्ड के माध्यम से यह सूचना दिया था कि 5 जनवरी 1977 को वह बलरामपुर से 8 बजे प्रातः चलने वाली बस से प्रयागराज के लिए रवाना हो रही हैं।;
Mahakumbh Mela 1977 History: आज महाकुंभ मेला में गंगा नदी के कुंभ मेला क्षेत्र में घूमते हुए खोया पाया केंद्र से कोई भी उद्घोषणा नहीं सुनाई दी। तो 1977 के कुंभ मेला की एक पुरानी घटना की याद ताजा हो गई। आज हम मोबाइल फोन, गूगल मैप और गूगल लाइव लोकेशन वगैरह वगैरह से एक दूसरे के सतत जीवंत संपर्क में रहते हैं और किसी भी अनजान जगह पर खो नहीं जाते हैं बल्कि एक दूसरे को बहुत आसानी से तलाश लेते हैं।
वर्ष 1977 के कुंभ मेले की एक घटना का जिक्र इसलिए आवश्यक है क्योंकि उस समय आज जैसी तकनीकी विकसित नहीं थी। 1977 के कुंभ मेले में मेरी नानी जी बलरामपुर जिला गोंडा से प्रयागराज के महाकुंभ में आने वाली थीं और इसके संबंध में उन्होंने एक पोस्टकार्ड के माध्यम से यह सूचना दिया था कि 5 जनवरी 1977 को वह बलरामपुर से 8 बजे प्रातः चलने वाली बस से प्रयागराज के लिए रवाना हो रही हैं।
अब हमारी ड्यूटी इस काम के लिए लगाई गई की यह पता करो कि बस बलरामपुर से कितने बजे आएगी और कहां आकर रुकेगी और नानी जी को घर लेकर आना है। हम और हमारे बड़े भाई साहब दोनों लोग एक दिन पहले जाकर यह पता कर लौटे कि बलरामपुर से आने वाली उत्तर प्रदेश रोडवेज की बस कितने बजे लगभग आएगी और किस स्थान पर आकर रुकेगी। बस स्टेशन से यह पता चला था कि बलरामपुर से आने वाली मेला स्पेशल बसें केपी कॉलेज ग्राउंड में रुकेंगी।और यह बस शाम 6:00 बजे के लगभग पहुंचेगी।
हम लोग शाम 5:00 बजे से केपी कॉलेज ग्राउंड पर पहुंच गए और प्रत्येक बस जो बलरामपुर से आ रही थी उसमें उतरने वाले यात्रियों को देखकर यह ढूंढ रहे थे कि किस बस से हमारी नानी जी आ रही हैं। फिर लगभग 8:00 बजे रात में आने वाली बस से उन्हें रिसीव किया और घर लेकर आए।
आज के युग में मोबाइल फोन और लाइव लोकेशन की सुविधा देखकर यह बड़ा आश्चर्य हो रहा था कि लगभग 50 साल पहले 1977 में किस तरह से हम लोगों ने उन्हें बिना बस नंबर बिना बस के पहुंचने के समय की जानकारी के कैसे उन्हें ढूंढ लिया और घर लेकर आ गए। आज के समय में यह सब बहुत आसान हो गया है क्योंकि हर व्यक्ति के पास मोबाइल फोन और गूगल मैप के अतिरिक्त वाहनों की लाइव लोकेशन शेयर करने और प्राप्त करने की सुविधा है। इसके साथ ही बस व ट्रेन की लाइव लोकेशन उनका नंबर छूटने का समय और पहुंचने का समय वगैरह एक मिनट में मालूम पड़ जाता है।