Kumbh 2025: समुद्र मंथन के साक्षी नागवासुकि दिव्य धाम को महाकुंभ के पहले मिला अलौकिक स्वरूप, मोदी भी जा सकते हैं दिव्य धाम
Kumbh 2025: नाग वासुकि मंदिर का उल्लेख भारतीय पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। माना जाता है कि नागराज वासुकि ने सृष्टि की रक्षा के लिए समुद्र मंथन में भगवान विष्णु और देवताओं की सहायता की थी।
Kumbh 2025: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार राज्य के सांस्कृतिक व पौराणिक धरोहरों को संरक्षित करने की दिशा में अहम कदम उठा रही है। प्रयागराज स्थित नागवासुकि मंदिर इसका अनुपम उदाहरण है। एक ऐसा दिव्य धाम जो समुद्र मंथन में भूमिका निभाने तथा 'भगवान के कंठहार' के तौर पर प्रसिद्ध नागराज वासुकि को समर्पित है, वह वर्षों तक उपेक्षा और पराभव का दंश झेलकर जर्जर अवस्था में पहुंच गया था। मगर, सीएम योगी ने विरासत के संरक्षण और विकास के विजन को मिशन मानकर जब नागवासुकि मंदिर का जीर्णोद्धार, सौंदर्यीकरण और पर्यटक सुविधाओं से युक्त करने की प्रक्रिया शुरू की तो न केवल इसके दिन बहुरे बल्कि अब यह महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था व आकर्षण का केंद्र बनने के लिए तैयार है।
योगी सरकार के प्रयासों ने दिया विकास को आयाम
प्रदेश की पौराणिक, सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के संरक्षण के लिये संवेदनशील व कृतसंकल्प योगी सरकार के प्रयास नाग वासुकि मंदिर के पुरातन वैभव को एक बार फिर साकार करने की दिशा में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। यहां योगी सरकार द्वारा यहां 5.35 करोड़ रुपए खर्च कर सौंदर्यीकरण, सुदृढ़ीकरण, पर्यटक सुविधाओं के विकास, फसाड लाइटिंग, वॉल पेंटिंग, वॉल म्यूरल, सड़क निर्माण, मेला क्षेत्र से पॉन्टून पुल के जरिए कनेक्टिविटी, ओपन एयर जिम, झूले, सिटिंग एरिया व सेल्फी प्वॉइंट जैसी सुविधाओं का विकास किया गया है। यह पहल न केवल यहां धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दे रही है बल्कि प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के साथ ही भविष्य के बड़े पर्यटन आकर्षण के तौर पर पहचान पुख्ता कर रही है। यही कारण है कि 27 नवंबर के अपने पिछले दौरे पर सीएम योगी न केवल इस मंदिर में आए और नाग वासुकि समेत भीष्म पितामह के विग्रहों का पूजन किया, बल्कि यहां चल रहे सौंदर्यीकरण व विकास कार्यों का जायजा लिया और परियोजनाओं की प्रगति को लेकर संतोष जताया था।
कालसर्प दोष से मिलती है यहां मुक्ति
नाग वासुकि मंदिर का उल्लेख भारतीय पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। माना जाता है कि नागराज वासुकि ने सृष्टि की रक्षा के लिए समुद्र मंथन में भगवान विष्णु और देवताओं की सहायता की थी। माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान देवताओं-दानवों द्वारा मंदार पर्वत पर रस्सी के रूप में घर्षण किए जाने के कारण नागराज वासुकि लहुलुहान हो गए थे और उन्हें बहुत पीड़ा हो रही थी। ऐसे में, कुर्मावतार श्रीहरि विष्णु ने इसी स्थान पर समुद्र मंथन के बाद नागराज वासुकि को विश्राम करने का आदेश दिया था। प्रयागराज में स्थित यह मंदिर गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम के पास है, जो इसे धार्मिक दृष्टि से और अधिक महत्वपूर्ण बनाता है। प्रतिवर्ष हजारों भक्त यहाँ नाग पंचमी और कुंभ मेले के दौरान दर्शन के लिए आते हैं। माना जाता है है कि वासुकि नाग मंदिर में दर्शन व पूजन करने से काल सर्प दोष से मुक्ति तो मिलती ही है, साथ ही आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। इनके दर्शन के बिना तीर्थराज प्रयागराज के दर्शन-स्नान को अपूर्ण माना जाता है। यहां असि माधव का मंदिर भी स्थित है जिसके दर्शन के बिना प्रयागराज के द्वादश माधवों का दर्शन अपूर्ण माना जाता है।
इन सुविधाओं से नाग वासुकि मंदिर को किया गया है लैस...
-मंदिर परिसर के आसपास सड़कों का चौड़ीकरण, पेविंग और आधुनिक सुविधा केंद्र बनाए जा रहे हैं।
-मंदिर में भक्तों के लिए पार्किंग, रैन बसेरे, और जलपान केंद्र जैसी सुविधाओं का निर्माण किया जा रहा है।
-मंदिर के आसपास गंगा नदी के किनारे घाटों का सौंदर्यीकरण और हरियाली बढ़ाने पर ध्यान दिया गया है।
-रात में मंदिर की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए स्मार्ट व फसाड लाइटिंग तथा तकनीकी साधनों का उपयोग किया जा रहा है।
-मंदिर में नियमित तौर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और आध्यात्मिक उत्सव आयोजित करने की योजना बनाई गई है।
-मंदिर के प्राचीन शिलालेखों और मूर्तियों को संरक्षित करने के लिए विशेष तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।
-नाग वासुकि मंदिर के विकास को गंगा सफाई और संरक्षण अभियान के साथ जोड़ा गया है।