Prayagraj News: डॉक्यूमेंट्स में नाम बदलवाना मौलिक अधिकार, रोकने की मनमर्जी अब नहीं थोपेगा बोर्ड

Prayagraj News: कोर्ट धर्म जाति के आधार पर व्यक्ति को नाम बदलने का मौलिक अधिकार बताया गया है।

Update:2023-05-31 19:39 IST
Allahbadd Highcourt( Pic Credit - Social Media)

Prayagraj News: किसी ऑफिशियल दस्तावेजों में नाम बदलवाना एक जटिल प्रक्रियाओं में से एक माना जाता है। इस छोटे से काम के लिए लोगों को लम्बा समय निकालना पड़ता है। फिर भी यह काम टलता रहता है। इस प्रोसेस में काफी समय भी लग जाता है। वहीं बोर्ड भी फिर नियम का हवाला देकर और भी निराश कर देते है। ऐसे ही एक मामले में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला लिया है। कोर्ट ने स्कूली दस्तावेजों में नाम बदलवाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए एक फैसला सुनाया है। कोर्ट धर्म जाति के आधार पर व्यक्ति को नाम बदलने का मौलिक अधिकार बताया गया है। न्यायालय में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा इसके लिए निर्देश भी दिये गए है। कोर्ट ने कहा कि यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19(1)ए, अनुच्छेद 21व अनुच्छेद 14 के आधार पर भारत के प्रत्येक नागरिक को दी गई है। कोर्ट ने आगे कहा कि इस अधिकार को प्रतिबंधित करने का नियम मनमर्जी का है साथ ही यह नियम संविधान के विपरीत है।
जस्टिस अजय भनोट की सिंगल बेंच ने कहा कि किसी को भी अपनी मर्जी से नाम रखने का मूल अधिकार है।

याचिका पर सुनवाई करते हुए लिया फैसला

मिली जानकारी के अनुसार इलाहबाद हाईकोर्ट ने यह आदेश एमडी समीर राव की याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया है। शहनवाज ने धर्म परिवर्तन कर अपना नाम एमडी समीर राव रख लिया। याचिकाकर्ता ने अपना धर्म परिवर्तन करने के बाद स्कूली दस्तावेजों में नाम बदलने की अर्जी दी थी, जिसे बोर्ड ने नियमों को थोपते हुए साफ तौर पर मना कर दिया था। याची ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के अंक प्रमाण पत्र में नाम बदलने के लिए आवेदन किया था। याची के आवेदन को तय समय सीमा खत्म होने के आधार पर यूपी बोर्ड ने खारिज कर दिया था। तब याचिकाकर्ता ने बोर्ड के इस फैसले को हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल कर चुनौती दी थी।

कोर्ट ने माना संविधान के विरुद्ध

कोर्ट का कहना है कि किसी को अपना नाम बदलने खुद के डॉक्यूमेंट में बदलने से रोकना उसके मूल अधिकारों का हनन करने के समान है। कोर्ट ने इंटरमीडिएट रेग्यूलेशन 40 को अनुच्छेद 25 के विपरीत बताया है। जोकि संविधान के विरुद्ध है। कोर्ट ने आगे बताया कि यह नाम बदलने की समय सीमा तय करना उसके लिए शर्तें बनाना सब इन बोर्ड के नियम है जो वह जानता पर थोपती है। कोर्ट ने सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद के 24 दिसंबर 20 के आदेश को रद्द कर दिया है।

याचिकाकर्ता के नए प्रमाण पत्र जल्द से जल्द जारी करने के आदेश,

कोर्ट ने याचिका कर्ता की सुनवाई कर, आदेश दिया है कि याची को हाई स्कूल व इंटरमीडिएट प्रमाणपत्र में नाम परिवर्तित कर शहनवाज के स्थान पर एम डी समीर राव बदलकर नया प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने भारत सरकार के गृह सचिव व उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को डॉक्यूमेंट्स में नाम बदलने के संबंध में लीगल फ्रेम वर्क तैयार करने का भी आदेश दिया।

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