Prayagraj: CJI चंद्रचूड़ ने किया नेशनल ला यूनिवर्सिटी का उद्घाटन, CM योगी बोले- सुशासन की पहली शर्त है 'रूल ऑफ लॉ'
Prayagraj News: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारे जैसे जज के लिए अधिक बोलना और अधिक चुप रहना, दोनों ही ठीक नहीं है। वहीं उन्होंने आखिर में यह भी कहा कि इलाहाबाद मेरे लिए दूसरे घर की तरह है।'
National Law University inaugurated: यूपी के प्रयागराज में शुक्रवार (16 फरवरी) को डॉ. राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का उद्घाटन हुआ। उद्घाटन सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने किया। कार्यक्रम महाराणा प्रताप चौराहा स्थित इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन कन्वेंशन सेंटर में आयोजित हुआ। इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के अलावा हाईकोर्ट के कई जस्टिस भी शामिल हुए। सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस मनोज मिश्र (Justice Manoj Mishra) विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए।
CM योगी ने सीजेआई के पुराने फैसलों को किया याद
कार्यक्रम में अपने संबोधन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'प्रयागराज गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम के अलावा यह शहर ज्ञान का भी त्रिवेणी है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के बतौर चीफ जस्टिस इलाहाबाद हाईकोर्ट रहने के दौरान दिए गए फैसलों को सीएम योगी ने याद किया। उन्होंने कहा, 'आज डीवाई चंद्रचूड़ साहब की उपस्थिति में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का उद्घाटन होना, हम सबके लिए गौरवान्वित करने वाला पल है।'
सुशासन की पहली शर्त है 'रूल ऑफ लॉ'
सीएम योगी ने आगे कहा, 'भारतीय गणतंत्र के अमृत काल महोत्सव की शुरुआत के मौके पर नेशनल ला यूनिवर्सिटी की शुरुआत बेहद सुखद है। यह यूपी के लिए एक बड़ी उपलब्धि है कि यहां पर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की शुरुआत हो रही है। सीएम योगी ने आगे कहा, समूचे देश में उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। पीएम मोदी के निर्देशन में उत्तर प्रदेश तेजी से विकसित हो रहा है। उन्होंने कहा, कि यूपी में सुशासन भी स्थापित हुआ है। सुशासन की पहली शर्त है 'रूल ऑफ लॉ'। यह काम बिना बार और बेंच के सहयोग के नहीं हो सकता है।'
...जब संस्थाओं के पास बेहतर संसाधन हों
सीएम योगी ने कहा, 'उत्तर प्रदेश अब कुछ नया करने की दिशा में अग्रसर हो रहा है। सुशासन की पहली शर्त रूल ऑफ़ लॉ तभी संभव है, जब संस्थाओं के पास बेहतर संसाधन हों। उन्होंने कहा कि, आम आदमी का विश्वास न्यायपालिका पर बना हुआ है, आम आदमी के इस विश्वास को बनाए रखने और उसे आगे बढ़ाने में सरकार पूरा योगदान दे रही है। मुख्यमंत्री ने कहा, हमारी सरकार की तरफ से हर संभव मदद की जाती है और आगे भी की जाएगी। यह इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि अगर जनता का विश्वास टूटेगा तो वह सड़कों पर उतरेगी।'
युवा वकीलों के प्रशिक्षण के लिए सरकार सहयोग करेगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा, 'न्यायपालिका से जुड़ी हुई जो भी बातें हमारे सामने आती हैं, हम सकारात्मक कदम उठाते हैं और तुरंत फैसले लेते हैं। सरकार के इस सकारात्मक कदम से ही निष्कर्ष निकलते जा रहे हैं। उन्होने कहा, यह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी कई पीढ़ियों और कई युगों के लिए बेहद अहम साबित होगी। यूपी में युवा अधिवक्ताओं को ट्रेनिंग का कार्यक्रम भी इसी यूनिवर्सिटी में रखे जाने की योजना है। इस बारे में यूपी सरकार पूरा प्रयास कर रही है। सीएम योगी ने कहा कि, युवा वकीलों के प्रशिक्षण के लिए सरकार पूरी तरह से सहयोग करेगी'।
CJI ने लॉ यूनिवर्सिटी का नाम राजेंद्र प्रसाद से जोड़ने की सराहना की
वहीं, राजेंद्र प्रसाद नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के उद्घाटन में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने कहा कि, 'इस यूनिवर्सिटी का नाम डॉ. राजेंद्र प्रसाद से जोड़कर उनकी विरासत को सम्मान दिया गया है। राजेंद्र प्रसाद हमारे संविधान सभा के अध्यक्ष ही नहीं, बल्कि एक अच्छे वकील भी थे। कलकत्ता विश्वविद्यालय से पढ़ाई के बाद प्रयागराज आ गए। यहां पर आगे की शिक्षा ग्रहण करने के दौरान ही स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए। स्वतंत्र और आधुनिक भारत को बनाने में उन्होंने अपना योगदान दिया। नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का नाम राजेंद्र प्रसाद जी से जोड़कर उनके विचारों और विरासत को संजोने का काम किया गया है।'
चीफ जस्टिस ने CM योगी के कार्यों की सराहना की
इस दौरान सीजेआई ने यूपी सरकार और सीएम योगी के कार्यों की भी सराहना की। वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट में बतौर चीफ जस्टिस बिताए गए पौने तीन साल के कार्यकाल को भी उन्होंने याद किया। सीजेआई ने कहा कि यहां बिताए गए कार्यकाल के दौरान ही वह उत्तर प्रदेश की संस्कृति और यहां की विशिष्टताओं को समझ सके हैं। सीजेआई ने कहा कि, इलाहाबाद शताब्दियों से ज्ञान और विद्या का प्रमुख केंद्र बिंदु है। देश के विकास के लिए जरूरी रूल आफ ला में वकीलों का योगदान बेहद अहम होता है। उन्होंने कहा कि वकीलों की भूमिका राष्ट्र निर्माण में बहुत बड़ी है। रूल ऑफ़ ला ही न्याय का सबसे प्रमुख सिद्धांत है। लीगल एजुकेशन सिर्फ प्रोफेशनल बनाने के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र को आगे बढ़ाने वाले व्यति के तौर पर भी होनी चाहिए।'
'नए वकीलों की हो दोहरी भूमिका'
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने आगे कहा, 'नए वकीलों की दोहरी भूमिका होनी चाहिए। वकील को सिर्फ कानून का जानकार ही नहीं, बल्कि सामाजिक भी होना चाहिए। कानूनी शिक्षा के उद्देश्य को और बेहतर करना चाहिए। सीजेआई ने कहा कि युवा वकीलों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती जा रही है।कानून के क्षेत्र में नए विषयों को जोड़ने और बदलाव के साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता पर भी ध्यान देना चाहिए। इसमें लगातार प्रयास होते रहने चाहिए। सभी जगह समान शिक्षा पाठ्यक्रम होना चाहिए, ग्रामीण क्षेत्रों में भी शिक्षा का दायरा बढ़ाना चाहिए। शिक्षा में किसी तरह का भेदभाव या वर्गीकरण नहीं होना चाहिए।'
जो लोग अंग्रेजी नहीं जानते, उनके...
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि, 'अंग्रेजी को लेकर छात्रों में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा सुप्रीम कोर्ट में 36 हजार फैसलों का हिंदी अनुवाद कराया गया है। जो लोग अंग्रेजी नहीं जानते, उनके दरवाजे तक न्याय ले जाने की पहल की गई है, इस यूनिवर्सिटी को हिंदी में शिक्षा देने की भी पहल करनी चाहिए। तमाम प्रतिभाएं इससे सामने आ सकती हैं। सीजेआई ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में बराबरी की बात करके ही समाज में बराबरी लाई जा सकती है। शिक्षा का अवसर सभी को समान रूप से मिलना चाहिए। भाषा - जेंडर और रीजन के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। हमारी शिक्षा व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य मानवीय भावों को समझना और समस्याओं को दूर करने के साथ ही व्यवस्थाओं को और बेहतर करना होना चाहिए। शिक्षा का मुख्य उद्देश्य सामाजिकता लाना होना चाहिए। समाज के प्रति जिम्मेदार बनना होना चाहिए।'
सामाजिक-आर्थिक कमजोर छात्रों को मिले बराबरी
सीजेआई ने कहा कि, 'जिम्मेदार लोगों को यह सोचना चाहिए, कि हम विधि शिक्षा को किस तरफ ले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें भविष्य की चुनौतियों के लिए भी तैयार रहना चाहिए। सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को भी बराबरी से शिक्षा देना चाहिए। उनकी क्षमता में वृद्धि करनी चाहिए, यही इस विश्वविद्यालय का यह उद्देश्य होना चाहिए। सीजेआई ने कहा कि उत्तर प्रदेश की दोनों नेशनल ला यूनिवर्सिटी में प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए कि कौन बेहतर शिक्षा दे रहा है। अंत में कबीर दास के दोहे के जरिए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारे जैसे जज के लिए अधिक बोलना और अधिक चुप रहना, दोनों ही ठीक नहीं है। वहीं उन्होंने आखिर में यह भी कहा कि इलाहाबाद मेरे लिए दूसरे घर की तरह है।'