Prayagraj: रेप के आरोपी ने पीड़िता के मांगलिक होने के कारण शादी से किया इनकार, SC ने HC के आदेश पर लगाई रोक
Prayagraj News: शादी का झांसा देकर आरोपी ने उससे यौन संबंध स्थापित किए और फिर बाद में विवाह से मुकर गया। आरोप है कि आरोपी ने पीड़िता से सिर्फ इसलिए शादी करने से इनकार कर दिया क्योंकि वह मांगलिक है।
Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक अजीबो-गरीब मामला आया, जिसमें न्यायालय का आदेश भी कम अजीबो-गरीब नहीं है। दरअसल, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर पर एक लड़की ने रेप करने का आरोप लगाया है। लड़की का कहना है कि शादी का झांसा देकर आरोपी ने उससे यौन संबंध स्थापित किए और फिर बाद में विवाह से मुकर गया। आरोप है कि आरोपी ने पीड़िता से सिर्फ इसलिए शादी करने से इनकार कर दिया क्योंकि वह मांगलिक है।
आरोपी इस मामले में जमानत याचिका लेकर हाईकोर्ट पहुंचा था, जिस पर जस्टिस बृज राज सिंह ने सुनवाई की। सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने दलील दी कि पीड़िता और आरोपी के बीच विवाह नहीं हो सकता क्योंकि पीड़िता मांगलिक है। हालांकि, पीड़िता की ओर से पेश वकील ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि विरोधी पक्ष का दावा गलत है, उसकी क्लाएंट यानी पीड़िता मांगलिक नहीं है। मांगलिक का अर्थ होता है, जिसकी कुंडली में मंगल दोष हो।
हाईकोर्ट ने कुंडली जांच करने का दे दिया आदेश
दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस बृज राज सिंह ने एक ऐसा आदेश दिया, जो अब चर्चा का विषय बन चुका है। जस्टिस सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष को निर्देश दिया कि वो कथित बलात्कार पीड़िता की कुंडली की जांच करके बताएं कि वो मांगलिक है या नहीं। हाईकोर्ट ने तीन सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मामले को संज्ञान में लेते हुए हाईकोर्ट के आदेश में रोक लगा दी।
साथ ही अदालत ने पक्षकारों को दस दिनों के भीतर अपनी कुंडली हेड ऑफ डिपार्टमेंट (एचओडी) के समक्ष पेश करने का भी निर्देश दिया। कोर्ट ने लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष को सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा है। मामले में अगली सुनवाई 26 जून 2023 को होगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट का कुंडली जांच करने का आदेश इंटरनेट पर वायरल हो रहा है।
हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया रोक
सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के 23 मई के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें लखनऊ विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष (ज्योतिष विभाग) को यह निर्धारित करने का निर्देश दिया गया था कि कथित बलात्कार पीड़िता मंगली/मांगलिक है या नहीं। तीन सप्ताह में उसकी 'कुंडली' की जांच।