Sadhvi Rithambara: मां भारती का ही विग्रह हैं दीदी माँ ऋतम्भरा

Sadhvi Rithambara: माता और पिता ने उनका नाम रखा था निशा। उन्होंने स्वयं राम नाम की ऐसी अलख जगाई कि दुनिया ने साध्वी ऋतम्भरा के नाम से जाना। अब वह दीदी माँ हैं और सच में ऐसी ही हैं।;

Written By :  Sanjay Tiwari
Update:2025-01-26 15:32 IST

Mahakumbh 2025 News (Photo Social Media)

Sadhvi Rithambara: भारत सरकार के पद्म सम्मान घोषित हो गए। सभी नाम पूज्य, प्रणम्य और गर्व के योग्य हैं। एक नाम इनमें ऐसा भी है जो सीधा मेरे जीवन और मेरी चिंतन यात्रा से जुड़ा है। विश्व उन्हें साध्वी कहता है। वात्सल्यमूर्ति दीदी माँ मेरी दृष्टि में साक्षात् मां भारती का स्वरूप है हैं। भारतीय अध्यात्म, दर्शन, संत परंपरा, व्यास परंपरा और सेवा प्रकल्पों की निरंतर प्रवाहित धारा में यह नाम केवल एक साध्वी का नाम नहीं है बल्कि इसमें कोई भी भारतीयता का दर्शन कर सकता है। इनके जीवन की क्रांतिकारी आध्यात्मिक यात्रा पर लिखना शब्द सामर्थ्य से परे है। पूज्य गुरुदेव वेद पुरुष स्वामी परमानंद जी महाराज की शिष्या, भारत के चक्रवर्ती प्रधानमंत्री राष्ट्र ऋषि नरेंद्र मोदी जी के लिए दीदी माँ वास्तव में दीदी ही हैं जिसका प्रमाण रक्षाबंधन का पर्व ही दे देता है।

माता और पिता ने उनका नाम रखा था निशा। उन्होंने स्वयं राम नाम की ऐसी अलख जगाई कि दुनिया ने साध्वी ऋतम्भरा के नाम से जाना। अब वह दीदी माँ हैं और सच में ऐसी ही हैं।

ऋतम्भरा राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख किरदारों में 

भक्तों की दीदी मॉं साध्वी ऋतम्भरा राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख किरदारों में से एक हैं। साध्वी ऋतम्भरा ही थीं, जिन्होंने कहा, “हॉं हम हिंदू हैं, हिंदुस्तान हमारा है।” जिनमें खुलकर यह कहने का साहस था, “महाकाल बनकर दुश्मन से टकराएँगे, जहॉं बनी है मस्जिद, मंदिर वहीं बनाएँगे।”श्रीराम जन्मभूमि को वापस पाने का साध्वी ऋतंभरा का संघर्ष आसान नहीं था। उन्हें नीचा दिखाने की तमाम कोशिशें तत्कालीन सरकारों ने की थी। मुस्लिम तुष्टिकरण की मसीहा इन सरकारों ने इस तरह का माहौल बनाया गया जैसे वह साध्वी न होकर कोई आतंकी हों। ऐसे ही एक घटनाक्रम का जिक्र करते हुए साध्वी ऋतंभरा ने एक इंटरव्यू में बताया था, “एक बार दिग्विजय सिंह की सरकार ने मुझे गिरफ्तार कर बीच रास्ते में ही उतार दिया। रात का समय था। पैदल चलते समय मैं ठोकर खा कर गिर गई। एक पुलिसवाले ने मुझसे कहा- लाओ साध्वी तुम्हारा हाथ पकड़ लूँ। मैंने उसे जवाब देते हुए कहा- चंडी का हाथ पकड़ने का तुम में सामर्थ्य है?”

बहुत सी यादें

विगत 5 अगस्त 2019 को अयोध्या में भव्य राम मंदिर के भूमि पूजन से पहले एक बातचीत में उन्होंने आंदोलन से जुड़ी बहुत सी यादें ताजा की थीं। दीदी ने बताया था कि उन्होंने सरयू का जल हाथ में लेकर राम मंदिर निर्माण का संकल्प लिया था। वे कहती हैं, “मेरी तरुणाई श्रीराम जन्मभूमि को अर्पित हुई, इसका अगाध सुख है। राम मंदिर आंदोलन के लिए प्राण गँवाने वाले और जिन्होंने इस आंदोलन का नेतृत्व किया उनकी बस एक ही चाहत थी कि रामलला हमारे मंदिर में विराजमान हों। उनका संकल्प गत 22 जनवरी को ही पूरा हो चुका है। 491 वर्षों तक श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के निर्माण का स्वप्न संजोए जिन लाखों रामभक्तों ने संघर्ष करते हुए अपना बलिदान दिया, ये दिन उनकी आत्मिक शांति को समर्पित होगा।

आंदोलन का हिस्सा बनीं

दीदी माँ साध्वी ऋतम्भरा 1990 के दशक में राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा बनीं। विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा संचालित “श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन” का एक तेजस्वी चेहरा बनकर उभरीं। उन्होंने इस आंदोलन की सफलता के लिए सारे भारत में धर्म जागरण किया। उन्होंने इस आंदोलन के लिए हिन्दू समाज की विभिन्न जातियों को एकता के सूत्र में बाँधा। इसी एकात्म हुई हिन्दू शक्ति ने इस आंदोलन की सफलता के रूप में अपने आराध्य श्री रामलला की जन्मभूमि पर अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण का सम्पूर्ण न्यायालयीन अधिकार प्राप्त किया।

राम मंदिर आंदोलन में इस्तेमाल की कोशिश

राम मंदिर आंदोलन के समय की बातों का जिक्र करते हुए वह बताती हैं कि कुछ लोगों ने उनका इस्तेमाल करने भी कोशिश की। आंदोलन के समय एयरपोर्ट पर लोग मुझे आतंकवादी के रूप में देखते थे। 10 घंटे मुझे बैठाया जाता था। मेरी चेकिंग की जाती थी लेकिन मुझे पता था कि मैंने कोई अपराध नहीं किया था। उन्होंने कई बार याद किया है कि पुलिस से बचने के लिए वे उस समय भेष बदल कर यात्रा करती थीं। उस समय का दौर ऐसा था कि उन्हें खेतों, स्टेशनों, भिखारियों के बीच कितनी रातें भूखे-प्यास काटनी पड़ी। कई बार तो वे अनजान लोगों के घर भी आश्रय लेने को मजबूर हुईं। पुलिस के डर से लोग अपने घरों में उन्हें ठहराने से भी डरने लगे थे।

क्या करती हैं साध्वी ऋतंभरा

फिलहाल साध्वी ऋतंभरा श्रीकृष्ण की लीला स्थली वृंदावन में वात्सल्य ग्राम चलाती हैं। वात्सल्य ग्राम की पूरी परिकल्पना के माध्यम से वे भारतीय पारिवारिक व्यवस्था की सकारात्मकता पर जनमानस का ध्यान आकर्षित कर उसका प्रसार करने का सम्पूर्ण प्रयास कर रही हैं। इस वात्सल्य ग्राम से निकली भारत की बेटियां नए सनातन भारत के निर्माण में जुटी हैं। पूज्य दीदी माँ साध्वी ॠतम्भरा दीदी को पद्म सम्मान मिलने की कोटिशः शुभकामनाएं।।

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