Mauni Amavasya 2024: मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर उमड़ा आस्था का सैलाब, "कांटे वाले बाबा" बने आकर्षण का केंद्र
Mauni Amavasya 2024: इतने नुकीले कांटो के बीच में बाबा ने 37 साल कैसे गुजार दिए। जो भी श्रद्धालु कांटे वाले बाबा को देखता है, तो वह आश्चर्यचकित हो जाता है।
Mauni Amavasya 2024: प्रयागराज में चल रहे माघ मेले में मौनी अमावस्या के महापर्व पर लाखों श्रद्धालुओं ने कड़ाके की ठंड में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगाई। सुबह तड़के से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु संगम पहुंचे मौनी अमावस्या पर गंगा में डुबकी लगाई। संगम की पवित्र भूमि पर लगे सबसे बड़े धार्मिक मेले में अब बाबाओं के अद्भुत रंग भी देखने को मिल रहे हैं। मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर कांटे वाले बाबा आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
37 सालों से इस नुकीली शय्या पर
कांटे वाले बाबा का कहना है कि वह पिछले 37 सालों से नुकीले कांटों के साथ ही अपनी जिंदगी जी रहे हैं। देश प्रदेश में सुख शांति बनी रहे इसीलिए बाबा ने यह प्रण लिया है। हाथों से डमरु बजाकर श्रद्धालुओं का ध्यान अपनी और केंद्रित करते हैं और जो भी श्रद्धालु कांटे वाले बाबा को देखता है, तो वह आश्चर्यचकित हो जाता है। न जाने किस प्रकार सूखे नुकीले काटो के बीच में बाबा लेटते है और इसी मुद्रा में वह अपने श्रद्धालुओं को आशीर्वाद भी देते हैं।
फोटो खींचने वालों की लग गयी होड़
शाहजहांपुर से आए श्रद्धालु का कहना है कि उन्होंने पहली बार कांटे वाले बाबा को जब साक्षात देखा तो वह चकित होरह गए। हालांकि इससे पहले वह कई बार उनके बारे में सुन चुके थे कि कोई कांटे वाले बाबा भी संगम के तट पर आते हैं जो कई वर्षों से कांटो पर ही विराजमान हैं। ऐसे मे नुकीले कांटो के बीच में बाबा को देख कर के फोटो और सेल्फी लेने वालों की होड़ लग गई। कांटे वाले बाबा ने बताया कि जहां-जहां कुंभ का मेला लगता है वहां वह जरूर जाते हैं। साथ ही साथ पूरे देश में इसी तरह भ्रमण करते रहते हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि वह हैरत में है कि इतने नुकीले कांटो के बीच में बाबा ने 37 साल कैसे गुजार दिए। भारी संख्या में श्रद्धालु काटे वाले बाबा को देखने के लिए आ रहे हैं और उनसे आशीर्वाद ले रहे हैं। सुबह दस बजे तक 30 लाख से ज्यादा श्रद्धालु स्नान कर चुके थे. अनुमान के मुताबिक आज पूरे दिन में करीब डेढ़ करोड़ लोगों के स्नान करने का अनुमान लगाया गया है।
अनोखी तपस्या: कांटों की शय्या पर जीवन
मध्य प्रदेश से आए कांटे वाले बाबा का कहना है कि पहले नुकीले काटे तो उनको चुभते हैं लेकिन अब उनको इसकी आदत हो गई है। जब वह तपस्वी बन रहे थे। तब उनके गुरु ने कहा था कि कोई ऐसा कार्य करो जिसे करने में तुम्हें असंभव महसूस हो। उसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने प्रण लिया कि वह कांटो के बीच में रहकर अपनी पूरी जिंदगी बिताएंगे और 1987 से लेकर अभी तक वह इसी काटो की शय्या पर ही अपनी जिंदगी बिता रहे हैं ।