Prayagraj News: "लोक गीतों और नृत्यों की थिरकन बनी यादगार, शिल्प मेला के दूसरे दिन दर्शकों को भाया हरियाणा का लोकनृत्य
Prayagraj News: लोकनृत्यों की कड़ी में ओडिसा से आए पवित्र महापात्रा एवं दल ने शंखवादन एवं रणप्पा नृत्य की प्रस्तुति दी। इसके बाद नितुल चोटिया एवं दल ने बिहू नृत्य की प्रस्तुति देकर असम की संस्कृति की झलक दिखाई।
Prayagraj News: कलाकारों के लिए बेहतर मंच और मंत्रमुग्ध होते दर्शक। राष्ट्रीय शिल्प मेला में दर्शकों को विभिन्न प्रदेशों की संस्कृति, लोकनृत्य और लोकगायन से रूबरू होने का अवसर मिल रहा है। वह भी एक मंच पर। एक से बढ़कर एक प्रस्तुति से दर्शकों का सिर्फ मनोरंजन ही नहीं हो रहा है बल्कि वे विभिन्न प्रदेशों के सांस्कृतिक विरासत को भी जान पा रहे हैं। मिनी भारत के रूप में बसे शिल्पहाट में लोग खरीददारी के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद ले रहे हैं।
दूसरे दिन सोमवार शाम 5 बजे से संगीतोत्व की शुरूआत सुल्तानपुर से आई दीपिका मिश्रा एवं दल ने गणेश वंदना गणराज सुन लो विनती हमारी व घुमाओ राजा जी जी भर से की उसके बाद मेला घुमाओ राजा जी, गाड़ी वाले दुपट्टा उड़ा जाए रे, मोरी कदर नहीं जानी रे एवं नजर लागी राजा तोरे बंगले पे गीतों की प्रस्तुति देकर श्रोताओं से खूब तालियां बटोरी। प्रयागराज से आए आशुतोष श्रीवास्तव द्वारा महफ़िल में बार-बार उसी पर नज़र गई, कल चौदहवीं की रात थी शभ भर रहा..... तथा जब आंचल रात का लहराये को पेश कर खूब वाहवाही बटोरी।
लोकनृत्यों की कड़ी में ओडिसा से आए पवित्र महापात्रा एवं दल ने शंखवादन एवं रणप्पा नृत्य की प्रस्तुति दी। इसके बाद नितुल चोटिया एवं दल ने बिहू नृत्य की प्रस्तुति देकर असम की संस्कृति की झलक दिखाई। सुबोध परमाणिक एवं दल ने पाईका व छाऊ नृत्य पेश किया। नदीम राईन एवं दल द्वारा बधाई व नौराता नृत्य पेश कर खूब तालियां बटोरी सोनभद्र से आए बनारसी एवं दल ने कर्मा तथा सुमन परास्ते एवं दल द्वारा शैली नृत्य की प्रस्तुति दी गई।
प्रयागवासियों को लुभा रहा है शिल्प मेला
राजस्थान, पंजाब, लखनऊ, कश्मीर, बिहार, महाराष्ट्र, पं. बंगाल मिजोरम, दिल्ली, तमिलनाडु से आए शिल्पकारों के उत्पाद लोगों को खूब भ रहे हैं। वही लजीब व्यंजनों में राजस्थान की जलेबी तो गुलाबी ठंड में बिहार के चुरमा के साथ काफी की चुस्कियों के साथ लोग खूब खरीददारी कर रहे हैं, जबकि गुजरात का अमन ढोकला ,जलेबी फफड़ा व गुजरती ठेपला, दाबेली, खाडवी लोग बड़े चाव से पसंद कर रहे हैं।मेले में 160 स्टाल लगाए गए हैं। वही मैदानी कलाकारों में कच्ची घोड़ी मेले में आए लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। 12 दिसंबर तक चलने वाले इस मेले में दूसरे दिन 11 बजे से ही भीड़ जमा होने लगती है