केराकत (सु): आजादी के बाद पहली बार सपा को जीत का स्वाद चखाने वाले नेता को टिकट क्यों नहीं ?

UP Election 2022: केराकत (सु) विधान सभा आजदी के बाद से अभी तक हुए चुनाव में मात्र एक बार सपा का परचम लहरा सका है इस सीट का प्रतिनिधित्व गुलाब चन्द सरोज ने 2012 से 17 तक किया था।

Newstrack :  Network
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2022-01-28 09:30 IST

केराकत (सु) विधान सभा (फोटो-सोशल मीडिया)

UP Election 2022: जनपद के पूर्वांचल में स्थित 372 केराकत (सु) विधान सभा आजदी के बाद से अभी तक हुए चुनाव में मात्र एक बार सपा का परचम लहरा सका है इस सीट का प्रतिनिधित्व गुलाब चन्द सरोज ने 2012 से 17 तक किया था। लोकतंत्र के गठन के बाद से कांग्रेस और भाजपा का दबदबा इस सीट पर अधिक नजर आया है। क्षेत्र फल के नजरिये से यह विधान सभा जनपद की सबसे बड़ी विधान सभा है।

इस विधान सभा में 2022 के इस आम चुनाव में 4 लाख 14 हजार 291 मतदाता है जिसमें 2 लाख 14 हजार 334 पुरूष और 1 लाख 99 हजार 933 महिला मतदाता है जो 07 मार्च 22 को नयी विधान सभा के लिए अपने जन प्रतिनिधि का चयन करेंगे। इस विधान सभा में 287 मतदान केन्द्र और 488 मतदेय स्थल बनाये गये है। जहां पर मतदान प्रक्रिया सम्पन्न करायी जायेगी।

ऐसा रहा इतिहास

इस विधान सभा के इतिहास पर नजर डाली जाये तो आजादी के बाद से जब चुनाव शुरू हुए तब से लगातार कांग्रेस का कब्जा रहा 1977 जनता पार्टी से शम्भुनाथ विधायक बने थे लेकिन 1980 के उप चुनाव में फिर रामसमुझ राम कांग्रेस का कब्जा हो गया। 1985 में पुनः कांग्रेस के गजराज राम विधायक बने थे। 1989 में जनता दल से राजपति राम को जनता ने चुना।

इसके बाद 1991 में भाजपा का कब्जा हुआ और राम सागर विधायक बने फिर 1993 के चुनाव में सपा बसपा गठबंधन में बसपा से जगरनाथ चौधरी विधायक हो गये फिर 1996 में भाजपा का कमल खिला अशोक सोनकर विधायक बन गये। इसके बाद 2002 में भी कमल ही खिला इस बार सोमारू राम विधायक बने थे। लेकिन 2007 में बसपा काबिज हुई और विरजू राम को प्रतिनिधित्व का अवसर मिला था।

इसके बाद 2012 के चुनाव में सपा ने कर्मचारी नेता गुलाब चन्द सरोज पर दांव लगाया। इनकी लोकप्रियता और जातीय बन्धन से अलग सम्बन्धो के चलते आजादी के बाद पहली बार केराकत विधान सभा में सपा का झन्डा गड़ा और गुलाब चन्द सरोज विधायक बने और अपने पांच साल के कार्यकाल में विकास पुरूष के रूप में स्थापित हो गये थे।

2017 के चुनाव में सपा नेतृत्व ने गुलाब चन्द सरोज का टिकट काट कर तुफानी सरोज के कहने पर संजय सरोज को टिकट थमा दिया परिणाम हुआ कि सपा को पराजय का मुँह देखना पड़ा। 2017 के चुनाव में भाजपा ने फिर कब्जा जमाया और दिनेश चौधरी विधायक है।

अब 2022 के इस चुनाव में सपा का झन्डा पांच साल तक उठाने वाले और आजदी के बाद पहली बार सपा को जीत का स्वाद चखाने वाले पूर्व विधायक गुलाब चन्द सरोज की जगह तुफानी सरोज पर सपा ने दांव लगा दिया है।

आखिर क्या रहस्य है 

यहां बता दे कि बतौर सासंद तुफानी सरोज की छबि केराकत विधान सभा क्षेत्र में अच्छी नहीं मानी जा रही थी फिर भी सपा नेतृत्व ने उन्हे प्रत्याशी घोषित कर दिया है। टिकट घोषणा के बाद से ही केराकत विधान सभा के सपा जनों में चर्चा शुरू हो गयी है कि सपा नेतृत्व ने भाजपा वाक ओवर देने का काम कर दिया है।

इतना ही नहीं सपा के यादव कार्यकर्ताओ द्वारा तुफानी सरोज का पुतला फूंक कर अपनी मंशा को भी बता दिया गया है कि परिणाम क्या आने वाला है। विरोध की आवाज नेतृत्व तक पहुंचायी जा रही है। तुफानी सरोज को प्रत्याशी घोषित करने बाद जो नजारा देखने को मिल रहा है वह सपा के खिलाफ दिखायी दे रहा है।

अब यहां सवाल इस बात का है कि आखिर सपा नेतृत्व जब प्रदेश में सरकार बनाने के लिए करो मरो की स्थित में है तो जीत की गारंटी वाले को टिकट क्यों नहीं दिया। जिसकी छवि अच्छी नहीं है उसपर दांव लगाने का आखिर क्या रहस्य है ?

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