Prayagraj: संगम में छठ पूजा का हुआ समापन, महिलाओं ने छठ मैय्या से परिवार की सुख समृद्धि की प्रार्थना

संगम तट पर छठ पूजा के समापन पर आज सुबह 4 बजे से ही सुहागिन महिलाओं का जैसे सैलाब उमड़ पड़ा। महिलाओं ने उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर छठ मैय्या से परिवार की सुख समृद्धि की प्रार्थना की।

Report :  Syed Raza
Published By :  Deepak Kumar
Update: 2021-11-11 05:18 GMT

Chhath Puja 2022

Prayagraj: Prayagraj: संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) में संगम तट पर छठ पूजा (Chhath Puja) का समापन हो गया। उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर महिलाओं ने छठ मैय्या से परिवार की सुख समृद्धि की प्रार्थना की। आज सुबह 4 बजे से ही संगम तट पर सुहागिन महिलाओं का जैसे सैलाब उमड़ पड़ा। हर तरफ छठ की ही पूजा करते हुई महिलाएं ही दिखाई दे रही है। पूरा संगम क्षेत्र सूर्य उपासको की श्रद्धा से (सराबोर है। ) व्रत रखी महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखकर बीती शाम को गंगा और यमुना घाट पर जाकर डूबते सूर्य को अ‌र्घ्य दिया, जिसके बाद आज उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर छठ पूजा (Chhath Puja) का समापन किया। प्रयागराज (Prayagraj) को सूर्य क्षेत्र माना गया है जहां सूर्य की पुत्री खुद यमुना और सूर्य देवता विद्यामान है जिसके चलते इस क्षेत्र में त्रिवेणी के जल से डूबता और उगते सूर्य को अर्ध्य देने का मौका भाग्यवान सुहागिनों को ही मिलता है।


बीती शाम संगम से पूजा करने के बाद व्रत रखी महिलाएं पूरी रात भजन-कीर्तन करने के बाद आज भोर में फिर त्रिवेणी के घाट पर पहुंची। वहां अपनी बेदी पर पूजन करने के बाद उगते सूर्य को अ‌र्घ्य दिया। इस दौरान व्रत रखी महिलाओं के पति उनकी मांग में सिंदूर भराई की रस्म निभाई, जो अखंड सुहाग का प्रतीक है। महिलाओं ने पुत्र और पति के लिए तो व्रत रखा ही साथ ही साथ महंगाई और कोरोना भी देश से जल्द दूर हो इसके लिए भी कामना की है। छठ (Chhath Puja) की तैयारियां संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) में कई दिन पहले से ही शुरू हो गई थी।


सूर्य उपासना का महापर्व छठ (Chhath Puja) श्रद्धा पूर्वक मनाया गया। संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) में छठ पर्व (Chhath Puja) के आखिरी दिन संगम तट पर उगते सूरज को लाखों व्रती महिलाओं ने अर्घ्य दिया और अपने परिवार की सुख समृद्धि की प्रार्थना की। नहाय-खाय के साथ शुरू हुए छठ महापर्व (Chhath Puja) के अंतिम दिन संगम में लाखों लोगों की भीड़ उगते सूरज को अर्ध्य देती दिखी, इसके बाद व्रत का पारायण करके चार दिनों तक चले आस्था के इस महापर्व का समापन हुआ।

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