Jhansi News: रेलवे अस्पताल प्रकरणः ओपीडी सुविधा न देने पर डॉक्टर व नेता भिड़े
Jhansi News: अस्पताल छोड़कर चले गए डॉक्टर, रेलवे अस्पताल में तैनात संविदा के चिकित्सकों में भारी आक्रोश, उक्त संगठन के नेता भी अपने साथी की हरकतों से काफी दुखी हैं।
Jhansi News: डॉक्टर साहब, तुम्हें नेता से माफी मांगनी होगी, मैं मांफी क्यों मांगू, मेरी क्या गलती है, गलती आप भी कर रहे हैं, बिना मरीज के ओपीडी की सुविधा की नेता महोदय मांग कर रहे थे, मैंने सुविधा देने से मना कर दिया। इसके बावजूद उप मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, नेता के पक्ष में संविदा पर तैनात चिकित्सा से उलझ गए। बाद में संविदा पर तैनात डॉक्टर रेलवे अस्पताल से चला गया। इस घटना को लेकर संविदा पर तैनात रेलवे के चिकित्सकों में भारी आक्रोश व्याप्त है। यही नहीं, उक्त संगठन के नेता भी अपने साथी की हरकतों से काफी दुखी हैं।
नेताजी कहते हैं कि रेलवे अस्पताल उनके इशारे पर ही चलेगा!
उत्तर मध्य रेलवे के झाँसी मंडल में मंडलीय रेलवे अस्पताल है। इस अस्पताल में डॉक्टरों की काफी कमी है। रेलवे के संगठनों के प्रयास के बाद मंडलीय रेलवे अस्पताल में संविदा पर डॉक्टरों को तैनात किया जा रहा है। इस अस्पताल में रेलवे कर्मचारियों को अच्छा इलाज भी मुहैया करवाया जा रहा है, मगर नेतागिरी के चलते मंडलीय रेलवे अस्पताल का स्तर लगातार गिरता नजर आ रहा है। नेताजी कहते हैं कि रेलवे अस्पताल उनके इशारे पर ही चलेगा क्योंकि जब रेलवे कर्मचारियों का ठीक इलाज नहीं होगा तो उनकी नेतागिरी बंद हो जाएगी। ऐसा ही एक मामला मंडलीय रेलवे चिकित्सालय में आया है।
‘डॉक्टर साहब, ओपीडी की सुविधा देनी होगी’
रेलवे संगठन के एक नेता बुधवार को मंडलीय रेलवे अस्पताल पहुंचा। नेता ने डॉक्टर के सामने अपने रिश्तेदार का उम्मीद कार्ड रखा और दबाव बनाया कि कहा कि ओपीडी की सुविधा देना होगी। इस पर डॉक्टर महोदय ने नेता से कहा कि जिसका उम्मीद कार्ड है। वह व्यक्ति कहां पर है। जब तक संबंधित व्यक्ति नहीं आएगा तो वह कोई भी सुविधा नहीं दे सकते हैं। बिना मरीज के डॉक्टर ने नियमानुसार ओपीडी की सुविधा देने से मना कर दिया। यह बात सुनते ही नेताजी आग बबूला हो गए। वह डॉक्टर से उल्टा सीधा कहकर चले गए।
‘मैं माफी क्यों मांगू’
रेलवे अस्पताल में मौजूद उप मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के संज्ञान में उक्त मामले को लाया गया। यहां पर एक डॉक्टर पहले से मौजूद थे। नेता जी ने डॉक्टर की बात कही। इस पर उप मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने संबंधित डॉक्टर को अपने कक्ष में बुलाया और कहा कि तुम्हें माफी मांगनी होगी क्योंकि नेताजी से गलत व्यवहार किया। इस पर डॉक्टर ने कहा कि नेताजी सरासर गलत बोल रहे हैं। बिना मरीज के उम्मीद कार्ड पर ओपीडी की सुविधा लेने का प्रयास कर रहे थे। मैनें मरीज के सामने लाने की बात कही। मैं माफी क्यों मांगू, क्योंकि नेताजी सरासर गलत बोल रहे हैं। इस पर काफी देर तक विवाद होता रहा है। बाद में संविदा डॉक्टर रेलवे अस्पताल से चला गया। सूत्र बताते हैं कि उप मुख्य चिकित्सा अधीक्षक नेताजी का इसलिए सपोर्ट कर रहे थे क्योंकि जल्द से जल्द वह सीएमएस बनने वाले हैं। सीएमएस बनने के बाद वह कहीं न कहीं नेताओं के संरक्षण में रेलवे अस्पताल में पोस्टिंग हो जाएगी।
एक डॉक्टर ने पहले नौकरी छोड़ी थी, दूसरा डॉक्टर क्यों चला गया
रेलवे अस्पताल में कुछ तथाकथित नेताओं के चक्कर से रेलवे संगठनों की बदनामी हो रही हैं। नए-नए नेता अपने चंगुल में अफसरों को फंसाने की पूरी कोशिश करते मगर जब सीनियर नेताओं को इसकी जानकारी पता चलती तो छुटभैया नेताओं को खरी खोटी सुनाई जाती है। बताते हैं कि काफी दिनों पहले रेलवे अस्पताल में एक डॉक्टर इन्हीं कारणों के चलते नौकरी छोड़कर चला गया था। वहीं डॉक्टर संविदा पर फिर से वहां पर तैनात हो गया है। बुधवार को संविदा डॉक्टर रेलवे अस्पताल से चला गया। गुरुवार को वह ड्यूटी पर नहीं आया है।
संविदा के डॉक्टरों में काफी आक्रोश व्याप्त
रेलवे संगठनों के मेहनत से उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक ने मंडलीय रेलवे अस्पताल झांसी में संविदा डॉक्टरों की पोस्टिंग की है। इनमें एक डॉक्टर ग्वालियर भेजा गया जबकि तीन को झांसी में रखा गया है। तथाकथित नेताओं के चक्कर में रेलवे अस्पताल में हो रहे विवाद के चलते संविदा पर तैनात डॉक्टरों में काफी आक्रोश व्याप्त है। सूत्र बता रहे हैं कि यह डॉक्टर भी अब रेलवे अस्पताल में काम न करने का मन बना रहे हैं। क्योंकि रेलवे अस्पताल में पदस्थ उप मुख्य चिकित्सा अधीक्षक जैसे सीनियर डॉक्टर इस तरह के नेताओं को संरक्षण देंगे तो वह मरीज का ठीक तरह से इलाज नहीं कर सकेंगे।
फिक्स मेडिकल एलाउंस क्यों लेते सेवानिवृत्त रेलकर्मी
बताते हैं कि रेलवे से सेवानिवृत्त होने के बाद फिक्स मेडिकल एलाउंस का एक हजार प्रतिमाह मिलता है। उम्मीद कार्ड में ऐसे कर्मचारियों को ओपीडी सुविधा देने का प्रावधान बिल्कुल नहीं है। ऐसे कर्मचारियों को 10 क्रोनिक बीमारियों का इलाज उपलब्ध कराया जाता है, किन्तु ओपीडी की सुविधा नहीं मिलती है।