रेलकर्मचारियों ने काला फीता लगाकर किया विरोध प्रदर्शन
कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए आर एन यादव ने कहा कि सरकार ने कोविड-19 की आड़ में जिस प्रकार दुर्भावना पूर्ण तरीके से कर्मचारियों की छंटनी के लिये नये नये नियम ला रही है 55 वर्ष की आयु अथवा 33 वर्ष की नौकरी पर कर्मचारियों को रिटायर करने के इरादे पर अमल के प्रयास चल रहे हैं।
झाँसी: एआईआरएफ के आवाह्न पर महामंत्री आर डी यादव और मंडल मंत्री आर एन यादव के नेतृत्व में एनसीआरएमयू की सभी शाखाओं में केंद्र सरकार की हठधर्मिता और मजदूर विरोधी नीतियों के विरोध में राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस मनाया गया। इस अवसर पर कार्य के दौरान कर्मचारियों ने काला फीता लगाकर विरोध प्रदर्शन किया।
मंहगाई भत्ता वृद्धि पर रोक लगाना काफी निंदनीय
कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए आर एन यादव ने कहा कि सरकार ने कोविड-19 की आड़ में जिस प्रकार दुर्भावना पूर्ण तरीके से कर्मचारियों की छंटनी के लिये नये नये नियम ला रही है 55 वर्ष की आयु अथवा 33 वर्ष की नौकरी पर कर्मचारियों को रिटायर करने के इरादे पर अमल के प्रयास चल रहे हैं। इसके पीछे सरकार की निजीकरण और ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा देने की कुत्सित मंशा है।
इस वैश्विक आपदा के समय जब सभी प्राइवेट संस्थानों ने अपना कार्य बंद कर दिया था परिवहन, सुरक्षा यहां तक कि स्वास्थ्य सेवायें तक प्राइवेट संस्थाओं ने बंद कर दीं थी तब सरकारी कर्मचारी ही थे जो अपनी निर्बाध सेवायें देते रहे, क्योंकि प्राईवेट लोगों का इरादा सिर्फ और सिर्फ मुनाफाखोरी होता है जबकि सरकारी कर्मचारी सेवा भाव से कार्य करते हैं ।
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अठारह महीने तक मंहगाई भत्ता वृद्धि पर जो रोक लगाई गई है वह अत्यंत ही निंदनीय है। रेल कर्मचारियों ने बारह माह तक हर माह अपना एक दिन का वेतन प्रधानमंत्री केयर्स फंड में देना स्वेच्छा से स्वीकार किया है, इसके अतिरिक्त कर्मचारियों ने स्वेच्छा पूर्वक खुले दिल से अपनी अपनी क्षमतानुसार अलग से और भी सहयोग किया है, फिर भी कर्मचारियों का बढ़ा हुआ मंहगाई भत्ता इस प्रकार रोका जाना निंदनीय है।
निजीकरण और ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा दे रही हैं सरकार: आर एन यादव
जबकि अन्य सभी देशवासी अपने घरों में कोरोना के डर से बैठे रहे तब भी रेलकर्मी अपनी जान पर खेल कर लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिये मालगाड़ियों और श्रमिक स्पेशल का संचालन करते रहे, उसके इनाम के तौर पर डीए वृद्धि पर रोक मिली। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार ने जिस तरह श्रमिक हितों कानूनो को समाप्त किया उसका गंभीर परिणाम सरकार को भुगतना पड़ेगा। कोविड-19 के चलते मजदूरों की ताकत को कम समझ रही है लेकिन ऐसा नहीं है। कर्मचारियों में भारी आक्रोश है।
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अगर पंद्रह सूत्रीय मांगें नहीं मांगी गईं तो आगे आंदोलन और भी जोर पकड़ेगा। विरोध प्रदर्शन में मंडल अध्यक्ष एच एस चौहान, नीरज उपाध्याय, मनोज जाट, पवन झारखड़िया, अशोक त्रिपाठी, बी के यादव आईलिन लाल, पी के स्याल, रामनरेश यादव, अजय शर्मा, जगतपाल सिंह यादव, डी के खरे, अमर सिंह यादव, मनोज बघेल, एम पी द्विवेदी, सुनील पाल, भावेश सिंह शामिल रहे।