आरके चौधरी का आरोप- कांशीराम कहते थे कि मायावती को पैसों की हवस है

Update:2016-07-23 15:43 IST

अनुराग शुक्ला

लखनऊ: बसपा के संस्थापक कांशीराम के साथी रहे आरके चौधरी अब बहुजन समाज पार्टी से नाता तोड़ चुके है। इससे पहले भी एक बार वह बसपा से किनारा कर मूल बीएस-4 बना चुके थे। आरके चौधरी अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मिलकर यूपी में नए समीकरण गढ़ने में लगे है। newztrack से एक्सक्लूसिव बातचीत में उन्होंने कहा कि मायावती ने पार्टी को प्रॉपर्टी बना दिया है और आरोप लगाया कि कांशीराम खुद कहते थे कि मायावती को पैसों की हवस है। आरके चौधरी से अनुराग शुक्ला की बातचीत के अंश।

सवाल-बसपा प्रमुख मायावती खुद को देवी कहती हैं। आप क्या कहेंगे?

जवाब-हां उन्हें बनी बनाई पार्टी मिल गयी है। उनका ना तो कोई वैचारिक आधार है न ही उनकी कोई सोच है। ऐसे में वह खुद को देवी ही मानेंगी। बिना संघर्ष सब कुछ मिल गया है तो वह खुद को देवी देवा कुछ भी मान सकती हैं।

सवाल-आप कांशीराम जी के साथ रहे हैं। पहले और अब में क्या अंतर है?

जवाब-पहले पार्टी कार्यकर्ताओं की थी। गरीब से गरीब कार्यकर्ता को भी पार्टी सपोर्ट करती थी। आपको 1993 की एक घटना बताऊं, तत्कालीन फैजाबाद और अब अंबेडकरनगर की एक सीट थी जहांगीरगंज। वहां से एक शिक्षक थे घामूराम भास्कर। सपा-बसपा का गठबंधन था। कांशीराम जी ने मुझे यूपी का कोआर्डिनेटर बनाया था। भास्कर जी ने जीत का दावा किया। मैंने कांशीराम जी से परिचय कराया, कहा कि अच्छे कार्यकर्ता हैं पर इनके पास पैसे नहीं है। भास्कर ने कांशीराम जी को बताया कि मैं शिक्षक हूं और मेरी तनख्वाह 200 रुपये प्रतिमाह है। पार्टी ने उन्हें 10 हजार रुपये दिए और कांशीराम जी खुद उनके प्रचार में गए। वह 73 हजार वोट पाकर जीत गये। अब तो सब पैसे का खेल है।

सवाल-पैसे का खेल मतलब ?

जवाब-पैसे का खेल मतलब अब बसपा में सिर्फ पैसा चलता है। उदाहरण के लिए मैं आपको जौनपुर की एक सीट बता रहा हूं। मडियाहूं। यहां से बसपा के उम्मीदवार हैं श्री भोलानाथ शुक्ला। उनका कोई राजनैतिक पृष्ठभूमि नहीं है। न तो किसी दल में रहे हैं न ही राजनीति की है। उनकी योग्यता यह है कि उनके पास प्रदेश भर में 25 टोल गेट है। इनमें से 6 उन्होंने सुश्री मायावती के नाम कर दिए हैं। तो वह पार्टी के उम्मीदवार बन गए।

सवाल-किस तरह के राजनीतिक हालात हैं आजकल?

जवाब-मैं आपको कांशीराम जी की एक बात बताता हूं। उन्होंने 1994 में कहा था कि मायावती को पैसा बटोरने की हवस है। दरअसल उन्होंने पार्टी को प्रापर्टी बना दिया। उन्होंने 80 बड़े प्लॉट (संसदीय सीट) काट रखे हैं और 403 छोटे प्लाट (विधानसभा सीट) काट रखे हैं। हर विधानसभा और लोकसभा चुनाव में वह निश्चित रकम लेकर किसी को भी ये प्लॉट अलॉट कर देती हैं। इसके अलावा राज्यसभा और विधानपरिषद के प्लॉट अलग हैं, जो छह साल के लिए आवंटित किए जाते हैं।

सवाल-बसपा काडर का अब क्या हाल देखते हैं आप ?

जवाब-अब तो पार्टी में सिर्फ पैसों की बात होती है। इस पर ठेकेदार, दबंग, माफिया, बाहुबली और धनवानों का ही कब्जा है। बदली कार्यशैली से बसपा काडर बहुत दुखी है। काडर को लगातार अपमानित किया जाता है। कार्यकर्ता की कोई पूछ ही नहीं है। अभद्र भाषा का उपयोग किया जाता है।

सवाल-बसपा प्रमुख के खिलाफ बोले गए शब्द और भाजपा के प्रकरण पर क्या कहेंगे?

जवाब-मैं खुद को इससे अलग करता हूं। ये बात जरुर है कि किसी के सम्मान के खिलाफ कोई बात नहीं की जानी चाहिए। पर मुझे इस पर कुछ नहीं कहना।

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