Lakhimpur Kheri Violence : योगी सरकार ने सुलगते लखीमपुर को सूझबूझ से बचाया, पश्चिम यूपी में तैनात रहे अधिकारियों को लगाया मोर्चे पर

Lakhimpur Kheri Violence : यूपी के लखीमपुर खीरी में किसानों को रौंदे जाने की खबर किसी चिंगारी की तरह पूरे देश में फैली थी।

Written By :  Akhilesh Tiwari
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-10-06 15:12 GMT

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की फाइल तस्वीर (फोटो-न्यूजट्रैक)

Lakhimpur Kheri Violence : लखीमपुर खीरी में किसानों को रौंदे जाने की खबर किसी चिंगारी की तरह पूरे देश में फैली थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब तक इसकी तपिश महसूस की गई। वारदात में दो सिख किसानों की मौके पर मौत होने के बाद लखीमपुर खीरी ही नहीं आस-पास के जिले भी बारूद के ढेर पर थे।

अगले चौबीस घंटे में कुछ भी अनर्थ होने की आशंका ने सरकार की भी चिंता बढ़ा दी थी। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ न केवल गोरखपुर दौरा छोड़कर वापस राजधानी आए, बल्कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में तैनात रहे। अधिकारियों को मौके पर भेजने का फैसला किया। मुख्यमंत्री का यह फैसला कारगर साबित हुआ। पूरे इलाके में शांति बनी रही और महज दो दिन के अंदर राजनीतिक दलों को भी वहां जाने की पूरी छूट दे दी गई।

किसान आंदोलन का खुला समर्थन

लखीमपुर खीरी जिला वैसे तो अवध क्षेत्र की तराई से जुड़ा है । लेकिन यहां बड़े किसानों में ज्यादातर सिख समुदाय के लोग हैं। किसान कानून विरोधी आंदोलन को चूंकि पंजाब से ताकत मिल रही है । इस वजह से यहां के भी सिख निवासी किसान आंदोलन का खुला समर्थन कर रहे हैं।

केंद्रीय गृहमंत्री राज्य अजय मिश्र टेनी का मंच से चेतावनी वाला बयान भी इसी समुदाय के बारे में बताया जा रहा है। ऐसे में जब उनके बेटे पर सिख किसानों को कुचलने का आरोप लगा तो पूरा तराई इलाका ही जैसे ज्वालामुखी की तरह गर्म होने लगा था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब गोरखपुर से लखनऊ पहुंचे तो उन्होंने तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों की मीटिंग बुलाई।

इस मीटिंग में ही तय किया गया कि मौके पर तत्काल प्रभावशाली टीम को भेजा जाए। ऐसे में एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार ने मौके पर जाने की पेशकश की। वह मेरठ जोन के एडीजी रह चुके हैं। पश्चिम उत्तर प्रदेश के नेताओं के साथ उनके अच्छे संबंध हैं। उनके साथ ही एसपी 112 अजयपाल शर्मा को भी लखीमपुर भेजा गया।


गुड गवर्नेंस का अहसास

अजयपाल शर्मा पंजाब के मूल निवासी हैं और पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई जिलों में तैनात रहे हैं। पंजाबी भाषी होने की वजह से वह सिख किसानों को सुरक्षा का भरोसा दिलाने में कामयाब रहे। उन्हें भेजने की एक वजह यह भी रही कि किसान आंदोलन के समय भी उन्हें स्पेशल फोर्स के साथ पीलीभीत भेजा गया था।

फील्ड में प्रशांत कुमार और अजयपाल शर्मा मौजूद थे , तो अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने राजधानी में रहकर कमान संभाली। फील्ड की एक—एक समस्या का तत्काल समाधान सुझाया।

इसका असर यह हुआ कि योगी के अफसरों की यह टीम किसानों को समझौते की राह दिखा सकी। जिन भी लोगों की शिकायत थी उसका न्यूनतम समय में समाधान कराया। लोगों को योगी सरकार की गुड गवर्नेंस का अहसास दिलाया और राजनीतिक दलों से चुनावी बारिश में छई —छपा—छई करने का मौका छीन लिया।

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