लखनऊ: घर के बुजुर्गों को समस्या मत मानिये। बुजुर्गों के अनुभव से सीखिए। एक बुजुर्ग का न रहना एक समृद्ध पुस्तकालय का अंत है। इस बात को समझिये। हमारे बजुर्ग हमारी थाती हैं। उनका संरक्षण और सम्मान जरुरी है। तभी उनसे सीख कर समाज को सकारात्मक दिशा दी जा सकती है। यह बातें सामाजिक संगठनो की एक महत्वपूर्ण बैठक में कही गयीं। राजधानी में शनिवार को यूनाइट फाउंडेशन की ओऱ से वरिष्ठजनों की सामाजिक सहभागिता और उनकी समस्याओं के व्यावहारिक समाधान की तलाश के लिए सक्रिय सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक का आयोजन किया था । योग्य वरिष्ठ जनों की सहभागिता से ज्ञानार्जन और समाज में कुछ बेहतर करने के प्रयास को लेकर आयोजित इस बैठक में सभी लोगों ने अपने अपने विचार रखें।
वरिष्ठ जनों का साथ बढ़ाता है उत्साह
आचार्य वीसी द्विवेदी ने कहा कि वरिष्ठ जनों का साथ हमारे उत्साह को बढ़ाता है। वहीं यूनाइट फाउंडेशन के सचिव सौरभ मिश्रा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि हम सभी खुशनसीब हैं कि हमें बुजुर्गों का आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है। हमारे यहां लोगों की आयु अधिक होती है यह वास्तव में सौभाग्य का विषय है। जिंदगी को नजदीक से देखने पर यह एहसास होता है कि 60 साल की आयु के बाद खुद को रिटायर समझना वास्तव में ब्रिटिश कल्चर का हिस्सा है। जबकि हमारे यहां बुजुर्गों का मान सम्मान और उनकी जिम्मेदारियां हमेशा से ही ज्यादा रहती हैं। हम जिस परिवार में रहते हैं वहां आज भी कोई निमंत्रण सबसे बुजुर्ग व्यक्ति के नाम से ही आता है फिर वह आदेशित करते हैं कि सभी को जाना है। घर के बुजुर्ग ही आज भी यह निर्णय करते हैं कि अगर घर में एक टीवी भी आता है तो सभी के आय से कुछ हिस्सा लेकर आता है। वरिष्ठ जनों को लेकर आ रही समस्याओं के संदर्भ में उनका कहना था कि ६० साल की आय़ु में आने के बाद लोगों के पास समय बढ़ जाता है और व्यस्तता कम हो जाती है। हमें वरिष्ठ जनों से समय समय पर प्रेरणात्मक वर्तालाप अवश्य करना चाहिए।
प्रकृति के तीन नियम
वरिष्ठ जनों के लिए मुख्यतः प्रकृति के तीन नियमों को उदाहरण की तरह देखना चाहिए। उदाहरण के तौर पर जिस तरह खाली पड़ी भूमि पर कुछ ही दिनों में जंगल उपज जाता है उसी तरह इंसान के खाली रहने पर उसके अन्दर नकारात्मकता जन्म ले लेती है। प्रकृति का नियम है जो जैसा है वैसा ही प्रसार वह आगे करेगा। सुखी व्यक्ति सुख को आगे बढाएगा जबकि दुखी व्यक्ति दुख को आगे बढाएगा वह उसी तरह की वार्तालाप करेगा। वरिष्ठ लोगों को तीसरे नियम के तहत ध्यान देना चाहिए कि वह अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें। जिस तरह ज्यादा खाने से हाजमा खराब होता है और इंसान बीमार हो जाता है उसी तरह ज्यादा पैसा आने से और ज्ञान आने पर भी इंसान को उसी दिशा में बहते नहीं जाना चाहिए औऱ चीजों को ध्यान देना चाहिए। अगर हम बुजुर्गों को मोटिवेट करेंगे तो परिणाम सकारात्मक ही होगा।
बुढ़ापा है हमारी सोंच
आचार्य वीसी द्विवेदी ने कहा कि वरिष्ठ जनों का ख्याल रखना हम सभी का दायित्व है। अपनी समिति का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि हमारे वहां एक ऐसा ग्रुप है जो कि रोज सुबह शाम फोन कर वरिष्ठ जनों का हालचाल जानता है। यह सिर्फ इसलिए किया जाता है जिससे उनकी कुशलता का पता चल सके। समिति का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि इस समिति में महिलाओं की सहभागिता भी है। हमारे साथ में तकरीबन 75 फीसदी से अधिक महिलाओं एक्टिव मेंबर के तौर पर जुड़ी हुई हैं। अगर आप कभी भी उस समिति में आते हैं तो आप भूल जाएंगे के हम वरिष्ठ हो चुके हैं। बुढ़ापा वास्तव में कुछ औऱ नहीं बल्कि हमारी सोच में होता है। सोच बदलते ही सब कुछ परिवर्तित हो जाता है।
इस घटना ने दी बुजुर्गों के लिए कार्य करने की प्रेरणा
यूनाइट फाउंडेशन के कोषाध्यक्ष भास्कर दुबे ने अपने विचार रखते हुए बताया कि किस तरह आज से तीन वर्ष पूर्व हुई एक घटना ने समिति को बुजुर्गों के लिए कुछ करने की प्रेरणा दी। उन्होंने बताया कि तकरीबन ३२ वर्षों पत्रकारिता के अनुभव के बाद तीन वर्ष पूर्व एक बार ऐसी घटना हुई जब विदेश में रहने वाले लोग अपने बुजुर्गों से बात नहीं कर पा रहे थे। जिसके बाद संस्था के सचिव सौरभ मिश्रा ने कहा कि क्यों न हम एक ऐसा समूह बनाए जो अकेले रह रहे बुजुर्गों के लिए काम कर सके। वह ग्रुप जो अकेले रहने वाले बुजुर्गों से बात करे उनकी कुशलता जाने औऱ उन्हें अकेला न महसूस होने दे। इसी के साथ किसी भी परिस्थिति में उन्हें सुविधा मौजूद करवा सके। वरिष्ठ पत्रकार राधे श्याम दीक्षित ने कहा कि वास्तव में आज समाज में योग्यता की कमी नहीं है। उदाहण के तौर पर १०० में से ८० लोगों ने प्रयास अवश्य किया है। भले ही उनका प्रयास सफल न हो सका या वह उसे लगातार जारी नहीं रख सकें। जिसके चलते वह लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकें।
बुजुर्गों के अनुभव का उठाइये लाभ
कामता प्रसाद ने वरिष्ठ जनों को ज्ञान और अनुभव की खान बताते हुए कहा कि बुजुर्गों के पास असीमित ज्ञान होता है। यह वह ज्ञान होता है जो उन्होंने अपने जीवन के कई सालों में अर्जित किया होता है। इसका सम्मान किया जाना चाहिए। कार्यक्रम के दौरान महर्षि विश्वविद्यालय के वीसी एच.के. द्विवेदी ने अपने तमाम अनुभव साझा करते हुए बताया कि वह तकरीबन चार साल पहले राजधानी में आए इसके बाद उन्होंने कई छात्र समूह बनाए और अपनी सोच को मूर्त रूप देने की दिशा में काम किया। इसी के साथ कई बच्चों द्वारा वरिष्ठ जनों को लेकर बनाई गयी योजनाओं का भी उन्होंने जिक्र किया।
प्रेम भाव की कमी
देवेन्द्र कुमार मोदी ने कहा दिसम्बर २०१२ में बैक से रिटायर होने के बाद मेरी सहभागिता सामाजिक कार्यों में बढ़ी। वरिष्ठ जनों को लेकर विचार रखते हुए उन्होंने कहा कि पहले के समय में परिवार बड़ा होता था। बुजुर्गों और घर के बच्चों में प्रेम भाव होता था। लेकिन आज प्रेम भाव की कमी हो गयी है।
बुजुर्गों को समस्या की तरह न देखें
कार्यक्रम के दौरान देह दान पर अपने विचार रखते हुए प्रेम नारायण मल्होत्रा ने बताया कि अगर हम अपने आर्गेन डोनेट करते हैं तो हमारा कुछ नहीं जाता। इसी के साथ उन्होंने यह भी जिक्र किया कि किस तरह वह अपने घर में बुजुर्गों के लिए डे केयर सेंटर का संचालन करते हैं। प्रेम नाराय़ण बताते हैं कि नेत्र दान करने के बाद दिसम्बर 2008 में अपने जन्मदिन के दिन कुछ नया करने के उद्देश्य़ से उन्होंने पीजीआई जाकर अपने आर्गेन्स को दान में दिया।
अपने विचारों को साझा करते हुए अली हसनैन आब्दी ने कहा कि भारत में बुजुर्ग अब एक समस्या की तरह देखे जाते हैं। आज बुजुर्ग नौजावानों की बात को नहीं मानना चाहते जो समस्या का कारण बन रहा है।
बहुत कुछ सीखना है बाकी
वैदेही वेलफेयर फाउंडेशन की रूबी राज सिन्हा ने बताया कि किस तरह उन्होंने अपनी सासू जी के नाम पर संस्था की शुरुआत की और वह निरन्तर उसमें लगी हुई हैं। पिछले कार्यों का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि महज 15 माह के भीतर 20 से अधिक मेडिकल कैंप लगाकर वह 20 हजार से ज्यादा लोगों को निशुल्क दवा उपलब्ध करवा चुकी हैं। सामाजिक बदलावों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भले ही उनकी उम्र कम है लेकिन वह इस कार्यक्रम में कुछ सीखने के उद्देश्य से आई हैं।
इस बैठक के दौरान बैठक में यूनाइट फाउंडेशन के अध्यक्ष पीयूष कांत मिश्रा, उपाध्यक्ष पी के त्रिपाठी, सचिव सौरभ मिश्रा, कोषाध्यक्ष भास्कर दुबे औऱ न्यूजटाइम्स नेटवर्क के रेजीडेंट एडीटर राधे श्याम दीक्षित, वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति के आचार्य वीसी द्विवेदी, समाधान फाउंडेशन के अरुणेंद्र श्रीवास्तव, जे एल दास, महर्षि विश्विद्यालय के वीसी एच के द्विवेदी, प्रेम नारायण मल्होत्रा, रूबी राज सिन्हा, आब्दी समेत तमाम लोग मौजूद रहें। कार्यक्रम संयोजक संदीप पाण्डेय, प्रदीप जोशी, रजनीश कुमार वर्मा, सुजीत कुमार, मो. अतहर रजा, अखिलेश मिश्र, सुयोग्य राज द्विवेदी आदि समेत करीब 50 से अधिक लोगो ने भी अपनी सहभागिता निभाई।