कानपुरः सिविल सर्विसेज के एग्जाम में 5वीं रैंक हासिल करने वाले शशांक त्रिपाठी के सपने आम आदमी से जुड़े हैं। वह समाज को खोखला करने वाले भ्रष्टाचार को समाप्त कर विभिन्न क्षेत्रों में काम करना चाहते हैं। कानपुर आईआईटी से केमिकल इंजिनियरिंग कर चुके शशांक ने आईएफएस की जगह आईएएस का ऑप्शन चुना है। उन्होंने बताया कि ग्राउंड लेवल पर काम करने और लोगों की समस्याएं सुलझाने के इसमें कई मौके हैं, जो मैं पहले नहीं कर सका।
कौन है शशांक त्रिपाठी
-शशांक त्रिपाठी कानपुर के कल्यानपुर के रहने वाले हैं। उनके पिता श्रीनारायण त्रिपाठी जुगुल देवी विद्या मंदिर कॉलेज में बाबू हैं।
-घर में बचपन से ही पढ़ाई का माहौल था। बड़े भाई मयंक मुंबई के नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में इंस्पेक्टर हैं।
-छोटा भाई ऋषभ ग्रेजुएशन कर रहा है। मां सुमन हाउस वाइफ हैं।
पिता के कॉलेज में ली एजुकेशन
-जिस काॅलेज में पिता क्लर्क हैं उसी काॅलेज से शशांक ने 10वीं में 95 पर्सेंट और 12वीं में 92 पर्सेंट मार्क्स हासिल किए।
-2008 में जेईई के रास्ते आईआईटी कानपुर पहुंचा। यहां से केमिकल इंजिनियरिंग में बीटेक किया।
-शशांक कहते हैं, पहले प्रयास में 2015 में मुझे 273वीं रैंक मिली थी।
आईएस बनकर ग्राउंड लेवल पर काम करने की इच्छा
-शशांक ने कहा कि मैं अब नागपुर में ट्रेनी आईआरएस के पद पर काम कर रहा हूं।
-लेकिन मैं आईएएस बनकर ग्राउंड लेवल पर ज्यादा काम करना चाहता था।
-कई बार मैंने लोगों को मुश्किलों में देखा, लेकिन कुछ कर नहीं सका।
-यही वजह है कि मैंने दोबारा यूपीएससी एग्जाम देने के बारे में सोचा।
-पिछले साल मेरी सेकंड चॉइस आईआरएस ही थी। फॉरेन सर्विस में भी देश के लिए काम करने के बेहतरीन मौके होते हैं।
-भारत को दुनिया के सामने पेश करने का मौका मिलना बेहद स्पेशल होता है।
सेल्फ स्टडी के साथ दिल्ली में की कोचिंग
-शशांक के मुताबिक, मैंने सेल्फ स्टडी के अलावा दिल्ली में कोचिंग की, लेकिन बेसिक बातें साफ हैं।
-किसी भी सब्जेक्ट का कॉन्सेप्ट क्लियर रखें। मार्क्स के पीछे न भागें।
-इससे आसानी होगी। हमारा फोकस समस्याओं से लड़ने के बजाय उसको सुलझाने पर होना चाहिए।
शशांक के पिता श्रीनारायण त्रिपाठी के मुताबिक
-शशांक शुरुआत से ही पढ़ाई में बहुत अच्छा था, लेकिन हम मिडिल क्लास फैमली से थे यही सोचते थे कि बेटे को प्रोफेशनल डिग्री कैसे दिलाएंगे।
-हमने अपने शौक को मारकर बच्चे के भविष्य की तरफ ध्यान दिया।
-शशांक पहले अपनी कोचिंग पढ़ने जाता था इसके बाद समय निकालकर वह बच्चों को कोचिंग भी पढ़ाता था।