Shravasti News : जिले के लोगों को हीट वेव से बचाने में श्रावस्ती को यूपी में मिला दूसरा स्थान, बताया बचाव का उपाय
Shravasti News: डीएम अजय कुमार द्विवेदी ने बताया है कि प्रदेश में हीटवेव के आहट के साथ ही आम जनमानस को हीटवेव से बचाने की तैयारियां शुरू हो गयी हैं।;
जिले के लोगों को हीट वेव से बचाने में श्रावस्ती को यूपी में मिला दूसरा स्थान(Photo: Social Media)
Shravasti News: डीएम अजय कुमार द्विवेदी ने बताया है कि प्रदेश में हीटवेव के आहट के साथ ही आम जनमानस को हीटवेव से बचाने की तैयारियां शुरू हो गयी हैं। इस विषय पर आयोजित राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में जनपद श्रावस्ती के जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को सूबे में द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ है।
यह पुरस्कार आपदा विशेषज्ञ अरुण कुमार मिश्र को प्रदान किया
जनपद में 14 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम, आपदा मित्रों के माध्यम से जन जागरुकता हेतु पोस्टर वितरण कार्यक्रम एवं अग्निकांड के समय रेडक्रॉस द्वारा दी जाने वाली त्वरित सहायता के दृष्टिगत जनपद को यह पुरस्कार प्राप्त हुआ । उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी ने लखनऊ के बाल्मी संस्थान में यह पुरस्कार आपदा विशेषज्ञ श्रावस्ती अरुण कुमार मिश्र को प्रदान किया है।
डीएम ने बताया कि मार्च माह से हीट वेव (लू) की चपेट में आ जाता हैं। इस लू के चलते कई मौतें हो जाती है।इन दिनों उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा में हीट वेव शुरू हो गया हैं। इस बीच, हीट वेव के प्रभाव को देखते हुए कई राज्यों ने ग्रीष्मकालीन अवकाश की तारीखों में बदलाव हो रहा है।
लू सामान्य जन जीवन को बुरी तरह प्रभावित करती
बताया कि हीट वेव जानलेवा बन चुकी लू सामान्य जन जीवन को बुरी तरह प्रभावित करती हैं। हीट वेव का स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।हीट वेव अत्यधिक गर्म मौसम की अवधि है जो आमतौर पर दो या उससे अधिक दिनों तक रहती है। जब तापमान किसी दिए गए क्षेत्र के सामान्य औसत से अधिक हो जाता है तो उसे हीट वेव कहते हैं।
उन्होंने कहा कि लू की घटनाएं मौसम में दिन-प्रतिदिन बदलाव का एक स्वाभाविक हिस्सा हैं। जैसे-जैसे पृथ्वी की जलवायु गर्म होती जा रही है, वैसे-वैसे दिन और रात सामान्य से अधिक गर्म होते जा रहे हैं और हीट वेव की घटनाएं बढ़ रही हैं। इससे मौतों और बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। बताया है कि जब मैदानी इलाकों का अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक और पहाड़ी क्षेत्रों का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तो लू चलने लगती है। यदि तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, तो यह खतरनाक लू की श्रेणी में कही जाती है। तटीय क्षेत्रों में जब तापमान 37 डिग्री सेल्सियस हो जाता है तो लू चलने लगती हैं।यह मुख्य रूप से मार्च से जून के दौरान और कुछ दुर्लभ मामलों में जुलाई में भी होती है। हालांकि भारत में इन गर्म हवाओं का चरम महीना मई है।
हीट वेव के होते हैं कई लक्षण
उन्होंने बताया कि हीट वेव के स्वास्थ्य प्रभावों में आमतौर पर पानी की कमी (डिहाइड्रेशन), ऐंठन, उष्माघात आदि शामिल होते हैं। 39 डिग्री सेल्सियस से कम बुखार, सूजन और बेहोशी आमतौर पर ऐंठन के लक्षण होते हैं। थकान, कमजोरी, चक्कर आना, सिरदर्द, उल्टी, मांसपेशियां ऐंठन और पसीना लू लगने के संकेत देते हैं। उष्माघात के लक्षणों में शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक, दौरे या कोमा शामिल हैं। यह एक घातक स्थिति मानी जाती है।