श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह: जिला जज ने स्वीकार किया रिवीजन पिटीशन, अब लोअर कोर्ट में होगी सुनवाई

Shahi Idgah Mosque Case: अदालत ने शाही ईदगाह मामले में रिवीजन पिटीशन स्वीकार कर ली।

Report :  Nitin Gautam
Written By :  Krishna Chaudhary
Published By :  Ragini Sinha
Update:2022-05-19 15:22 IST

शाही ईदगाह मामला (Social media)

Mathura News: ज्ञानवापी मसले पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच मथुरा से श्रीकृष्ण जन्मभूमि - शाही ईदगाह मामले को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। गुरूवार को जिला जज की अदालत ने इस मामले में हुई सुनवाई के दौरान रिवीजन पिटीशन स्वीकार कर ली है। सिविल जज राजीव भारती ने हरिशंकर जैन की तरफ से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि श्रीकृष्ण विराजमान को केस फाइल करने का हक है। 

अब इस मामले की सुनवाई लोअर कोर्ट में होगी। दरअसल इससे पहले जिला अदालत ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि आप श्रीकृष्ण विराजमान के अनुयायी हैं और श्रीकृष्ण विराजमान केस दायर नहीं कर सकते। 

13.37 एकड़ जमीन वापस दिलाने की गुहार

भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से दायर याचिका में अदालत से श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन वापस दिलाने की गुहार लगाई गई है। याचिका में दावा किया गया है कि इसके बड़े हिस्से पर करीब 400 साल पहले मुगल शासक औरंगजेब के फरमान से मंदिर ढहाने के बाद केशवदेव टीले और भूमि पर अवैध कब्जा कर शाही ईदगाह मस्जिद बनाई गई। याचिका में अदालत की निगरानी में जन्मभूमि परिसर की खुदाई की मांग भी की गई है। याचिकाकर्ता ने कहा कि खुदाई की एक जांच रिपोर्ट पेश की जाए।

छह लोगों ने दाखिल किया है केस 

अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री, हरिशंकर जैन, विष्णु जैन सहति छह लोगों की तरफ से दाखिल वाद में चार विपक्षी बनाए गए। इनमें सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, ट्रस्ट मस्जिद ईदगाह, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट और श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान शामिल है। अदालत ने आज रिविजन पिटीशन की सुनवाई के दौरान चारों विपक्षी पक्षों को भी सुना। 

बताते चलें कि रामजन्मभूमि मामले में भगवान राम को टेंट से निकालकर भव्य मंदिर तक पहुंचाने में अहम भूमिका अदा करने वाले अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनके बेटे विष्णु जैन ने ही मथुरा की सिविल जज कोर्ट में पहला वाद दायर किया था, जिसे अदालत ने 30 सितंबर 2020 को खारिज कर दिया था। इस याचिका पर रिवीजन के तौर पर अक्टूबर 2020 से 5 मई 2022 तक अलग-अलग तारीखों पर बहस हुई। 5 मई को बहस पूरी होने के बाद अदालत ने इसे स्वीकार करने या न करने को लेकर 19 मई की तारीख तय की थी। जिसपर आज फैसला आया। 

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