सिद्धार्थनगर: लॉकडाउन में मिली सीख, कुछ इस तरह बीता रहे अपना जीवन
लाकडाउन ने सिखाया घर से भी हो सकता है काम मार्च आखिरी सप्ताह लाकडाउन के एक वर्ष पूरे हो रहे हैं।
इंतज़ार हैदर
सिद्धार्थनगर: Lockdown taught that work can be done from home as well. March is the last week a year of lockdown is being completed. लाकडाउन के बाद सभी की जिंदगी में महत्वपूर्ण बदलाव हुए। सर्वाधिक असर नौकरीपेशा लोगों पर पड़ी। अधिकतर बेरोजगार हुए तो कइयों को वर्क फ्राम होम का कांसेप्ट समझ में आ गया। newstrack ने सिद्धार्थनगर ज़िले के तीन ऐसे लोगों से बातचीत की जो एक वर्ष बाद भी घर पर रहकर अपना काम कर रहे हैं, और जीविकोपार्जन कर रहे हैं।
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आनलाइन ज्वैलरी बिक्री का काम स्नैपडील व अमेजन के लिए करता था
दुर्गेश कुमार सोनी पहले गुड़गांव स्थित कंपनी में आनलाइन ज्वैलरी बिक्री का काम स्नैपडील व अमेजन के लिए करता था। लाकडाउन के बाद घर वापस आया तो अपनी दुकान को इंटरनेट प्लेटफार्म के मार्फत बढ़ा रहा हूं। दूर- दराज के लोगों तक उनकी मांग के अनुरूप डिजाइन पसंद कराता हूं। तय वजन में तैयार करवाकर घर तक पहुंचाने का काम करता हूं। भुगतान की सुविधा भी ग्राहकों को आनलाइन दे रखी है। जिससे काम ठीक- ठाक चल रहा है।
चार जिलों में कंपनी ई रिक्शा बेंच रही है
कुलदीप द्विवेदी पंजाब स्थित एक ई रिक्शा कंपनी में बतौर इंजीनियर काम करता था। लाकडाउन के बाद घर आया तो चार माह कठिनाई से गुजरे। फिर कंपनी ने स्थानीय स्तर घर के निकट ब्रांच डाल दिया। और दोबारा नौकरी वापस मिल गई। चार जिलों में कंपनी ई रिक्शा बेंच रही है। उनमे खराबी आने पर मैं आनलाइन ही देखकर समस्या निदान कराता हूं, अथवा सर्विस सेंटर पर वाहन मंगा लेता हूं।
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बबलू कुमार मौर्या आनलाइन बिजनेस नेटवर्किंग का काम मुंबई रहकर करता थे
बबलू कुमार मौर्या आनलाइन बिजनेस नेटवर्किंग का काम मुंबई रहकर करता थे। लाकडाउन के वक्त जैसे घर वापसी के लिए भगदड़ मच गई। मैं भी परिजनों के दबाव से वापस लौट आया। अब अपने घर से ही बैंक अथार्टी लेकर रुपया ट्रांसफर करने व निकालने का काम निर्धारित शुल्क पर करता हूं। साथ ही आनलाइन सभी तरह के कार्य भी। इतनी आमदनी हो रही है कि अब बाहर जाने की जरूरत नहीं।