अच्छी खबर! अब खराब नहीं होगा साइलो स्टोरेज में रखा अनाज

हम आपको बताते हैं साइलो स्टोरेज एक विशाल स्टील का ढाँचा होता है जिसमें थोक सामग्री भंडारित की जाती है। इसमें कई विशाल बेलनाकार टैंक होते हैं। नमी और तापमान से अप्रभावित रहने के कारण इनमें अनाज लंबे समय तक भंडारित रहता है।

Update: 2023-05-01 19:56 GMT

धनंजय सिंह

लखनऊ: किसान भाइयों के लिए अच्छी खबर है। आपकी सरकार साइलो स्टोरेज पर भंडारण शुरू कराने जा रही है। ऐसे में आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि ये साइलो स्टोरेज क्या है?

हम आपको बताते हैं साइलो स्टोरेज एक विशाल स्टील का ढाँचा होता है जिसमें थोक सामग्री भंडारित की जाती है। इसमें कई विशाल बेलनाकार टैंक होते हैं। नमी और तापमान से अप्रभावित रहने के कारण इनमें अनाज लंबे समय तक भंडारित रहता है। एक अत्याधुनिक साइलो में रेलवे साइडिंग के जरिये बड़ी मात्रा में अनाज की लोडिंग/अनलोडिंग की जा सकती है। इससे भंडारण और परिवहन के दौरान होने वाले अनाज के नुकसान में भी काफी कमी आती है।

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यूपी में प्रति वर्ष लाखों टन अनाज की बरबादी को रोकने के लिए एफसीआई कनाडा की साइलो तकनीक के आधार पर स्टील के नये भंडार गृह बनाने जा रहा है।

इसके लिए यूपी के 14 जिलों में जमीन चिह्नित कर ली गयी है। आगामी तीन वर्षो में इन गोदामों को शुरू करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। स्टील के बने भंडार गृहों में रखा गया खाद्यान 10 साल तक सुरक्षित रहेगा।

55 लाख मीट्रिक टन क्षमता

उत्तर प्रदेश में राज्य भंडारण निगम, केन्द्रीय भंडारण निगम, पीसीएफ सहित अन्य गोदामों को मिलाकर लगभग 55 लाख मीट्रिक टन खाद्यान भंडारण की क्षमता है।

धान और गेहूं की अधिक खरीद होने पर एफसीआई को बीज विकास निगम, शुगर मिल तथा निजी गोदामों को किराये पर लेकर सात लाख मीट्रिक टन भंडारण की व्यवस्था का इंतजाम करना पड़ता है।

अनाज भंडारण की क्षमता कम होने के कारण खाद्यान को टीन शेड व पन्नी की छांव में भी रखना पड़ता है। खुले में भंडारित होने के कारण यह खाद्यान प्रत्येक वर्ष में बड़ी संख्या में खराब भी हो जाता है।

अन्न भंडारण की जगह न होने के कारण बफर स्टाक बढ़ाने में भी समस्याएं आती हैं। अधिक अनाज होने पर एफसीआई को सीमावर्ती राज्यों के भंडारण गृहों में प्रदेश का खाद्यान भंडारित करना पड़ता है।

स्टोरेज का संकट समाप्त होगा

लेकिन अब साइलो तकनीक के 12 लाख मीट्रिक टन क्षमता के नये गोदाम बनने के बाद खाद्यान भंडारण का संकट पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा।

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साइलो गोदाम स्टोरेज के लिए स्टील का ढांचा होता है। साइलो गोदाम बनाने में केवल स्टील का उपयोग किया जाता है। इससे यह काफी हल्के होते हैं। इसमें चार बेलनाकार बड़े टैंक होते हैं। प्रत्येक टैंक की भंडारण क्षमता 12500 टन होती है।

तापमान स्वत: नियंत्रित हो जाएगा

इस भंडार गृह की खासियत यह है कि इसमें न तो नमी होती है और न ही अनाज में बीमारियां लगती हैं। किसी भी मौसम में इसका तापमान एक जैसा ही रहेगा।

मौसम के अनुसार भंडारण गृहों का तापमान स्वत: नियंत्रित हो जाएगा। खाद्यान को बीमारियों से बचाने के लिए प्रयोग की जाने वाली औषधियां भंडारण गृहों को खोले बिना स्वचालित तकनीक से मिलायी जाती हैं।

साइलो टैंक में बिना बोरी के लम्बे समय तक अनाज स्टोरेज किया जा सकता है। सभी गोदाम रेल लाइन के किनारों पर होने से अनाज की लोडिंग और अनलोडिंग आसानी से की जा सकती है।

इससे भंडारण व परिवहन के दौरान होने वाले अनाज के नुकसान में कमी आएगी

एफसीआई के महाप्रबंधक गिरीश कुमार शर्मा बताते हैं कि साइलो भंडार गृह खाद्यान्न सुरक्षा में क्रांति लाएंगे। मौजूदा गोदामों में लम्बे समय तक अनाज का भंडारण करने पर कीट व नमी से अनाज खराब होने लगता है। तापमान नियंत्रित होने के कारण साइलो में अनाज को लम्बे समय तक संरक्षण किया जा सकेगा।

इससे बफर स्टाक को भी बढ़ाया जा सकेगा। पहले चरण में बनारस, फैजाबाद, बस्ती, देवरिया, फतेहपुर, कन्नौज व धमौरा मुरादाबाद, दूसरे चरण में लखनऊ, गोरखपुर, जौनपुर, मिर्जापुर, आगरा, हरदुआगंज व हापुड़ तथा तीसरे चरण में हमीरपुर, पीलीभीत व ललितपुर साइलो गोदाम बनाये जाएंगे।

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