Sitapur News: अयोध्या के बाद अब इस तीर्थ स्थल के विकास में जुटी योगी सरकार, विकास के लिए खोला पिटारा, जल्द श्रद्धालुओं को मिलेगी सुविधाएँ

Sitapur News: वर्तमान समय में नैमिषारण्य तीर्थ में जाम की स्थिति के साथ विश्राम स्थल और शौचालय आदि की सुविधा ना के बराबर है। ऐसे में यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

Report :  Pulkit Sharma
Update: 2024-02-04 08:35 GMT

Sitapur News: प्रदेश में भाजपा की योगी सरकार द्वारा तीर्थ स्थलों को विकसित करने का कार्य किया जा रहा है। अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए सभी सुविधाओं को चाक चौबंद बनाने का कार्य सरकार द्वारा किया गया। अयोध्या में मंदिर के साथ सड़कों को आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुगम बनाने में कोई भी कोताही नहीं बरती है। उत्तर प्रदेश में अयोध्या, मथुरा, बनारस के अलावा सीतापुर जनपद में नैमिषारण्य तीर्थ श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र है। यहां पूरे देश भर से श्रद्धालु पहुंचते हैं।

नैमिषारण्य में विशेष अवसर पर भव्य मेले भी लगते हैं। जहां जनपद के अलावा आसपास के जनपदों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं। नैमिषारण्य तीर्थ का वर्णन पुराणों और वेदों भी है। योगी सरकार अब नैमिषारण्य के विकास को लेकर लगातार प्रयास कर रही है। सरकार द्वारा नैमिषारण्य को पर्यटन स्थल के मानचित्र पर भी लाया है। इसी के साथ यहां पर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं को बढ़ाने के प्रयास किया जा रहे हैं। योगी सरकार ने नैमिषारण्य तीर्थ के विकास के लिए 6.12 करोड रुपए की स्वीकृति दी है। इस धनराशि से यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए बेहतर पार्किंग की सुविधा,गार्ड रूम, ओपन किचन समेत कई अन्य कार्य कराए जाएंगे।

पर्यटन को बढ़ावा दे रही योगी सरकार

सीतापुर से नैमिषारण्य की दूरी लगभग 35 से 40 किलोमीटर है। नैमिषारण्य तीर्थ में प्रवेश करते ही श्रद्धालुओं के मन को शांति मिलने लगती है। चारों ओर यहां मंदिरों के घंटे की गूंज से मन शांति मिलती हैं। नैमिषारण्य तीर्थ में कई दर्शनीय स्थल है। यहां पर हनुमान गढ़ी, चक्रतीर्थ तीर्थ, व्यास गद्दी, ललिता देवी मंदिर,रूद्रावत तीर्थ के साथ अन्य कई मंदिर है जहां आप दर्शन के लिए जा सकते हैं। नैमिषारण्य तीर्थ अभी विकास में पिछड़ा होने के चलते यहां श्रद्धालुओं को काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है। लेकिन, अब जल्दी ही इस तीर्थ स्थल के दिन बहुर जाने वाले हैं। सरकार द्वारा नैमिषारण्य तीर्थ स्थल पर विकास कार्य करने के लिए 6.12 करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत की है। इसी के साथ सरकार द्वारा नैमिष तीर्थ के चौमुखी विकास के लिए 2 करोड रुपए की धनराशि जारी भी कर दी गई है। इस धनराशि से तीर्थ स्थल की ओर जाने वाली सड़कों, शौचालय, श्रद्धालुओं के भोजन के लिए ओपन किचन, विश्रामालय, दुकान, पार्किंग आदि की सुविधा को बढ़ाया जाएगा। नैमिषारण्य तीर्थ स्थल को विकसित कर देश के मानचित्र पर लाने का कार्य किया जा रहा है। सरकार की ओर से जारी हुई धनराशि के बाद जिला प्रशासन नैमिषारण्य तीर्थ में विकास कार्य करने की रूपरेखा बनाने में जुट गया है। जल्द ही कई विकास कार्य इस तीर्थ स्थल में शुरू कर दिए जाएंगे। आने वाले दिनों में नैमिषारण्य पहुंचने वाले तीर्थ यात्रियों को असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा।

अभी यह होती है असुविधा

वर्तमान समय में नैमिषारण्य तीर्थ में जाम की स्थिति के साथ विश्राम स्थल और शौचालय आदि की सुविधा ना के बराबर है। ऐसे में यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। नैमिषारण्य तीर्थ स्थल पर पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान के साथ प्रदेश के कई जनपदों से लोग यहां पहुंचते हैं। नैमिषारण्य पहुंचने के लिए फिलहाल लोगों को हरदोई व सीतापुर पहुंचकर नैमिषारण्य की ओर जाना पड़ता है। नैमिषारण्य तीर्थ स्थल पर रेलवे स्टेशन तो बना है, लेकिन ट्रेनों की बेहतर कनेक्टिविटी नहीं है। ऐसे में ट्रेन से आने वाले रेल यात्रियों को पहले हरदोई लेकिन अब सीतापुर और हरदोई रेलवे स्टेशन पर उतरकर प्राइवेट बसों व परिवहन निगम की बसों और निजी वाहनों से नैमिषारण्य जाना पड़ता है। हरदोई के सवायजपुर से विधायक माघवेंद्र प्रताप सिंह ने रेल मंत्री को पत्र लिखकर फर्रुखाबाद से सवायजपुर होते हुए हरदोई के रास्ते नैमिषारण्य तक रेल लाइन बिछाने की मांग की है। विधायक ने रेल मंत्री का पत्र लिखकर कहा कि हरदोई से प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु नैमिष जाते हैं ऐसे में ट्रेन की सुविधा हो जाने से लोगों को काफी लाभ मिलेगा।

यहाँ कर सकते है दर्शन, यह है मान्यता

नैमिषारण्य तीर्थ का वर्णन पुराणों में है। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री राम ने इस स्थान पर अश्वमेध यज्ञ किया था। इसके साथ ही यहां हजारों ऋषि मुनियों ने एक साथ यज्ञ किया था इस लिए इस स्थान को तपोभूमि भी कहा जाता है। यह भी कहा जाता है यह 33 देवी देवताओं का साक्षात वास हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि यहां पर ही ऋषि मुनियों ने वेदों और पुराणों की रचना की थी। नैमिषारण्य तीर्थ में एक चक्र तीर्थ भी है इसको लेकर ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु ने यहां अपना चक्र गिराया था। चक्र गिरने से यहां पर जल का एक कुंड बन गया था। दूर-दूर से लोग इस कुंड में स्नान करने के लिए पहुंचते हैं। नैमिष धाम में देवी सती का हृदय गिरा था। इसलिए यह स्थान भी एक शक्तिपीठ के तौर पर जाना जाता है।

नैमिष धाम में ही रूद्रावत तीर्थ है। यह तीर्थ गोमती नदी के किनारे बना हुआ है। यहां पर भगवान शिव, शिवलिंग के रूप में प्रकट है। इस स्थान पर एक छोटा सा कुंड है, जहां ऐसी मान्यता है कि यहां पर पानी में कोई भी वस्तु डालो तो वह डूब जाती है। यहां भक्त प्रसाद के रूप में फल, बेलपत्र, दूध को उस कुंड में अर्पित करते हैं। पानी में पहुंचते ही फल, दूध, बेलपत्र डूब जाते हैं। इस स्थान पर तीन फल डालने पर डूब जाते हैं, जबकि एक फल पानी के ऊपर आ जाता है। लोग उसको भगवान का प्रसाद समझ कर ग्रहण करते हैं। इस स्थान पर शिवरात्रि पर श्रद्धालुओं का हुजूम उमड पड़ता है। प्रदेश के साथ-साथ देश के कोने-कोने से श्रद्धालु इस रूद्रावत तीर्थ पर दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। 

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