पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद जगदम्बिका पाल को सज़ा, योगी आदित्यनाथ के मामले में सुनवाई टली

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगदम्बिका पाल व सांसद जगदम्बिका पाल को 2014 के अचार संहिता के उलंघन के मामले विशेष जज एमपी/एमएलए कोर्ट पवन कुमार तिवारी ने अपील में सुनवाई करते हुए सीजेएम सिद्धार्थनगर द्वारा 22 दिसम्बर 2017 को सुनाई गई सज़ा को सही ठहराया है ।

Update: 2019-01-25 14:18 GMT

प्रयागराज : उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगदम्बिका पाल व सांसद जगदम्बिका पाल को 2014 के अचार संहिता के उलंघन के मामले विशेष जज एमपी/एमएलए कोर्ट पवन कुमार तिवारी ने अपील में सुनवाई करते हुए सीजेएम सिद्धार्थनगर द्वारा 22 दिसम्बर 2017 को सुनाई गई सज़ा को सही ठहराया है ।

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अपील को आंशिक रूप से स्वीकार कर ली है। जगदम्बिका पाल जो 2014 में डुमरियागंज संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी थे 23 मार्च 2014 को 6 स्थानों पर उनका स्वागत होना था । जिसमें 10 गाड़ियों की अनुमति ली गयी थी। लेकिन 20-25गाड़ियों का उपयोग किया जा रहा था। जिसके उलंघन में जगदम्बिका पाल,रिंकू पाल, अवधेश,संजय रावत,अजय श्रीवास्तव,अजय वर्मा,पुनीत गुप्ता,शम्भू कश्यप के खिलाफ एफआई आर के बाद धारा 188 आईपीसी व 3/4 लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में आरोप पत्र विवेचक द्वारा लगाया गया था।

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परीक्षण के बाद सभी आरोपियों को सीजेएम द्वारा 22 दिसंबर 2017 को एक माह के कारावास एवम 100 रुपये जुर्माने की सज़ा सुनाई गयी थी। जिसे अपील के द्वारा चुनौती दी गयी थी। न्यायालय ने पाया कि गवाहों के बयान में विरोधाभास है लेकिन अपराध कारित हुआ है। न्यायालय द्वारा अपील को आंशिक स्वीकार करते हुए एक माह की सज़ा को अपास्त करते हुए जुर्माने की राशि बढ़ाकर 200 रुपये करते हुए आदेश दिया की अगर जुर्माना जमा नहीं होता तो 10 दिन का कारावास केंद्रीय कारागार नैनी में भुगतना होगा।सांसद को 200 रुपये अर्थदंड के रूप में जमा करने पर उन्हें रिहा किया गया।

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वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ व अन्य के खिलाफ महराजगंज कोतवाली के हत्या के मामले में कोर्ट ने दाखिल निगरानी तलत अज़ीज़ बनाम योगी आदित्यनाथ में संबंधित दूसरे मामले की पत्रावली न्यायालय में प्राप्त न होने पर सुनवाई 16 फरवरी को निश्चित करते हुए अविलम्ब दूसरी पत्रवाली चंद्रसेन बनाम सरकार को तलब करने का आदेश किया है।सरकार की ओर से अपर जिला शासकीय अधिवक्ता राजेश गुप्ता ने दोनों मामलों में सरकार का पक्ष रखा ।

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