Amethi News: पॉलिटेक्निक की छात्राओं का कमाल, दिव्यांगों के लिए बनाई सेंसर युक्त स्टिक

Amethi News: छात्राओं ने अपने जज्बे से तकनीक का उपयोग करते हुए दिव्यांगों के लिए एक ऐसी स्टिक का अविष्कार किया जो अब दिव्यांगजनों के लिए वरदान साबित हो सकती है।

Update:2023-02-24 20:52 IST

File Photo of State Polytechnic collage students (Pic: Newstrack)

Amethi News: मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कुछ भी असम्भव नहीं होता है। राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज की दो छात्राओं ने वही कर दिखाया। छात्राओं ने अपने जज्बे से तकनीक का उपयोग करते हुए दिव्यांगों के लिए एक ऐसी स्टिक का अविष्कार किया जो अब दिव्यांगजनों के लिए वरदान साबित हो सकती है। स्टिक में लगा बजर किसी भी वस्तु के एक मीटर पहले ही अलार्म बजा देगा जिससे खतरों की पहचान हो जायेगी और रास्ता बदल कर दिव्यांग अपने मंजिल तक पहुंच सकता है।

टकराए बिना दिव्यांग अपनी मंजिल तक पहुंच जायेंगे

राजकीय बालिका पॉलिटेक्निक कॉलेज की छात्राओं ने अपने हुनर एवं तकनीक का कमाल दिखाते हुए दिव्यांगों के लिए सेंसर युक्त ब्लाइड स्टिक की खोज कर डाली। यह स्टिक किसी भी वस्तु के एक मीटर पहले ही अलार्म के आवाज से खतरों से आगाह कराएगी। यह यंत्र दिव्यांगों का सहारा बन सकता है। सेंसर की आवाज से किसी वस्तु, व्यक्ति, पेड़, पौधे से टकराए बिना दिव्यांग अपनी मंजिल तक पहुंच जायेंगे। जिसको लेकर वहां के अध्यापकों और बालिकाओं में खासा उत्साह दिखाई दे रहा है।

छात्राओ ने समाज में दिव्यांगों के होने वाली परेशानियों को देखकर इस यंत्र का अविष्कार किया है। यही नहीं छात्राओं के मन में दिव्यांगों के लिए अन्य उपकरण बनाने का उत्साह अभी भी मन में है। छात्राओं में दिव्यांगजनों की समस्याओं के निराकरण के लिए ऐसी इलेक्ट्रॉनिक स्टिक निर्माण किया है यह विचार उनके मन में 12वीं की पढ़ाई के दौरान ही आ गया था।

कोई उन्हें सहारा देने को तैयार नहीं होता

राजकीय महिला पॉलिटेक्निक कालेज अमेठी की छात्रा साक्षी तिवारी ने बताया कि मैंने कई जगह देखा है कि दिव्यांगों को कहीं भी आने-जाने के लिए सहारे की जरूरत पड़ती है। कोई उन्हें सहारा देने को तैयार नहीं होता। इस छड़ी के माध्यम से ये लोग कहीं भी आ-जा सकेंगे। दुर्घटना से अपना बचाव कर सकेंगे। क्योंकि इसमें सेंसर लगा है। जो किसी भी व्यक्ति, दीवाल से लगभग 1 मीटर दूरी पर ही बजने लगेगा। जिससे दिव्यांग अपना रास्ता बदल कर दूसरी जगह से जा सकते हैं।

वहीं कालेज की छात्रा रुचि वर्मा ने बताया कि मैंने अपने गांव में देखा है कि दिव्यांगों को लोग कुछ दिन तो सहारा देते हैं पर उसके बाद कोई उनकी सुनने वाला नहीं होता है। इस छड़ी के माध्यम से उन्हें किसी के सहारे की जरूरत नहीं होगी और दिव्यांग अपना रास्ता खुद तय कर सकेंगे। इस छड़ी से दिव्यांग कहीं भी आ-जा सकेंगे। दुर्घटना से पहले ही इस छड़ी का सेंसर उन्हें बजर के माध्यम से जानकारी प्रदान करेगा, जिससे वे अपना बचाव कर सकेंगे।

राजकीय बालिका पॉलिटेक्निक के प्रधानाचार्य संदीप कुमार सिंह ने बताया कि हमारे कॉलेज की दो बालिकाओं ने दिव्यांगों के लिए जो छड़ी बनाई है। उससे दिव्यांगों के आवागमन में हो रही बाधा से दिव्यांगों को निजात मिलेगी। दिव्यांग किसी के सहारे के बिना कहीं भी आ-जा सकेंगे जहां दुर्घटना की संभावना होगी वहां इस इलेक्ट्रॉनिक छड़ी में लगे सेंसर के माध्यम से दिव्यांगों को जानकारी हो जाएगी। वह अपना बचाव करके दूसरे रास्ते से जा सकेंगे। इस छड़ी के माध्यम से दिव्यांग किसी भी दुर्घटना से भी अपना बचाव कर सकेंगे।

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