दो वक्त की रोटी के लिए 15 महीने बाद भी भटक रहा मुकुंदलाल, PMO का निर्देश भी रहा बेअसर
महोबा: केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के तहत बुंदेलखंड के सभी जिलों में गरीबों के लिए सस्ती दरों पर राशन उपलब्ध कराया जाता रहा है। लेकिन सरकारी मशीनरी की विफलता के कारण यह सही रूप में जरूरतमंद तक नहीं पहुंच पता।
ऐसा ही एक मामला बुंदेलखंड के महोबा जिले का है। जहां एक बुजुर्ग का राशन कार्ड तो बना दिया गया मगर उसे पिछले 15 महीने से राशन नहीं दिया गया। प्रशासनिक उदासीनता के कारण पीड़ित किसान का परिवार भुखमरी की कगार पर आ खड़ा हुआ है। हद तो तब हो गई जब पीएमओ से जांच के आदेश के बावजूद पीड़ित परिवार को सरकारी राशन नहीं मिल रहा है। प्रदेश में पूर्व की सपा सरकार हो या वर्तमान में 'योगीराज' दोनों ही सरकारों में क्षेत्र के हालात में खास बदलाव नहीं आया है।
क्या है मामला?
चरखारी कोतवाली के गांव पुनिया निवासी मुकुंदलाल विश्वकर्मा को खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा पुराना राशन कार्ड निरस्त होने के बाद 21 जनवरी को 2016 को नया APL राशन कार्ड दिया गया था। इस राशन कार्ड के मिलते ही मुकुंदलाल के परिवार को सस्ती दरों पर मिलने वाला अनाज बंद हो गया। मुकुंदलाल ने कई बार इस बात की लिखित शिकायत खाद्य एवं रसद विभाग को दी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। थक-हारकर मुकुंदलाल ने पीएमओ को शिकायत भेजी।
आगे की स्लाइड में पढ़ें पूरी खबर
पीएमओ का निर्देश भी बेअसर
इस मामले में पीएमओ कार्यालय से जांच के निर्देश आ गए। इसके बाद सरकारी तंत्र में खलबली मच गई। लेकिन मुकुंदलाल की हालत में आज भी कोई सुधार नहीं आया। जिस राशन पर मुकुंदलाल का परिवार पल रहा था, बंद हो जाने से अब भुखमरी की कगार पर खड़ा है।
मुकुंदलाल की हालत जस की तस
बहरहाल, सरकारें तो एक तरफ गरीबों को भरपेट भोजन देने की बात कर रही है। वहीं, सरकारी तंत्र की इतनी बड़ी लापरवाही कई सवाल भी खड़े करती है। सवाल ये है कि आखिर जब मुकुंदलाल का राशन कार्ड बना है, तो उस राशन क्यों नहीं दिया जा रहा।
ये कहा डीएम ने
इस पूरे मामले पर जिले के डीएम अजय कुमार का कहना है कि 'जानकारी मिली है। मामले की जांच की जाएगी। जो भी अधिकारी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।'