फर्जी स्टाम्प प्रकरण : कोमा में 73 केस

Update: 2018-10-12 08:02 GMT
फर्जी स्टाम्प प्रकरण : कोमा में 73 केस

राजकुमार उपाध्याय

लखनऊ। प्रदेश में पकड़े गए फर्जी स्टाम्प केसों की तादाद बहुचर्चित अरबों रुपए के स्टाम्प घोटालेबाज अब्दुल करीम तेलगी की यादें ताजा करती है। राज्य में ऐसे सैकड़ों मामले पकड़ में आए, एफआईआर भी दर्ज हुईं। पर इन सबके बीच चमत्कृत ढंग से जाली स्टाम्प के 73 केसों की जांच एक कदम आगे नहीं बढ़ सकी है। जिन मामलों की जांच वर्षों से ठप है उन केसों को स्टाम्प एवं निबंधन महकमे के अधिकारियों ने नहीं बल्कि पुलिस व अन्य विभागों के अधिकारियों ने पकड़ा था। यह मामले अब भौतिक रूप से जांच के लिए ही उपलब्ध नहीं हैं। सरकारी दस्तावेजों में सिर्फ वह तारीखें शेष हैं, जब इन मामलों को पकड़ा गया था।

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स्टाम्प एवं निबंधन महकमे के अधिकारियों के मुताबिक इन मामलों के संबंध में विभाग के पास सूचना नहीं है। पूर्व के समय में निर्णय लिया गया था कि फर्जी स्टाम्प के मामले संज्ञान में आते ही एफआईआर दर्ज कराई जाएगी और संदिग्ध स्टाम्पों को जांच के लिए इंडिया सिक्योरिटी प्रिंटिंग प्रेस, नासिक भेजा जाएगा। इसका दायित्व पुलिस महकमे के संबंधित विवेचक को सौंपा गया। जब संदिग्ध पाए गए काफी स्टाम्प जांच में सही पाए गए तब यह निर्णय लिया गया कि जब तक जांच कराए जाने पर कोई स्टाम्प फर्जी सिद्ध नहीं हो जाए तब तक उसके संबंध में एफआईआर दर्ज नहीं कराई जाए। वर्तमान में प्रदेश भर में पकड़े गए फर्जी स्टाम्प के मामलों की संख्या 488 है। इसमें जांच के लिए नासिक भेजे गए मामलों की संख्या 415 है। 73 मामलों को जांच के लिए नहीं भेजा जा सका है। 350 जांचें प्राप्त हुई हैं। 350 मामलों में एफआईआर दर्ज कराई गई है। 93 ऐसे प्रकरण हैं। जिनमें एफआईआर दर्ज कराना शेष है। 45 प्रकरण नासिक जांच के बाद असली पाए गए। इसलिए ऐसे प्रकरणों में एफआईआर दर्ज कराने की आवश्यक्ता नहीं है। इसके अलावा 65 ऐसे मामले हैं। जिनकी जांच पिछले 14 वर्षों से पेंडिंग है जो अभी तक महकमे को प्राप्त नहीं हुई है।

पुनरीक्षण का मतलब सिर्फ दरों में वृद्धि करना नहीं

अक्सर सर्किल रेट मनमाने तरीके से बढ़ा दिया जाता है। स्टाम्प एवं निबंधन महकमे के अधिकारियों का कहना है कि उप्र स्टाम्प सम्पत्ति का मूल्यांकन नियमावली 2015 (तृतीय संशोधन) शासन की अधिसूचना में यह उल्लेख किया गया है कि अचल सम्पत्तियों के दरों में पुनरीक्षण का मतलब सिर्फ दों में वृद्धि करना ही नहीं है बल्कि यदि ऐसे स्थानों पर जहां प्रचलित दर से अधिक दर नियत कर दिया गया है तो उसे कम करना भी है।

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