लखनऊ: आशियाना गैंगरेप के ग्यारह साल बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मुख्य आरोपी गौरव शुक्ला को विक्टिम का अपहरण करने और अपने साथियों के साथ मिलकर सेंट्रो कार में जबरन उसके साथ गैंगरेप ने के मामले में दस साल की कैद की सजा सुनाई है। साथ ही उस पर 20 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है। कोर्ट ने राज्य सरकार विक्टिम को दो लाख रुपए मुआवजा देने का भी आदेश दिया है। इस केस के तीन आरेापियों को पहले ही सजा मिल चुकी है, जबकि दो की मौत हो गई थी।
दोनों पक्ष जाएंगे हाईकोर्ट
-फैसले के बाद विक्टिम ने सजा को कम बताया और हाईकोर्ट में अपील दायर करने की बात कही।
-वहीं, गौरव के भाई सुधीर शुक्ला ने कहा कि उसके भाई गौरव को उसके चाचा और सपा नेता अरूण शंकर शुक्ला उर्फ अन्ना के इशारे पर इस केस में फर्जी फंसाया गया है।
-क्योंकि उसके पिता के साथ अन्ना की 20 साल पुरानी दुश्मनी चली आ रही थी। वो इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे।
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ये दी गईं दलीलें
-एफटीसी जज अनिल कुमार शुक्ला ने गौरव को 13 अप्रैल को ही देाषी करार दे दिया था। उसकी सजा के बिंदु पर सोमवार को सुनवाई हुई।
-इसमें उसके वकील अख्तर हुसैन और सुधीर ने कहा कि आरोपी विवाहित हैं और उसके दो छोटे-छोटे बच्चे हैं।
-उसके मां-बाप बजुर्ग हैं। इन परिस्थितियों के मद्देनजर उसे कम से कम सजा दी जाए।
-सरकारी वकील सुनील कुमार यादव नरेंद्र यादव, प्रतिभा राय और जेपी यादव ने गौरव को उम्रकैद की सजा सुनाने की वकालत की।
-उन्होंने कहा कि गौरव ने नाबालिग होने की फर्जी दलील देकर केस के विचारण को काफी लंबा खींचा।
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जज ने क्या कहा?
-जज ने दोंनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद कहा कि गौरव नाबालिग लड़की का अपहरण कर संभोग के लिए बहला फुसलाकर ले गया। इसलिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों के तहत उसे दस साल की सजा सुनाना उचित होगा।
-कोर्ट ने गौरव को आईपीसी की धारा 365 के तहत अपरहण का दोषी पाते हुए पांच साल के कठोर कारावास और दस हजार रुपए जुर्माने की सजा दी।
-जुर्माना ना देने पर एक महीने की अतिरिक्त सजा होगी।
-धारा 376 दो छ के तहत दस साल की कैद और दस हजार रुपए जुर्माना लगाया गया।
-धारा 506 के तहत पर्याप्त सबूत ना पाते हुए गौरव को बरी कर दिया।
-कोर्ट ने कहा कि सारी सजाएं एक साथ चलेंगी। पहले से भुगती गई सजा को कुल सजा में से कम कर दिया जाएगा।
-कोर्ट ने यह भी कहा कि गौरव से प्राप्त 20 हजार रुपए अर्थदंड में से दो तिहाई विक्टिम को दिया जाएगा।
11 साल लड़ी विक्टिम
-जज ने सीआरपीसी की धारा 357 के प्रावधानों के तहत विक्टिम को विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से सरकारी कोष से भी दो लाख रुपए दिलाया।
-कोर्ट ने कहा कि विक्टिम बहुत ही गरीब परिवार से है। वह अपने और परिवार के लिए घरों में काम करती थी। उसके साथ गैंगरेप हुआ।
-इन कठिनाइयों के बावजदू भी वह लगातार ग्यारह साल तक केस की पैरवी करती रही है। ऐसी स्थिति में उसे मुआवजा दिलाया जाना उचित होगा।
गौरव की दलील
1. पुलिस ने उसे राजनीतिक रंजिशवश गलत फंसाया, क्योंकि तत्कालीन सपा एमएलसी और उसके सगे चाचा अरूण शंकर शुक्ला उर्फ अन्ना से उसके परिवार की पुरानी दुश्मनी चली आ रही थी।
2. सही अभियुक्तों, जिनमें फिरोज खान संजय द्विवेदी और संजय रावत शमिल थे, उन्हें बचाया गया और उसे गलत फंसा दिया गया।
3. प्राथमिकी में नामजद नहीं था।
4. उसका डीएनए टेस्ट नही कराया गया
5. मेडिकल के अनुसार विक्टिम के शरीर पर सिगरेट से जलने के निशान नहीं पाए गए थे।
6. रेडियोलाजिस्ट रिपोर्ट के अनुसार विक्टिम सेक्स की आदी थी।
7. मीडिया ट्रायल की वजह से उसे दोषी करार दिया गया है।
कोर्ट की फांइडिंग
1.अभियेाजन अपना केस संदेह से परे साबित करने में सफल रहा।
2. गलत फंसाने के लिए कोई औचित्य नहीं।
3. विक्टिम का बयान ही सजा के लिए पर्याप्त।
4. विक्टिम यदि घटना से पहले भी संभोग की आदी रही हो तो भी किसी को उसे रेप करने का लांइसेस नहीं मिल जाता।
5. राजनीतिक रंजिशवश फंसाना होता तो नामजद एफआईआर दर्ज कराई जाती।
6. एफआईआर में नामजद नहीं लेकिन बयान और अन्य साक्ष्येां से दोषी साबित।
क्या था पूरा मामला
-2 मई 2005 की रात एक नाबालिग लड़की घरों में झाडू-पोछा लगाकर अपने भाई के साथ घर लौट रही थी।
-आशियाना इलाके के नागेश्वर मंदिर के पास पराग डेरी की तरफ से एक सेंट्रो कार आकर रुकी।
-कार से उतरे तीन लड़कों ने उसे जबरदस्ती गाड़ी में घसीट लिया।
-लड़की का भाई चिल्लाता रहा, लेकिन किसी ने मदद नहीं की।
-इस दौरान दरिंदो ने लड़की को हवस का शिकार बनाते हुए उसके साथ गैंगरेप किया।
-जब लड़की ने विरोध किया तो दरिंदों ने उसे सिगरेट से जला दिया।