लखनऊ। लखनऊ खंड स्नातक क्षेत्र से शिक्षक विधायक उमेश द्विवेदी उत्तर प्रदेश सरकार के वित्त महीन माध्यमिक शिक्षकों के साथ दोहरी नीति अपनाने से बेहद खफा हैं। उनका कहना है कि प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार शिक्षा की रीढ़ माध्यमिक शिक्षा को खत्म करना चाहती है। शिक्षक दिवस के एक दिन पहले चार सितंबर को लखनऊ में उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ शिक्षक इकट्ठा होंगे और मानदेय बंद करने का विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा की अगुवाई में प्रदर्शन करेंगे। शिक्षक सरकार से आरपार की लड़ाई लड़ेंगे। शिक्षक विधायक से आंदोलन के संबंध में हमारे संवाददाता संजय सनातन ने बातचीत की। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश।
आखिर ऐसा क्या हुआ कि वित्तविहीन माध्यमिक शिक्षकों को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रर्दशन करना पड़ रहा है?
देखिए, शिक्षक विधायक होने के नाते मेरी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि उत्तर प्रदेश के माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षकों की समस्याओं को प्रमुखता से ऊठाऊं। मैंने समय-समय पर ऐसा किया भी है मगर यह सरकार बहुत ही चालाक है। इसकी मंशा कुछ और है और यह करती कुछ और है। इसीलिए हम लोगों ने प्रदर्शन के जरिये अपनी आवाज बुलंद करने का फैसला किया है। हम लोग सपा सरकार के खिलाफ भी प्रदर्शन कर चुके हैं। हमने बुधवार को इसी मुद्दे को लेकर विधानसभा से बहिर्गमन भी किया।
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शिक्षक तो शिक्षित होता है। फिर शिक्षक विधायक को आंदोलन करना पड़े। यह कहां तक उचित है? आंदोलन से तो अव्यवस्था होगी।
- इस सरकार के पहले भी समाजवादी पार्टी सरकार से उत्तर प्रदेश के वित्तविहीन माध्यमिक शिक्षकों के जीवन-यापन के लिए ठोस नीति बनाने को लेकर कहा गया। जब सरकार नहीं मानी तो पूरे प्रदेश के वित्तविहीन शिक्षकों ने राजधानी में शांति से प्रर्दशन किया। आखिर में सपा सरकार ने एक हजार मानदेय दिया।
आपने विधानपरिषद में मामला मुख्यमंत्री और माध्यमिक शिक्षा मंत्री के समक्ष रखा तो क्या कहा गया?
- भारतीय जनता पार्टी की सरकार केवल आश्वासन देती है। वित्तविहीन शिक्षकों को आश्वासन कितने दिनों तक दिया जाता रहेगा।
शिक्षक विधायक के तौर पर अभी तक आपने वित्तविहीन माध्यमिक शिक्षकों के लिए क्या किया और क्या कराना चाहते हैं?
- मैंने वित्तविहीन माध्यमिक शिक्षकों के लिए बहुत लड़ाई लड़ी। सरकार से मांग करता रहा कि वित्तविहीन शिक्षकों को वोट देने का अधिकार मिले। अन्तत: हाईकोर्ट गया और उच्च न्यायालय के आदेश पर वित्तविहीन माध्यमिक शिक्षकों को शिक्षक विधायक के चुनाव में वोट डालने का अधिकार मिला। इसी से मैं एमएलसी भी बना। इसी के साथ सपा सरकार से लड़ाई लड़कर हर शिक्षक को 1000 रुपये मानदेय दिलवाया।
आखिर समाजवादी पार्टी सरकार के 1000 रुपये देने के फैसले को भाजपा सरकार द्वारा बंद कर देने पर तत्काल आंदोलन क्यों नहीं किया गया?
- मैने तुरंत इस मामले को विधानपरिषद में उठाया। अभी तक विरोध करता आ रहा हूं। सरकार और माध्यमिक शिक्षामंत्री कहते आ रहे थे कि सपा सरकार से बेहतर कदम वित्तविहीन माध्यमिक शिक्षकों के लिए उठाए जाएंगे। अंत में जब सरकार के अनुपूरक बजट में कुछ नहीं हुआ तो शिक्षकों से तय कर चार सितंबर को शिक्षक दिवस के एक दिन पूर्व आंदोलन करने की रणनीति बनायी गयी है।
वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षण कार्य करने वाले कितने शिक्षक हैं? इससे कानून व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
- उत्तर प्रदेश में मान्यता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कुल तीन लाख वित्तविहीन शिक्षक शिक्षण कार्य कर रहे हैं। इन्हें समाजवादी पार्टी सरकार ने एक-एक हजार रुपये मानदेय देती थी। हम लोग इसे प्रर्याप्त नहीं मानते थे। भाजपा की सरकार ने उसे ही बंद कर दिया। इसी का हम विरोध कर रहे हैं। फिर आंदोलन के बारे में विधानसभा व परिषद में बता दिया गया है।