UP By Election: लखनऊ से दिल्ली तक लगाते रहे चक्कर फिर भी हाथ खाली, अब संजय निषाद के लिए क्या?

UP By Election: यूपी उपचुनाव में भाजपा ने निषाद पार्टी को एक भी सीट नहीं दिया। लंबी जद्दोजहद से बाद संजय निषाद बड़ी आसान शर्तों पर मान गए हैं।

Update:2024-10-24 12:51 IST

UP By Election (Pic: Social Media)

UP By Election: उत्तर प्रदेश उपचुनाव को लेकर भाजपा ने सात उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। कानपुर की सीसामऊ और मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट पर भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। इनमें से एक सीट (मीरापुर) भाजपा के सहयोगी दल रालोद के हिस्से में है। रालोद के अलावा भाजपा ने अपने अन्य सहयोगी दलों को कोई सीट नहीं दिया। निषाद पार्टी और सुभासपा के हिस्से कोई सीट नहीं आई। सुभासपा अध्यक्ष ने उपचुनाव लड़ने में कोई दिलचस्पी भी नहीं दिखाई। मगर गठबंधन का धर्म निभाने की नसीहत देते हुए निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद उपचुनाव में सीट की मांग करते रहे। लखनऊ से दिल्ली तक भाजपा हाईकमान से मुलाकातों का दौर चलता रहा। मगर कोई फायदा नहीं हुआ। उपचुनाव में निषाद पार्टी के हिस्से एक भी सीट नहीं आई।  

भाजपा ने खारिज किए सारे प्रस्ताव

संजय निषाद दो सीटों की मांग करते हुए लखनऊ से दिल्ली तक भाजपा नेताओं से मिलते रहे। जब लखनऊ में भाजपा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद बात नहीं बनी तब उन्होंने दिल्ली का रुख किया। बीते शनिवार को दिल्ली पहुंचे संजय निषाद चार दिन दिल्ली में रहे। उन्होंने सीटों का समझौता करने के लिए दिल्ली में डेरा डाल दिया। जेपी नड्डा और सुनील बंसल से मुलाकात की। प्रस्ताव रखा कि मझवां और कटेहरी विधानसभा सीटों पर कैंडिडेट आपका सिंबल मेरा या फिर सिंबल आपका कैंडिडेट मेरा। मगर बात नहीं बनी। दोनों प्रस्ताव भाजपा हाईकमान ने खारिज कर दिए।

इन दो सीटों की थी मांग

उपचुनाव की 10 सीटों में संजय निषाद दो सीटों की मांग कर रहे थे। निषाद पार्टी कटेहरी और मझवां में उम्मीदवार उताराना चाहती थी। मगर 13 अक्टूबर को भाजपा हाईकमान की बैठक में ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया। पार्टी ने अपने सहयोगी दलों को दरकिनार कर दिया है। इस पर संजय निषाद ने नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा अगर ये दो सीटें निषाद समाज को नहीं मिलती तो बीजेपी को हार का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने लोकसभा चुनाव में कई सीटों पर हार का जिक्र करते हुए कहा कि निषाद पार्टी को सिम्बल ना मिलने की वजह से 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा।

खाते में एक भी सीट नहीं 

13 अक्टूबर को हुई बैठक से नाराज संजय निषाद ने बगावत करने का भी संकेत दिया था। उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी अपने ही सिंबल पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुकी है। पार्टी अपने सिंबल पर चुनाव लड़ सकती है। इसके साथ ही उन्होंने भाजपा को नसीहत भी दे दी। संजय निषाद ने कहा कि बीजेपी को अपने गठबंधन का धर्म निभाना चाहिए। इसके तहत कटेहरी और मझवां सीट निषाद पार्टी को देनी चाहिए। उन्होंने उपचुनाव को लेकर चल रही सारी चर्चाओं को नकार दिया था। मगर अब उनके खाते में एक भी सीट नहीं है। 

ऐसे हुआ समझौता

भाजपा को नसीहत देने वाले संजय निषाद ने अब पैंतरा बदल लिया है। उन्होंने एक बयान में कहा कि उपचुनाव में निषाद पार्टी कोई कैंडिडेट नहीं उतारेगी बल्कि गठबंधन का धर्म निभाएगी। सीट न मिलने पर उन्हें निषाद समाज भी याद आ गया। उन्होंने निषाद समाज को अनुसूचित जाति का दर्जा दिलाने और पार्टी कार्यकर्ताओं को समायोजित कर उनके हितों का ख्याल रखने का प्रस्ताव रखा है। साथ ही उन्होंने यह उम्मीद भी जताई है कि दिवाली के बाद निषाद समाज को एससी में शामिल करने पर सरकार गंभीरता से विचार करेगी। संजय निषाद को यह समझने में बहुत देर लगी कि उत्तर प्रदेश भाजपा संगठन ने उन्हें नकार दिया है। अंत में उनके पास समर्थन करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा। 

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