SP Singh Baghel: एसपी सिंह बघेल अब स्वास्थ्य राज्यमंत्री, कानून मंत्रालय की संभाल रहे थे जिम्मेदारी
Dr.SP SIngh: देश कानून मंत्री किरेन रिजिजु के बाद उनके डिप्टी एसपी सिंह बघेल की भी छुट्टी हो गई है। प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति ने कैबिनेट में फेरबदल की जानकारी जारी की।
Dr SP SIngh: देश की कैबिनेट में लगातार बदलाव हो रहे हैं। इसी कड़ी में कानून राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल को हटाकर स्वास्थ्य राज्य मंत्रालय दे दिया गया। देश के महामहिम ने प्रधानमंत्री मोदी की सलाह पर राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल का विभाग बदल दिया है। अब वे कानून और न्याय मंत्रालय में राज्य मंत्री के स्थान पर स्वास्थ्य मंत्रालय देखेंगे।
गुरुवार को राष्ट्रपति की ओर से विज्ञप्ति जारी कर डॉ एसपी सिंह मंत्रालय के बदलाव की जानकारी साझा की गई। विज्ञप्ति के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी की सलाह पर राष्ट्रपति ने कैबिनेट के कुछ मंत्रालयों में बदलाव किया है। इसमें किरेन रिजिजु और एसपी सिंह को इनके मंत्रालय से छुट्टी कर अन्य विभागों की जिम्मेदारी देने का उल्लेख है। मोदी सरकार में अलग-अलग विभागों की जिम्मेदारियां संभाल चुके किरेन रिजिजू से कानून मंत्रालय छीन लिया गया था। अर्जुन राम मेघवाल के कानून मंत्रालय देकर किरेन रिजिजु को अर्थ और साइंस मंत्री बना दिया गया। इससे पहले ये केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह इस मंत्रालय को संभाल रहे थे। वहीं, मेघवाल को कानून राज्य मंत्री के तौर पर स्वतंत्र प्रभार दिया गया है। एसपी सिंह बघेल को राज्य स्वास्थ मंत्री आवंटित किया गया।
मुलायम सिंह के करीबी माने जाते हैं बघेल
आगरा से सांसद एसपी सिंह बघेल मुलायम सिंह के करीबी माने जाते रहे हैं। इसके बाद भाजपा का दामन थाम लिया था। मालूम हो कि मुलायम यादव के निधन बाद मैनपुरी लोकसभा के चुनावी रण में उतरे थे। लेकिन इसमें हार मिली। वहीं, बघेल ने अपना राजनीतिक करियर फिरोजाबाद से चुना। सबसे पहले फिरोजाबाद के जलेसर से विधायक चुने गए थे। इसके बाद आगरा से सांसद बने।
क्यों हटाए गए किरेन रिजिजू
अरुणाचल प्रदेश से बीजेपी के लोकसभा सांसद किरेन रिजिजू साल 2021 में हुए कैबिनेट विस्तार में कानून मंत्री बनाए गए थे। उनसे पहले रविशंकर प्रसाद इस जिम्मेदारी को संभाल रहे थे, जो फिलहाल केंद्रीय मंत्रिमंडल से बाहर हैं। नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन (NJAC) को लेकर उनका सुप्रीम कोर्ट से मतभेद जगजाहिर है। कॉलेजियम व्यवस्था पर उन्होंने सार्वजनिक रूप से कई बार ऐसी टिप्पणियां की जिसे लेकर बवाल मच गया था। बॉम्बे लायर्स एसोसिएशन नामक संस्था तो उन्हें केंद्रीय मंत्री के पद से हटाने की मांग को लेकर पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक चली गई थी।