UP Election 2022: एक और अधिकारी राजनीति के दरवाजे पर दस्तक देने को तैयार, जाने कौन?

कानपुर के पुलिस कमिश्नर असीम अरुण के वीआरएस लेने के बाद अब एक और अधिकारी राजेश्वर सिंह वीआरएस लेकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में कदम रहे हैं।

Published By :  Bishwajeet Kumar
Written By :  Shreedhar Agnihotri
Update:2022-02-01 12:33 IST

अधिकारी राजेश्वर सिंह (तस्वीर साभार : सोशल मीडिया)

लखनऊ। कहा जाता है कि राजनीति का एक ऐसा क्षेत्र जिसके ग्लैमर से कोई बच नहीं पाता है फिर चाहे वह फिल्मी दुनिया से जुडा हो, खेल क्षेत्र का ब्युरोक्रेसी से हो अथवा अन्य क्षेत्र से जुड़ा कोई सेलेब्रेटी हो। अब जब यूपी समेत पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं तो कई पूर्व अधिकारियों के अलावा कई अन्य अधिकारी वीआरएस लेकर राजनीति के मैदान में उतर रहे हैं।

हाल ही में कानपुर के पुलिस कमिश्नर असीम अरूण (Aseem Arun) के बाद एक और अधिकारी राजेश्वर सिंह (Rajeshwar Singh) ने भी वीआरएस लेकर चुनाव मैदान में उतरने की ठानी है। जबकि राजेश्वर सिंह का अभी 11 वर्ष का सेवाकाल शेष था। वह जल्द ही भाजपा में शामिल होकर विधानसभा चुनाव लडने जा रहे हैं।

जानिए इनके बारे में

राजेश्वर सिंह का राजनीति में उतरना कोई नई बात नहीं है। इसके पहले भी कई अधिकारी राजनीति में उतर चुके हैं। मुलायम और मायावती सरकारों में प्रमुख सचिव रहे पीएल पुनिया (PL Punia) के सांसद फिर कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलने के बाद खासतौर से अफसरों में माननीय बनने का क्रेज तेजी से बढ़ा है।

इनमें केन्द्र मे सचिव रहे एसएटी रिजवी, भूरेलाल के अलावा पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह, आईसी द्विवेदी आईपीएस एसएन सिंह,के नाम शामिल है। राज्य सरकार में प्रमुख सचिव रहे डा. चन्द्रपाल ने किसी राजनीतिक दल में शामिल होने के बजाय आदर्श समाज पार्टी का गठन किया। चन्द्रपाल से पहले उनकी पत्नी विमला पाल जनता दल और सपा से विधानसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं।

भाजपा के शासनकाल में रिटायर्ड आईएएस तथा प्रमुख सचिव रहे एसडी बागला को भाजपा ने चुनाव तो नहीं लड़ाया लेकिन उन्हे एक आयोग का अध्यक्ष बनाकर उन्हे आब्लाइज करने का काम किया।

एक और आईएएस अधिकारी राय सिंह भी सेवानिवृत्त होने के बाद कांग्रेस में शामिल हुए थें। इससे पहले उनकी पत्नी राजराय सिंह पहले भाजपा में फिर कांग्रेस में शामिल हो गई। वह कल्याण सिंह की सरकार में राज्यमंत्री भी रही।

पूर्व आईएएस तथा लखनऊ के कमिश्नर रहे रामकृष्ण के अलावा रिटायर्ड आईएएस आरए प्रसाद भी राजनीति में आए। जबकि प्रमुख सचिव रहे हरीश चंद्र ने भी राष्ट्रीय जनवादी पार्टी बनाई। इसी तरह आईआरएस रहे डा. उदित राज भी इंडियन जस्टिस पार्टी बनाकर काफी दिनों से तक सक्रिय रहे।

डीबी राय रहे दो बार भाजपा से सांसद 

रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रिटायर्ड आईपीएस एसआर दारापुरी भी पिछले लोकसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमा चुके हैं। श्री पुरी इस समय किसी राजनीतिक दल से सम्बद्व नहीं है। केरल के डीजीपी रहे आईपीएस राजबहादुर भी सरोजनीनगर से निर्दलीय चुुनाव लड़ चुके हैं।

आईएएस रहते हुए भ्रष्ट्राचार के खिलाफ जंग लडऩे वाले धर्मसिंह रावत (दिवंगत) ने बर्खास्त होनेे के बाद इसी तरह रिटायर्ड एडीजी अजय सिंह कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। इससे पूर्व पीपीएस अधिकारी शैलेन्द्र सिंह भी नौकरी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए और लोकसभा का चुनाव भी लड़े। जबकि इससे पूर्व फैजाबाद के एसएसपी रहे डीबी राय दो बार भाजपा से सांसद रहे।

यूपी की मिट्टी से जुड़े पुलिस अधिकारी राजेश्वर सिंह ह्यूमन एंड टेक्नोलॉजी के एक्सपर्ट हैं। सुल्तानपुर के प्रतिष्ठित परिवार में जन्मे राजेश्वर सिंह ने अपने कैरियर की शुरुआत पुलिस में भर्ती होकर राजधानी लखनऊ में गोमतीनगर थाने में सीओ (अपराध) और सीओ (यातायात) पद से की।

1996 बैच के पीपीएस एडिशनल एसपी होने के बाद फिर ईडी में मर्ज हो गए ओर अपनी कार्यकुशलता और राजनीतिक पहुंच के चलते वह ईडी के जॉइंट डायरेक्टर बन गए। पूरा परिवार है सरकारी सेवा में सुल्तानपुर जिले के पखरौली निवासी राजेश्वर सिंह के पिता रणबहादुर सिंह भी पुलिस महानिरीक्षक रहे हैं।

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