UP Election 2022: 1989 के बाद पहली बार अतीक के परिवार से कोई भी चुनावी अखाड़े में नहीं, पत्नी शाइस्ता परवीन ने नहीं भरा पर्चा

UP Election 2022: एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने पिछले साल ही शाइस्ता परवीन को इलाहाबाद पश्चिम सीट से अपनी पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया था।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Monika
Update:2022-02-09 12:00 IST

बाहुबली अतीक अहमद और वाइफ शाइस्ता परवीन (फोटो : सोशल मीडिया ) 

UP Election 2022: 1989 के बाद यह पहला मौका है जब बाहुबली अतीक अहमद (Atiq Ahmed) या उनके परिवार का कोई भी सदस्य विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) के अखाड़े में नहीं कूदा है। इस बार अतीक की बीवी शाइस्ता परवीन (Shaista Parveen) के इलाहाबाद पश्चिम सीट (Allahabad West seat) से चुनाव मैदान में उतरने की चर्चा थी मगर मंगलवार को इन चर्चाओं पर पूरी तरह से विराम लग गया। मंगलवार को इलाहाबाद पश्चिम सीट पर नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख थी मगर शाइस्ता परवीन ने पर्चा नहीं भरा।

एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM chief Asaduddin Owaisi) ने पिछले साल ही शाइस्ता परवीन को इलाहाबाद पश्चिम सीट से अपनी पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया था मगर शाइस्ता परवीन ने इस बार चुनाव लड़ने से कन्नी काट ली। शाइस्ता के इस फैसले के पीछे पारिवारिक कारण बताए जा रहे हैं। अतीक अहमद इन दिनों गुजरात की जेल में बंद हैं जबकि कई मामले दर्ज होने के कारण दोनों बेटे फरार हैं। ऐसे में शाइस्ता ने चुनाव से दूरी बनाए रखने का फैसला किया है।

इलाहाबाद पश्चिमी सीट अधिक का मजबूत गढ़

इलाहाबाद शहर पश्चिमी सीट को माफिया अतीक अहमद का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है। इस विधानसभा क्षेत्र पर अतीक की मजबूत पकड़ रही है और 1989 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में इस सीट पर जीत हासिल करके अपनी ताकत दिखाई थी। इसके बाद वे समाजवादी पार्टी और अपना दल के टिकट पर भी इस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते रहे और जीत हासिल करते रहे। वे फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद बनने में भी कामयाब रहे। वे 5 बार लगातार विधानसभा का चुनाव जीतने के साथ ही सांसद भी रहे।

सांसद बनने के बाद उन्होंने अपने भाई अशरफ को इस सीट से चुनाव मैदान में उतारा था। इस विधानसभा सीट पर अतीक और उनके परिवार की मजबूत पकड़ मानी जाती है। 1989 से 2017 तक के विधानसभा चुनावों में अतीक या उनके परिवार का कोई न कोई सदस्य इस सीट से चुनाव लड़ता रहा है। इस तरह 1989 के बाद यह पहला मौका है जब अतीक के उनके परिवार का कोई भी सदस्य इस सीट से चुनाव मैदान में नहीं उतरा है।

ओवैसी ने पत्नी को बनाया था उम्मीदवार

अतीक अहमद के जेल में होने के कारण उनकी पत्नी शाइस्ता परवीन ने सियासी सक्रियता बढ़ाई थी। उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। ओवैसी ने पिछले साल अटाला में जनसभा का आयोजन भी किया था और इस जनसभा में शाइस्ता परवीन को एआईएमआईएम का उम्मीदवार भी घोषित कर दिया था। एआईएमआईएम के मंडल प्रवक्ता अफसर महमूद लगातार बयान देते रहे कि शाइस्ता परवीन जरूर चुनाव लड़ेंगी मगर पार्टी की ओर से घोषित उम्मीदवारों की सूची में उनका नाम नहीं था।

पहले 7 फरवरी को शाइस्ता के नामांकन तक दाखिल करने की बात कही जा रही थी मगर सात को नामांकन दाखिल न करने पर 8 फरवरी को आखिरी दिन नामांकन करने की बात कही गई थी। मंगलवार को नामांकन की आखिरी तारीख भी समाप्त हो गई है मगर शाइस्ता परवीन ने पर्चा नहीं भरा।

इस कारण बनाई चुनाव से दूरी

शाइस्ता परवीन के चुनाव न लड़ने के पीछे पारिवारिक कारण बताए जा रहे हैं। पिछले साल एआईएमआईएम का उम्मीदवार घोषित होने के बाद स्थितियां लगातार बदलती गईं। पिछले वर्ष के आखिर में उनके छोटे बेटे अली के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हुआ और मुकदमा दर्ज होने के बाद उनका छोटा बेटा भी फरार है। इस तरह पति के जेल में होने और दोनों बेटों के फरार होने के कारण शाइस्ता परवीन ने चुनाव से दूरी बनाए रखने का फैसला किया।

योगी सरकार के सख्त रवैए के कारण प्रशासन अतीक की तमाम इमारतों पर बुलडोजर चलवा चुका है। प्रशासन की ओर से अतीक की अवैध तरीकों से बनाई गई तमाम संपत्ति भी जब्त की जा चुकी है। ऐसे में शाइस्ता ने चुनाव से दूरी बनाए रखने में ही भलाई समझी 1989 के बाद यह पहला मौका है जब अतीक और उनके परिवार का कोई भी सदस्य चुनाव मैदान में नहीं उतरा है।

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