UP Election 2022: कैराना में दो महिलाओं ने संभाली कमान,ये सीट रही काफी विवादों में

UP Election 2022: नाहिद की तरफ से चुनावी मोर्चा संभाला है उनकी बहन इकरा हसन ने।

Newstrack :  Network
Published By :  Monika
Update:2022-01-20 16:08 IST

इकरा हसन-मृगांका सिंह (photo : social media ) 

UP Election 2022: पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कैराना (Kairana) कई गलत कारणों से चर्चा में रहा है। हिन्दू - मुस्लिम विवाद, पलायन वगैरह इसके साथ जुड़े हुए हैं। इन्हीं वजहों से यूपी विधानसभा चुनाव (UP Vidhan Sabha Chunav)  में कैराना सीट (Kairana seat) काफी चर्चा में है। कैराना से समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने नाहिद हसन (Nahid Hasan) को प्रत्याशी घोषित किया। लेकिन नामांकन दाखिल करने के एक दिन बाद की नाहिद को गैंगस्टर एक्ट में गिरफ्तार कर लिया गया।

अब नाहिद की तरफ से चुनावी मोर्चा संभाला है उनकी बहन इकरा हसन ने। जबकि उनके सामने हैं दिवंगत भाजपा (BJP) नेता और कैराना से तीन बार के विधायक हुकुम सिंह की चार बेटियों में सबसे बड़ी मृगांका सिंह (Mriganka Singh) ।

27 वर्षीय इकरा हसन

कैराना से दो बार विधायक रहे नाहिद की बहन 27 वर्षीय इकरा हसन ( Iqra Hasan) यूरोप से कानून में स्नातक की पढ़ाई कर चुकी हैं। नाहिद और इकरा हसन के पिता मुनव्वर हसन एक जाने-माने मुस्लिम नेता थे। वे विधानसभा, विधानपरिषद, लोकसभा और राज्यसभा तक के सदस्य रहे।

सपा नेता के रूप में उनका एक लंबा राजनीतिक करियर रहा। हालांकि बीच में वह कुछ समय के लिए बसपा के साथ भी रहे। उन्होंने 1991 और 1996 के बीच तीन बार कैराना विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया और 2004 में मुजफ्फरनगर से सांसद चुने गए। 2009 में एक कार दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई।

मुनव्वर की पत्नी तबस्सुम हसन ने तब बसपा के टिकट पर कैराना संसदीय सीट जीती थी। 2018 में हुए उपचुनाव में उन्होंने रालोद के टिकट से चुनाव लड़ा और हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को हरा दिया। हालांकि इस चुनाव में तबस्सुम हैं को कांग्रेस, सपा और बसपा के महागठबंधन का समर्थन हासिल था। 16 वीं लोकसभा में वो यूपी से एकमात्र मुस्लिम सांसद थीं। अब उनपर पर गैंगस्टर एक्ट लगा हुआ है।

हुकुम सिंह की मृत्यु के बाद अपने पहले चुनाव में, नाहिद ने कैराना विधानसभा सीट (Kairana assembly seat) पर अनिल चौहान को हराया। इकरा ने 2014 के चुनावों में परिवार के लिए प्रचार किया और फिर 2015 का पंचायत चुनाव लड़ा लेकिन हार गईं।

मृगांका सिंह (Mriganka Singh)

नाहिद और इकरा हसन जहां कैराना के मुख्य बाजार स्थित घर में रहते हैं, वहीं हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह वहां से 6 किमी दूर मोरोद गांव में एक छोटे से घर में रहती हैं। मृगांका बुआ-जी के नाम से मशहूर हैं।कभी शिक्षाविद रहीं मृगांका अब अपने पिता की विरासत को हासिल करने की तीसरी कोशिश कर रही हैं। हुकुम सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1974 में कांग्रेस से की थी, जब उन्होंने पहली बार कैराना विधानसभा सीट जीती थी।

उन्होंने दो बार फिर से सीट जीती, एक बार जनता पार्टी (सेक्युलर) के टिकट पर। फिर कई बार की हार के बाद वह 1995 में भाजपा में शामिल हो गए और चार बार कैराना सीट का प्रतिनिधित्व किया। वह 2009 के आम चुनाव हार गए, लेकिन 2014 में लोकसभा के लिए चुने गए।

भाजपा अपने प्रचार अभियान में 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद कैराना से हिंदू परिवारों के कथित पलायन को उठा रही है। मृगांका ने इसे एक वैध चिंता का विषय बताया है। उनका कहना है कि हमारा एजेंडा विकास है और मुझे जीत का भरोसा है। मैं पिछला चुनाव केवल 20,000 वोटों से हार गई थी लेकिन अब कई फैक्टर हैं। इस सरकार ने सुनिश्चित किया है कि परिवार सुरक्षित महसूस करें।

आस्था का मामला

इस निर्वाचन क्षेत्र में 3 लाख की आबादी में 60 फीसदी मुस्लिम हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि मुसलमानों ने अतीत में हुकुम सिंह को वोट दिया है और हिंदुओं ने मुनव्वर का समर्थन किया है। कहा जाता है कि जिस जमीन पर हसन का घर है वह एक जैन ने दी थी। यहां हिंदू शादियों में मुसलमान भी बड़े चाव से हिस्सा लेते हैं।

हुकुम और मुनव्वर दोनों ही यहां से कई बार जीत चुके हैं। मजे की बात ये है कि दोनों परिवार काफी पढ़े लिखे हैं। इकरा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास की पढ़ाई की है। फिर लॉ फैकल्टी से पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद यूके में स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज में दाखिला लिया। वह एक साल पहले ही भारत लौटी हैं। भाई नाहिद के पास ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय से बिजनेस मैनेजमेंट की डिग्री है।

2012 चुनाव: बीजेपी के हुकुम सिंह ने बसपा के अनवर हसन को हराया

2014 उपचुनाव : सपा के नाहिद हसन जीते।

2017 चुनाव: सपा के नाहिद ने भाजपा की मृगांका सिंह को हराया

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