Law & Order in UP: महिला सुरक्षा को लेकर यूपी सरकार के कदमों का दिख रहा असर, NCRB ने भी कबूला

Law & Order in UP: कभी खराब कानून व्यवस्था को लेकर कुख्यात रहे उत्तर प्रदेश में अब चीजें बेहतर हो रही हैं। प्रदेश में खासकर महिलाओं की सुरक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हुए हैं।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2023-03-10 09:54 IST

Law & Order in UP: कभी खराब कानून व्यवस्था को लेकर कुख्यात रहे उत्तर प्रदेश में अब चीजें बेहतर हो रही हैं। प्रदेश में खासकर महिलाओं की सुरक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हुए हैं। इस बात की तस्दीक खुद केंद्रीय संस्था नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने अपनी रिपोर्ट में की है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी ने दुराचार और पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामलों के निस्तारण में देश के बाकी राज्यों को पछाड़ दिया है। इस मामले में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है। 

वहीं, इन मामलों को लेकर दर्ज एफआईआर में दो महीने के अंदर जांच प्रक्रिया पूरी कर दोषी को सजा दिलाने के मामले में यूपी पांचवे स्थान पर है। उत्तर प्रदेश जैसे बड़ी आबादी वाले राज्य के लिए इसे एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है। जहां महिला अपराधों को लेकर हमेशा से चिंता जताया जाता रहा है। पिछले साल यानी दिसंबर 2022 में आई एनसीआरबी की रिपोर्ट में भी बताया गया था कि महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामलों में यूपी में सबसे उच्चतम सजा दर 59.1 प्रतिशत है। यह राष्ट्रीय औसत 26.6 प्रतिशत के दोगुने से भी अधिक है। इस मामले में यूपी के दो पड़ोसी बिहार दूसरे और राजस्थान तीसरे नंबर पर है। 

यूपी ने विकसित राज्यों को छोड़ा पीछे

आईपीसी की धारा-376 और पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामलों के निस्तारण में उत्तर प्रदेश ने देश के विकसित और शिक्षित राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। 27 फरवरी 2023 तक के आंकड़ों के मुताबिक, इन मामलों को लेकर 77044 एफआईआर दर्ज हुए थे, जिनमें से 75,331 मामलों का निस्तारित कर दिया गया। 97.80 प्रतिशत मामलों के निस्तारण के साथ यूपी देश में पहले स्थान पर काबिज है। इसके बाद गोवा और पुडुचेरी 97.30 प्रतिशत के साथ क्रमशः दूसरे एवं तीसरे स्थान पर हैं। इन मामलों में सबसे खराब प्रदर्शन बिहार, असम और मणिपुर का है। 

सीएम का महिला अपराधों को लेकर निर्देश 

पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के वरीय पुलिस अधिकारियों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक की थी। जहां अधिकारियों ने एनसीआरबी के उपरोक्त आंकड़ों को मुख्यमंत्री के सामने रखा और बताया कि किस तरह प्रदेश महिला अपराधों को अंजाम देने में शामिल दोषियों को कानून के फंदे तक ला रहा है। इस दौरान सीएम योगी को बताया गया कि आईपीसी की धारा-376 और पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज एफआईआर की दो माह के भीतर जांच प्रक्रिया पूरी करने में 71.8 प्रतिशत के साथ यूपी ने पांचवा स्थान हासिल किया है। 

दो माह से अधिक जांच पेंडिंग होने के मामलों में 0.5 प्रतिशत के साथ उत्तर प्रदेश ने देश में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। यूपी सीएम ने पुलिस अधिकारियों की बात सुनने के बाद महिला अपराधों को लेकर दर्ज मामलों के निस्तारण में और तेजी लाने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो जिले इस मामले में अच्छा प्रदर्शन करने में पिछड़ रहे हैं, उनपर विशेष फोकस किया जाए। जिला स्तर पर पॉक्सो एक्ट से संबंधित मामलों की हर महीने समीक्षा हो। 

महिलाओं के खिलाफ अपराध में यूपी आगे 

महिला अपराध से संबंधित मामलों में शानदार काम कर रही यूपी पुलिस को अभी और काफी कुछ करना है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने जनवरी में साल 2022 में महिलाओं के खिलाफ हुई हिंसा का रिपोर्ट प्रस्तुत किया था। रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाएं सबसे अधिक पीड़ित घरेलू हिंसा से है, जो साल दर साल बढ़ रही है। इस मामले में यूपी देश में सबसे आगे है। यूपी में पिछले साल घरेलू हिंसा के 16,872 मामले दर्ज किए गए। महिला आयोग ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि पिछले साल महिलाओं पर जुल्म की जितनी भी शिकायतें दर्ज हुईं, उनमें 55 प्रतिशत हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश की है। 

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