बाढ़ की चपेट में यूपीः बिगड़ रहे हालात, तटबंधों में हो रहा कटाव, बना मुसीबत
कोरोना संक्रमण के साथ ही यूपी में अब बाढ़ का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है। यूपी के 75 जिलों में से मौजूदा समय में 16 जिलें बाढ़ से प्रभावित है।
लखनऊ: कोरोना संक्रमण के साथ ही यूपी में अब बाढ़ का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है। यूपी के 75 जिलों में से मौजूदा समय में 16 जिलें बाढ़ से प्रभावित है। प्रदेश के 16 जिलों, बाराबंकी, अयोध्या, कुशीनगर, बलिया, गोरखपुर, लखीमपुर खीरी, बहराइच, आजमगढ़, गोण्डा, बस्ती, मऊ, संतकबीर नगर, सीतापुर, सिद्धार्थनगर तथा बलरामपुर के 777 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। पलिया कला लखीमपुरखीरी में शारदा नदी, तुर्तीपार बलिया में सरयू नदी, बर्डघाट गोरखपुर में राप्ती नदी और नदी एल्गिनब्रिज बाराबंकी और अयोध्या में सरयू (घाघरा) नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।
नदियों के तेज बहाव से तटबंधों का कटाव शुरू हो गया है। जिससे अब गांवों में जलभराव की स्थिति पैदा हो गई है, लोग अपने घरों से पलायन करने को मजबूर है। दो दिन पूर्व आजमगढ की सगड़ी तहसील में तटबंध टूटने के कारण करीब 15 गांवों में जलभराव हो गया था तो मंगलवार को बलिया के बकुलहा संसार टोला में तटबंध टूट गया था।
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गोरखपुर में राप्ती के जलस्तर लगातार बढ़ रहा है
गोरखपुर में राप्ती के जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। सहायक नदियों बूढ़ी राप्ती और कुनरा नदी में बरसाती पानी के बढ़ने के कारण राप्ती के जलस्तर वृद्धि देखने में आ रही है। बलरामपुर में राप्ती का जलस्तर अब कम हो रहा है लेकिन इसके साथ ही कटान भी शुरू हो गया है। हालांकि बचाव दलों ने कटान को भरने का काम भी शुरू कर दिया है। देवरियां में भी राप्ती और सरयू कहर बरपाये हुए है। जिसके कारण तीन गांवों के 27 टोले सरयू की बाढ़ से प्रभावित है। यहां सरयू का जलस्तर खतरे के निशान से करीब एक मीटर ऊपर है। जबकि राप्ती के जलस्तर में वृद्धि से करीब 52 गांवों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। सिद्धार्थनगर में राप्ती के बढ़ने से हुए जलभराव के कारण खेतों में पानी भर गया है। कुशीनगर में नारायणी नदी भी लगातार उफान पर है।
इसी तरह घाघरा नदी ने भी कई जिलों में कहर बरपा रखा है
इसी तरह घाघरा नदी ने भी कई जिलों में कहर बरपा रखा है। नेपाल से छोड़े गए पानी के कारण घाघरा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। बहराइच की छह तहसीलों में से चार तहसील महसी, नानपारा, कैसरगंज और मोती पुर बाढ़ प्रभावित है। जबकि अम्बेडकर नगर में आलापुर व टांडा तहसील के गांवों में जलभराव शुरू हो गया है। यहां घाघरा खतरे के निशान से 90 सेमी. ऊपर बह रही है। इसी तरह गोंडा में भी घाघरा खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर बह रही है।
घाघरा ने अब तटबंधों को तोड़ना भी शुरू कर दिया है। रविवार को भिखारीपुर-सकरीर तटबंध का दो मीटर हिस्सा नदी में समा गया। आजमगढ़ और बलिया में भी घाघरा के जलस्तर में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। आजमगढ़ की सगडी तहसील में घाघरा अपना विकराल रूप धारण करती नजर आ रही है। यहां भी तटबंधों में कटाव हो रहा है। जिससे करीब 80 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित है।
अयोध्या में भी नेपाल से छोड़े गए पानी के कारण सरयू का जलस्तर बढ़ गया है और रूदौली तहसील के आठ गांव बाढ़ के पानी से घिरे हुए है। सरयू नदी का जलस्तर बढ़ने का खामियाजा बाराबंकी को भी उठाना पड रहा है। यहां सरयू खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जिससे यहां के 70 गांव बाढ़ से प्रभावित है। सरयू नदी का भयावह रूप अब बस्ती में भी दिखने लगा है। यहां सरयू खतरे के निशान से करीब एक मीटर ऊपर बह रही है। लगातार जलस्तर में वृद्धि से हरैया तहसील क्षेत्र के 20 गांव बाढ़ से प्रभावित है। संत कबीरनगर में भी सरयू खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। यहां भी सरयू तेजी से कटान कर रही है, जिससे लगातार बाढ़ का खतरा बना हुआ है।
लखीमपुर में शारदा नदी का जलस्तर हालांकि अब कम हो रहा है
लखीमपुर में शारदा नदी का जलस्तर हालांकि अब कम हो रहा है लेकिन अभी भी यह खतरे के निशान से ऊपर ही है। जबकि सुहेली नदी का जलस्तर स्थिर बना हुआ है। लेकिन अभी भी कई गांवों इससे प्रभावित है और खेतों में जलभराव है। शारदा का कहर सीतापुर में भी देखने को मिल रहा है। यहां भी शारदा और घाघरा में जलस्तर में वृद्धि तो रूक गई है लेकिन अभी भी गांवों में जलभराव है। यहां के रेउसा और बेहटा के गांवों में शारदा तो रामपुर मथुरा के गावों में घाघरा का पानी भरा हुआ है।
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बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 2,728 नावें लगायी गयी है। बाढ की आपदा से निपटने के लिए प्रदेश में 160 बाढ़ शरणालय और 03 जिलों में 36 शरणालयों में 3,984 व्यक्ति रह रहे है तथा 657 बाढ़ चैकी स्थापित की गयी है। प्रदेश में 139 पशु शिविर स्थापित किये गये है तथा 05 लाख 12 हजार 591 पशुओं का टीकाकरण भी किया गया हैं। उन्होंने बताया कि पशु के चारे के लिए कुल 415 कंुतल भूसा वितरित किया गया है। आपदा से निपटने के लिए जिला व राज्य स्तर पर आपदा नियंत्रण केन्द्र की स्थापना की गयी है।
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