नाईक का अखिलेश सरकार को फिर झटका,  लोकायुक्त बिल राष्ट्रपति को भेजा

Update:2016-05-06 20:14 IST

लखनऊ: गवर्नर राम नाईक ने लोकायुक्त बिल को मंजूरी न देकर सपा सरकार को फिर झटका दिया है। नाईक ने विधेयक को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के पास भेज दिया है। इस आशय की जानकारी उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी दे दी है।विधेयक में यह है आपत्ति

-गवर्नर के अनुसार संशोधित विधेयक में लोक आयुक्त की चयन प्रक्रिया से इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की भूमिका समाप्त कर दी गई है।

-केंद्रीय अधिनियम में लोकपाल चयन में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।

क्या है मामला ?

-पिछले साल यूपी के नए लोकायुक्त के चयन को लेकर पेंच फंसने के बाद राज्य सरकार ने लोकायुक्त व उप-लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक 2015 विधानमंडल के दोनों सदनों में पारित किया था।

-यह विधेयक गवर्नर के पास मंजूरी के लिए विचाराधीन था।

-विधेयक के अधिनियम में बदलने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की भूमिका चयन प्रक्रिया से खत्म हो जाती।

-दरअसल मौजूदा अधिनियम में लोकायुक्त की चयन समिति में मुख्यमंत्री, विधानसभा में विपक्ष के नेता और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस का समावेश है।

नए लोकायुक्त के चयन को लेकर होता रहा टकराव

-तत्कालीन लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ​​का कार्यकाल पूरा होने के बाद नए लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर राजभवन और सपा सरकार में टकराव हुआ था।

-सपा सरकार ने नए लोकायुक्त के लिए रविंद्र सिंह यादव के नाम का प्रस्ताव गवर्नर के पास भेजा था।

-हाईकोर्ट की राय का हवाला देते हुए नाईक ने रविंद्र सिंह के नाम पर मंजूरी देने से इनकार कर दिया।

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चयन प्रकिया पर उठे थे सवाल

-गवर्नर ने चयन समिति की प्रकिया पूरी न होने पर भी सवाल उठाए थे।

-रविंद्र सिंह के नाम का चयन करते समय हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की राय नहीं ली गई थी।

-सपा सरकार ने राजभवन को मात देने के लिए चयन समिति से हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की भूमिका समाप्त करने संबंधी विधेयक लाया।

केंद्रीय अधिनियम का विरोधाभासी है विधेयक

-गवर्नर के मुताबिक संशोधित विधेयक में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की भूमिका समाप्त करने से विसंगतिया सामने आएंगी।

-केंद्रीय अधिनियम में लोकपाल के चयन में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की भूमिका महत्वपूर्ण है।

-यह विधेयक केन्द्रीय अधिनियम 'लोकपाल तथा लोक आयुक्त अधिनियम, 2013 की धारा -4 की उपधारा (1) के विपरीत है।

नाईक लगातार दे रहे हैं अखिलेश सरकार को झटके

-इससे पहले गुरुवार को नाईक ने यूपी नगर निगम और नगर पालिका विधि (संशोधन) विधेयक राष्ट्रपति के पास भेजा था।

-इससे संसदीय कार्यमंत्री आजम खान को झटका लगा है।

-इन विधेयकों को मंजूरी न देने के कारण नाईक लगातार आजम खान के निशाने पर थे।

-आजम ने कहा था कि गवर्नर भ्रष्ट महापौरों को संरक्षण दे रहे हैं।

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दो विधेयक लौटाकर सपा सरकार को उलझाया

-नाईक ने बीते बुधवार को सपा सरकार को कानूनी पेंच में उलझा दिया।

-उन्होंने दो विधेयकों में खामियां गिनाते हुए लौटा दिय़ा था।

-उनमें डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान और आईआईएमटी विश्वविद्यालय, मेरठ, उत्तर प्रदेश विधेयक शामिल हैं।

-अब गवर्नर के पास केवल एक विधेयक विचाराधीन रह गया है।

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